World No Tobacco Day: कोविड महामारी के दौरान कितना खतरनाक है स्मोकिंग 50% बढ़ जाता है मौत का ख़तरा!

World No Tobacco Day इस वक्त कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए स्मोकिंग यानी धूम्रपान छोड़ दिया जाए तो ये सबसे बड़ा काम होगा। इससे न सिर्फ कोविड-19 बल्कि कैंसर हृदय रोग और सांस से जुड़ी बीमारियों के विकसित होने का जोखिम भी कम होगा।

Update: 2021-05-31 07:12 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जो लोग स्मोक करते हैं, उनमें कोविड-19 से गंभीर बीमारी होने का और यहां तक कि मृत्यु का जोखिम 50 प्रतिशत बढ़ जाता है। ऐसा WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेबियस ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा। उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि इस वक्त कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए स्मोकिंग यानी धूम्रपान छोड़ दिया जाए, तो ये सबसे बड़ा काम होगा। इससे न सिर्फ कोविड-19 बल्कि कैंसर, हृदय रोग और सांस से जुड़ी बीमारियों के विकसित होने का जोखिम भी कम होगा।

उन्होंने कहा, "हम सभी देशों से WHO अभियान में शामिल होने और तंबाकू मुक्त वातावरण बनाने के लिए अपनी भूमिका निभाने का आग्रह करते हैं, जो लोगों को धूम्रपान छोड़ने के लिए ज़रूरी जानकारी, समर्थन और उपकरण की जानकारी देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 'तंबाकू छोड़ने की प्रतिबद्धता' अभियान ने अपने स्मोकिंग छोड़ने के टूलकिट से संसाधनों को एक अरब से अधिक लोगों के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध कराया।
स्मोकर्स के लिए ऐसे बढ़ जाता है कोरोना का जोखिम

धूम्रपान करने से वैसे भी फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। वहीं, कोरोनो वायरस भी फेफड़ों को ही संक्रमित करता है, इसलिए जो लोग स्मोक करते हैं उनके लिए ये जोखिम और बढ़ जाता है। हालांकि, हाल ही के एक शोध में पता चला है स्मोक करने से शरीर में एक तरह का एंजाइम बढ़ जाता है जो फेफड़ों को संक्रमित करने में कोरोना वायरस की मदद करता है।
क्लब में बैठकर सिगरेट पीती हुई महिला
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक शोध में पाया गया है कि धूम्रपान से कोरोना वायरस का ख़तरा बढ़ सकता है क्योंकि इससे ऐसे एंज़ाइम बढ़ जाते हैं, जो कोरोनो वायरस को फेफड़ों की कोशिकाओं में ले जाते हैं। यूरोपीय रेस्परटोरी जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, एस-2 (ACE-2) नाम का एक एंज़ाइम, धूम्रपान करने वाले लोगों के शरीर में बढ़ी हुई मात्रा में रहता है साथ ही उन लोगों में भी, जो क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमानरी बीमारी से ग्रस्त हैं। यह एंज़ाइम फेफड़ों में जाने के लिए वायरस की मदद करता है, और वायरस का दोबारा अटैक करना भी आसान बना देता है।
पिछले साल भी हुआ था शोध
ये शोध पिछले साल किया गया था, जिसका डाटा चीन से लिया गया था। कोरोना वायरस की पहली लहर के डाटा पर आधारित इस शोध में पाया गया था कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में और विशेष रूप से धूम्रपान करने वाले पुरुषों में मृत्यु दर बहुत अधिक था। इस शोध के लिए क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमानरी बीमारी (COPD) से ग्रस्त 21 मरीज़ों के नमूने लिए गए थे, और 21 नमूने उन लोगों के जिन्हें COPD नहीं है लेकिन स्मोक करते हैं। इस शोध में पाया गया कि COPD के मरीज़ और धूम्रपान करने वाले, दोनों तरह के लोगों के शरीर में ऐस-2 उच्च स्तर में मौजूद था।

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