नालंदा. वे चार भाई और तीन बहन थे. दो बहनों की शादी हो चुकी है, तीसरी की शादी होनी है. चार भाइयों में दो की मौत युवावस्था में ही बीमारी से हो गई थी. हाल ही में उसकी मां का भी निधन हुआ था. बहन की शादी के लिए पैसे कमाने वह आंध्र प्रदेश के एलुरू गया था. अगले महीने यानी 12 मई को उसे अपने घर लौटना था, लेकिन लौटी उसकी लाश. यह दुखद कहानी है आंध्र में केमिकल फैक्ट्री हादसे में मारे गए नालंदा के चार मजदूरों में से एक मनोज रविदास की. मनोज की उम्र महज 25 बरस थी.
मनोज के घर पर मातम पसरा है. पास पड़ोस की महिलाओं से घिरी है मनोज रविदास की पत्नी अपने अबोध बच्चे के साथ. रो-रोकर उनका बुरा हाल है. उनकी रुलाई और चेहरा इतना कातर है कि ढांढ़स बंधाने आईं महिलाएं भी रोने लगती हैं. सबके चेहरे पर दुख है, हताशा है, शोक है. वे कहती हैं कि इतनी कम उम्र में भला किसी की मौत होती है. मनोज रविदास का घर हरनौत के रामसन में है.12 मई को लौटना था
मनोज रविदास के घर के बाहर शोकग्रस्त लोगों की भीड़ लगी है. उन्होंने ही मनोज रविदास की यह हृदय विदारक कहानी बताई. वे बताते हैं कि मनोज रविदास कुल 4 भाई थे. उनके दो भाइयों की मौत युवावस्था में ही हो गई थी. हाल ही में उनकी मां का भी निधन हुआ था. छोटी बहन की शादी के लिए पैसे जुटाने वे केमिकल फैक्ट्री में काम करने आंध्र प्रदेश चले गए थे. अगले महीने 12 मई को ट्रेन का टिकट कन्फर्म होने के बाद घर लौटने की बात कही थी.
घर पर दुखों का पहाड़
घर के बाहर जुटी भीड़ में से एक ने बहुत दुख के साथ कहा कि वह अपनी बहन की शादी का पैसा तो नहीं जुटा पाए. लेकिन पैसे जुटाने की कोशिश में अपनी जान उस फैक्ट्री में गवां दी. चार भाइयों में अब मोहन अकेला रह गया. पड़ोस की उर्मिला देवी कहती हैं कि अब मनोज की मौत के बाद मोहन रविदास अकेला रह गया. उसे ही पूरे परिवार का भरण-पोषण करना पड़ेगा. अपने भाई की पत्नी और उसके अबोध बच्चे का भी ख्याल रखना होगा, बहन की भी शादी करनी होगी. कुछ दिन पहले ही इनकी मां का देहांत हुआ था. इस परिवार पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.
डीएम ने कहा- मिलेगी हरसंभव मदद
इधर हादसे के बाद नालंदा के डीएम शशांक शुभंकर ने गहरा दुख व्यक्त किया है. उन्होंने सभी मृतक के परिजनों को हरसंभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार के निर्देशानुसार जो भी आदेश प्राप्त होगा, वह पूरा किया जाएगा.