समय के साथ कोविड खत्म नहीं कमजोर होगा, हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के डॉ. शिव पिल्लई का कहना

वैश्विक महामारी (पेंडेमिक) को दुनिया से पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता, बल्कि समय के साथ जब ज्यादातर लोगों के शरीर की प्रतिरक्षा मजबूत हो जाएगी तो यह संक्रमण खुद-ब-खुद कमजोर रूप में एक महामारी (इंडेमिक) रह जाएगा। यह कहना है भारतवंशी व हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय की प्रख्यात प्रतिरक्षा विज्ञानी डॉ. शिव पिल्लई का।

Update: 2022-01-27 03:00 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैश्विक महामारी (पेंडेमिक) को दुनिया से पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता, बल्कि समय के साथ जब ज्यादातर लोगों के शरीर की प्रतिरक्षा मजबूत हो जाएगी तो यह संक्रमण खुद-ब-खुद कमजोर रूप में एक महामारी (इंडेमिक) रह जाएगा। यह कहना है भारतवंशी व हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय की प्रख्यात प्रतिरक्षा विज्ञानी डॉ. शिव पिल्लई का।

डॉ. पिल्लई अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के मेडिकल स्कूल में रोगप्रतिरक्षा विज्ञान के ग्रेजुएट कार्यक्रम के प्रमुख हैं। उन्होंने एक हालिया साक्षात्कार में कहा कि'मुझे नहीं लगता कि यह महामारी पूरी तरह खत्म होगी, बल्कि जैसे-जैसे टीकाकरण व प्राकृतिक संक्रमण के चलते हमारा शरीर मजबूत होगा, यह बीमारी कमजोर होती जाएगी। एक स्तर पर पहुंचकर हम इसके साथ रहना सीख लेंगे। वक्त के साथ कोरोना वायरस कमजोर होगा और उतना घातक नहीं रहेगा, जितना अब तक बना हुआ है।'
टीका ज्यादा असरदार बनेगा
इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में कोरोना का टीका भी इस बीमारी के खिलाफ ज्यादा असरदार होगा। साथ ही इसकी कुछ विशिष्ट प्रभावी दवाएं भी हमारे बीच उपलब्ध हो जाएंगी। उनका अनुमान है कि पैक्सलोविड और सिप्ला की दवा महामारी पर काबू पाने में अहम भूमिका निभाने वाली होगी।
भारत में ओमीक्रोन का दूसरा रूप फैलना चिंताजनक
डॉक्टर शिव पिल्लई का कहना है कि भारत में ओमिक्रॉन के पहले वर्जन बीए.1 की तुलना में दूसरा वर्जन बीए.2 ज्यादा तेजी से फैल रहा है। ओमीक्रोन वेरिएंट की तुलना में ओमीक्रोन से ही टूटकर बना इसका दूसरा स्वरूप ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि ये वेरिएंट हमारी चिंता का प्रमुख कारण है मगर इसके असर को लेकर अभी कम जानकारियां सामने आ सकी हैं।
उन्होंने बताया कि ओमीक्रोन का पहला वेरिएंट बीए.1 फेफड़ों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाता इसलिए कई देशों में संक्रमण फैला मगर ज्यादा घातक नहीं हुआ। मगर जिन देशों में ओमीक्रोन का दूसरा वेरिएंट फैल रहा है, वहां खतरा हो सकता है। उन्होंने बताया कि भारत में पहले लोग ओमीक्रोन के पहले वेरिएंट से संक्रमित हुए थे, मगर अब दूसरा वेरिएंट ज्यादा तेजी से फैल रहा है, इसके क्या परिणाम होंगे, यह जानकारी निकट भविष्य के अध्ययनों में सामने आएगी। साथ ही डॉ. पिल्लई ने कहा कि यह भी हो सकता है कि भारत में बीए.1 से संक्रमित होने वालों को बीए.2 वेरिएंट के खिलाफ प्रतिरक्षा मिल जाए।


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