आंध्र प्रदेश समेत 6 राज्यों का अपना दावा, मंगल को जन्मे, मंगल ही करते... पर कहां पैदा हुए हनुमान?

महाराष्ट्र में अब भगवान हनुमान की जन्मस्थली को लेकर विवाद शुरू हो गया है। हनुमान के जन्मस्थान को लेकर मगंलवार को नासिक में एक धर्म संसद आयोजित की गई

Update: 2022-06-01 09:00 GMT

बेंगलुरु : महाराष्ट्र में अब भगवान हनुमान की जन्मस्थली को लेकर विवाद शुरू हो गया है। हनुमान के जन्मस्थान को लेकर मगंलवार को नासिक में एक धर्म संसद आयोजित की गई। इसमें शामिल होने के लिए त्र्यम्बकेश्वर, कर्नाटक और सोलापुर के करीब 20-25 साधु-संत पहुंचे। हालांकि, देखते ही देखते संतों में विवाद बढ़ने लगा। मामला हाथापाई तक जा पहुंचा। दरअसल, हनुमान की जन्मस्थली को लेकर यह धर्म संसद बुलाई गई। इसमें तय होना था कि हनुमान जी का जन्म आखिर कहां हुआ। साधु-संत बातचीत कर ही रहे थे कि इसी दौरान नासिक के कालाराम मंदिर के महंत सुधीरदास और कर्नाटक के किष्किंधा के महंत गोविंदानंद सरस्वती के बीच झगड़ा हो गया। हालांकि बाकी संतों ने हालात को कंट्रोल किया और दोनों को समझाया गया। इसके बाद मंगलवार की धर्म संसद यहीं रद्द हो गई।

भगवान हनुमान के जन्मस्थान को लेकर कई राज्य और साधु-संत अलग-अलग जगह का दावा कर रहे हैं। वहीं महंत गोविंद दास का कहना है कि भगवान हनुमान का जन्मस्थान कर्नाटक के किष्किंधा में था। किसी संत कहना है कि हनुमान जी का जन्म महाराष्ट्र के नासिक और आंध्रप्रदेश के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम में हुआ है। इसी विवाद को खत्म करने के लिए नासिक में महंत श्री मंडलाचार्य पीठाधीश्वर स्वामी अनिकेत शास्त्री देशपांडे महाराज ने 31 मई को धर्म संसद बुलाई थी।
आंध्र प्रदेश और कर्नाटक का हनुमान की जन्मस्थली पर दावा
कर्नाटक का दावा है कि हनुमान का जन्म किष्किंधा के अंजनाद्रि पर्वत पर हुआ था। यह जगह कोप्पल जिले के अनेगुंडी में बताई जाती है। दूसरी ओर आंध्र प्रदेश भी हनुमान की जन्मस्थली पर दावा करता आ रहा है। आंध्र के दावे के मुताबिक हनुमान की जन्मभूमि तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से एक पर है। इस पहाड़ी का नाम भी अंजनाद्रि है। बताते चलें कि तिरुपति में स्थित तिरुमला मंदिर हिंदुओं की मान्यता का बड़ा केंद्र है। तेलुगू में तिरुमला का अर्थ होता है सात पहाड़ियां। यह मंदिर इन्हीं सात पहाड़ियों को पार करने पर आता है।
शिवमोगा के मठ की जन्म स्थान पर क्या दलील?
कर्नाटक के शिवमोगा स्थित रामचंद्रपुर मठ के प्रमुख राघवेश्वर भारती अपने दावे के समर्थन में रामायण का जिक्र करते हैं। इसमें हनुमान सीता से समुद्र के पार गोकर्ण में अपना जन्म स्थान होने की बात कहते हैं। राघवेश्वर भारती का कहना है, 'रामायण में मिले प्रमाण से हम कह सकते हैं कि गोकर्ण हनुमान की जन्मभूमि है और किष्किंधा स्थित अंजनाद्रि उनकी कर्मभूमि है।'
झारखंड का भी दावा
हनुमान की जन्मस्थली का दावा करने वाला राज्य झारखंड भी है। कुछ लोगों का मानना है कि झारखंड के गुमला जिले के आंजन धाम में उनका जन्म हुआ था। आंजन का नाम हनुमान की मां अंजनी के नाम पर ही पड़ा। यहां एक रहस्यमयी गुफा है। यहां के लोगों का मानना है कि एक बार नाराज होकर अंजनी ने हनुमान को इसी गुफा में बंद कर दिया था। यहां मां अंजनी की एक मूर्ति भी है जिसमें वह हनुमान को गोद में लिए बैठी हैं। पंपासुर नाम का एक कुंड भी है। कहा जाता है कि इस कुंड में भगवान राम और लक्ष्मण ने स्नान किया था।
हरियाणा के कैथल में हुआ था हनुमान का जन्म?
हरियाणा राज्य में कैथल है। कैथल को पहले कपिस्थल के नाम से जाना था। कपिस्थल के राजा हनुमान के पिता केसरी थे। इस वजह से कैथल को भगवान हनुमान की जन्मस्थली माना जाता है। यहां पर एक प्राचीन हनुमान मंदिर भी बना है। मंदिर के स्थान पर पहले एक टीला हुआ करता था। इसे हनुमान की मां अंजनी के नाम से जाना जाता है। यहां के लोगों का मानना है कि अंजनी अपने पति केसरी के साथ इसी टीले पर रहती थीं और उन्होंने यहीं हनुमान को जन्म दिा था।
गुजरात का हनुमान के जन्म पर क्या है तर्क?
गुजरात के डांग जिले में एक स्थान है, माना जाता है कि हनुमान का जन्म यहीं हुआ था। डांग जिले को रामायण काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में जाना जाता था। लोगों का मानना है कि राम ने वनवास के दौरान पंचवटी की ओर जाते समय डांग से गुजरे थे। डांग जिले के सुबिर के पास भगवान राम और लक्ष्मण को शबरी माता ने बेर खिलाए थे। डांग जिले के आदिवासियों की सबसे प्रबल मानता यह भी है कि डांग जिले के अंजनी पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमान का जन्म हुआ था।


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