दिल्ली में सबसे ज्यादा लावारिस शिशुओं को छोड़ने के मामले,महाराष्ट्र और एमपी टॉप टेन में: NCRB

Update: 2021-12-29 10:31 GMT

नई दिल्ली: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau-NCRB) की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में साल 2015 और साल 2020 के बीच किसी भी भारतीय शहर में लावारिस छोड़े गए शिशुओं के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. इसी समयावधि में महाराष्ट्र (Maharashtra) में लावारिस छोड़े गए बच्चों, भ्रूण हत्याओं और शिशु हत्याओं के सबसे अधिक 6,459 मामले सामने आए जो राष्ट्रीय आंकड़ों का 18.3 प्रतिशत है.

शिशुओं को लावारिस छोड़े जाने के मामले में महाराष्ट्र 1,184 मामलों के साथ शीर्ष पर है, मध्य प्रदेश 1,168 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, इसके बाद राजस्थान (814), कर्नाटक (771) और गुजरात (650) है. शहरों में, दिल्ली 221 मामलों के साथ सबसे ऊपर है. इसके बाद बेंगलुरु (156), मुंबई, अहमदाबाद (75), और इंदौर (65) हैं.

क्या है बच्चों को लावारिस छोड़ने की वजह?

अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा, 'शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मामले और कारण अलग-अलग हैं.

शहरी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक कारक हो सकते हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में, यह बच्चियों के जन्म का मुद्दा हो सकता है. जांच में इन मामलों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है.'

पुलिस की भाषा में बच्चों को लावारिस छोड़े जाने के मामलों को तीन श्रेणियों के तहत पंजीकृत किया जाता है जिसमें शिशुहत्या, भ्रूण हत्या और बच्चे को लावारिस छोड़ना शामिल है. जांचकर्ताओं ने कहा कि शिशु हत्या और भ्रूण हत्या की मुख्य वजह गरीबी है. वहीं कन्या भ्रूण हत्या दहेज प्रथा और आर्थिक स्थिति के चलते की जाती है. अन्य वजहों में विकृत शिशु, अकाल, सपोर्ट सर्विस की कमी और डिप्रेशन शामिल है.

कोविड के प्रकोप के बाद महाराष्ट्र में भी छोड़े गए नवजात शिशुओं की संख्या में गिरावट देखी गई. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में महाराष्ट्र में 143 मामले सामने आए जबकि पिछले वर्ष 184 मामले सामने आए थे. पुलिस द्वारा जांच किए जाने पर ज्यादातर मामलों में सामने आया है कि शिशु को छोड़ने वाला व्यक्ति सामाजिक कलंक के कारण बच्चे को वापस नहीं चाहता.

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