महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य के लिए 30 की आयु के बाद जरूर करना चाहिए ये टेस्ट

महिलाओं का बेहतर स्वास्थ्य

Update: 2022-03-07 14:30 GMT
घर से लेकर ऑफिस तक और उद्यम से लेकर राजनीति तक, पिछले एक दशक में हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी पहले की तुलना में बढ़ती हुई देखी गई है। हालांकि महिलाओं का स्वास्थ्य अब भी बड़ा चैलेंज है। अध्ययन बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा अधिक होता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य स्थितियों का सामना करना पड़ता है। तमाम क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए हर साल 8 मार्च को 'विश्व महिला दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस महिला दिवस पर हम सेहत के लिहाज से महिलाओं के लिए चुनौतियों को लेकर चर्चा करेंगे।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कई तरह के जोखिम कारक महिलाओं की सेहत को प्रभावित कर सकते है। हालांकि यदि नियमित जांच और सेहत को बेहतर बनाए रखने के निरंतर प्रयास किए जाते रहें तो इस वैश्विक चुनौती को काफी हद तक कम किया जा सकता है। नियमित स्वास्थ्य की जांच कराते रहने की आदत आपको कई गंभीर बीमारियों के खतरे से बचा सकती है। अपने स्वास्थ्य को लेकर सक्रिय होने से कई गंभीर समस्याओं को रोका जा सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं कि 30 की आयु के बाद हर महिला को सालाना कौन से जांच जरूर कराने चाहिए जिससे गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सके।
थायरॉयड की जांच
आंकड़े बताते हैं कि करीब 60 फीसदी भारतीय महिलाएं थायरॉयड विकारों से पीड़ित हैं। गले में मौजूद तितली के आकार की थायरॉयड ग्रंथि के ठीक से काम न करने के कारण हार्मोंन का उत्पादन प्रभावित हो जाता है, जिसके कारण कई तरह की थायरॉयड से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। उम्र बढ़ने के साथ इस तरह की समस्या से बचे रहने के लिए 30 की आयु के बाद हर महिला को सालाना थायरॉइड स्टिम्युलेटिंग टेस्ट (टीएसएच परीक्षण) जरूर कराना चाहिए। थायरॉयड समस्याओं के कारण बाल झड़ने, अवसाद और अनियमित मासिक धर्म चक्र जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
सर्वाइकल कैंसर की जांच
भारत में हर साल लगभग 74 हजार से अधिक महिलाओं की मृत्यु सर्वाइकल कैंसर से होती है। इसकी मौत को तभी कम किया जा सकता है जब इस कैंसर का शुरुआती चरणों में निदान और इलाज किया जाए। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि ज्यादातर मामलों में इस कैंसर का निदान ही उन्नत चरणों में हो पाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक हर दो साल में एक बार पैप स्मीयर टेस्ट करवाना, विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए यह जरूरी है जो यौन रूप से सक्रिय हैं। ऐसा करके आप गंभीर कैंसर के खतरे से बची रह सकती हैं।
जरूर कराती रहें खून की जांच
सीबीसी परीक्षण आवश्यक
वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2017 के अनुसार, 15-49 वर्ष की आयु के बीच की 51 फीसदी भारतीय महिलाएं एनीमिया (लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) की शिकार हो जाती हैं। शरीर के बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने और कई तरह के रोगों के खतरे से बचाव के लिए लाल रक्त कोशिकाओं की पर्याप्त मात्रा आवश्यक होती है। रक्त में इन कोशिकाओं के स्वस्थ अनुपात को सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से कंप्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी परीक्षण) महत्वपूर्ण है, जिससे एनीमिया को शुरुआत को ही रोका जा सके।
महिलाओं में आंखों की बढ़ती समस्या
आंखों की जांच
एक अध्ययन के अनुसार, कुछ संभावित जैविक कारकों के चलते भारतीय महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अंधेपन की समस्या का खतरा 35 प्रतिशत अधिक होता है। डायबिटीज जैसी बीमारियां भी आंखों की सेहत पर गंभीर असर डाल सकती हैं। ऐसे में सभी महिलाओं को साल में एक बार आंखों की जांच अवश्य करानी चाहिए। शॉर्प साईट आई हॉस्पिटल्स की सीईओ दीपशिखा शर्मा कहती हैं, महिलाओं को सेहत को लेकर विशेष जागरूकता दिखाने की आवश्यकता है। आंखों की नियमित रूप से जांच कराने से आप आंखों से संबंधित कई तरह की गंभीर बीमारियों के जोखिम को समय रहते पता करके उससे बचाव कर सकती हैं।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: यह हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं, इस लेख में दी गई जानकरी के लिए जनता से रिश्ता टीम उत्तरदायित्व नहीं है 
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