नदी का पानी अचानक काला होने से हजारों मछलियों की मौत, स्थानीय लोगों ने कहा- चीन ने मिलाया जहर!
अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले में एक हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है.
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के पूर्वी कामेंग जिले (East Kameng District) में एक हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां कामेंग नदी (Kameng River) का पानी अचानक काला दिखाई देने लगा और देखते ही देखते हजारों की संख्या में मछलियों की मौत हो गई. यह जानकारी दी शनिवार को अधिकारियों ने दी है. जिला मत्स्य पालन अधिकारी ने कहा कि कुल घुलित पदार्थों (टीडीएस) की उच्च सामग्री के कारण नदी का पानी काला हो गया है.
जिला मत्स्य विकास अधिकारी (डीएफडीओ) हाली ताजो ने कहा कि जिला मुख्यालय सेप्पा में शुक्रवार को नदी में हजारों मछलियां मृत पाई गईं. प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, मौतों का कारण टीडीएस की बड़ी उपस्थिति देखी गई है, जिसकी वजह से पानी में जलीय प्रजातियों के लिए दृश्यता कम हो जाती और सांस लेने में समस्या होने लगती है. चूंकि नदी के पानी में हाई टीडीएस देखने को मिला है, जिसके चलते मछलियां ऑक्सीजन नहीं ले सकीं.
उन्होंने एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि नदी में टीडीएस 6,800 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो सामान्य सीमा 300-1,200 मिलीग्राम प्रति लीटर से काफी अधिक था. ताजो ने लोगों से मछली का सेवन न करने की अपील की क्योंकि इससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. पूर्वी कामेंग जिला प्रशासन ने एक एडवाइजरी जारी कर लोगों से मछली पकड़ने के लिए कामेंग नदी के पास उद्यम करने से बचने और अगले आदेश तक मरी हुई मछलियों को खाने और बेचने से बचने को कहा है.
'ऐसी घटना कामेंग नदी में कभी नहीं हुई'
सेप्पा के निवासियों ने नदी में टीडीएस में वृद्धि के लिए चीन को दोषी ठहराया. आरोप लगाया कि पड़ोसी देश द्वारा निर्माण गतिविधियों के कारण पानी का रंग काला हो गया है. सेप्पा पूर्व के विधायक टपुक ताकू ने राज्य सरकार से कामेंग नदी के पानी के रंग में अचानक बदलाव और बड़ी मात्रा में मछलियों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए तुरंत विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की अपील की. ताकू ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना कामेंग नदी में कभी नहीं हुई.
2017 में सियांग नदी का पानी भी हो गया था काला
उन्होंने कहा, "अगर यह कुछ दिनों से अधिक समय तक जारी रहा, तो नदी से जलीय जीवन पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे. पानी के रंग में अचानक बदलाव के कारण इस बेल्ट के ऊपरी जिलों में भारी भूस्खलन भी हो सकता है. राज्य सरकार को स्थिति का जल्द से जल्द अध्ययन करने के लिए तुरंत एक फेक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन करना चाहिए." इससे पहले पूर्वी सियांग जिले के पासीघाट में सियांग नदी नवंबर 2017 में काली हो गई थी, जिसके बाद अरुणाचल पूर्व के तत्कालीन कांग्रेस सांसद निनॉन्ग एरिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उसके हस्तक्षेप करने की मांग की थी और दावा किया था कि यह चीन में 10,000 किलोमीटर लंबी सुरंग के निर्माण का परिणाम है, जिसने सियांग से पानी को तकलामाकन रेगिस्तान में झिंजियांग प्रांत की ओर मोड़ दिया. हालांकि चीन ने इस आरोप का खंडन किया था.