अरुणाचल प्रदेश : हिमाचल में 108 साल बाद झीलों में लौटी दुर्लभ मेंडेरियन बत्तख

Update: 2022-06-16 12:25 GMT

‎ईटानगर. लंबे समय से अरुणाचल प्रदेश के लोगों के जीवन में शिकार की एक अहम जगह रही है. इसके कारण राज्य में वन्यजीवों पर बहुत खराब असर पड़ रहा था. सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में एयरगन और दूसरी बंदूकों से शिकार को छोड़ने के लिए एक अभियान चलाया गया था. इसका असर अब दिखने लगा है. राज्य में 108 साल बाद झीलों में दुर्लभ मेंडेरियन बतख लौट आईं हैं. जीरो की वादियों में बनी मानव निर्मित झील में प्रवासी मेंडेरियन बतख फिर से दिखाई पड़ने लगी है.

इस मेंडेरियन बतख को दुनिया की सबसे रंगीन जल मुर्गियों में शुमार किया जाता है. इसका आवास पूर्वी एशिया में है, खासतौर पर यह चीन में बहुतायत में पाई जाती है. इसे फिर से एक बार अरुणाचल प्रदेश के सबानसिरी जिले के ज़ीरो में मानव निर्मित झील में तैरते हुए पाया गया. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इससे पहले यह 20 फरवरी, 2021 में नजर आई थी. इस इलाके में शिकार करना लोगों की जिंदगी का एक हिस्सा है, ऐसे में इसका असर वन्यजीवन पर पड़ रहा था. इसलिए यहां बंदूक छोड़ने का अभियान चलाया गया, जो रंग लाया और अब इस जलमुर्गी को देख कर वन्यजीव अधिकारी खासे उत्साहित है.
बंदूक नहीं चलाओ अभियान की सफलता
इस रंगो से भरी जलमुर्गी के वापस लौटने के पीछे अरुणाचल प्रदेश सरकार की अनोखी योजनाएं हैं, जैसे-एयरगन सरेंडर अभियान. जिसके जरिये पक्षियों की प्रजातियों को बचाने की पहल की गई है. इस अभियान को चालू हुए एक साल से ज्यादा वक्त हो गया है और इसकी बदौलत 2000 से ज्यादा एयरगन और दूसरी बंदूकों का समर्पण हुआ. यही नहीं इस अभियान की बदौलत न सिर्फ मेंडेरियन बतख, बल्कि स्थानीय टील के साथ-साथ यूरेशियन विजियन और फाल्केटेड बतख भी दिखाई पड़ने लगी हैं. वन्यजीव अधिकारियों की इसके लिए 2018 में जल संरक्षण परियोजना भी चलाई थी. वन्य अधिकारियों का कहना है कि लगातार दो साल तक मेंडेरियन बतख का दिखना बताता है कि सिखे झील अब इन प्रजातियों के लिए सर्दियो के प्रवास का स्थल बन चुका है. यही नहीं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए यहां पर 'पक्के' बाघ अभ्यारण्य स्थल की घोषणा भी की गई है. जिससे जलवायु परिवर्तन की वजह से वन्यजीवों को हो रहे नुकसान को रोका जा सके.
पहले मणिपुर, असम की झीलों में दिखी थी मेंडेरियन बतख
करीब 108 साल बाद 2021 में यह मेंडेरियन बतख असम और अरुणाचल प्रदेश में नजर आई है. इसके पहले यह पक्षी मणिपुर की लोकटक झील में और पश्चिम असम के मानस राष्ट्रीय उद्यान में दिखी थी. जीरो को अरुणाचल प्रदेश की सबसे खूबसूरत और सबसे ज्यादा ऊंचाई वाली घाटियों में शुमार किया जाता है. यहां पर दुर्लभ कीट और तितलियों की प्रजातियां जैसे कैसर-ए-हिंद, अपतानी, महिमा, भूटान महिमा, ब्राउन गोरगन, और पेरिस मोर पाई जाती हैं.


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