क्या रमजान महीने में इंटरमिटेंट फास्टिंग से कम होगा वजन?

नवरात्रि के दौरान आज इस्लाम धर्म का पवित्र रमजान महीना भी शुरू हो गया है। रमजान को दया और आध्यात्मिकता का अभ्यास करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।

Update: 2022-04-02 13:13 GMT

नवरात्रि के दौरान आज इस्लाम धर्म का पवित्र रमजान महीना भी शुरू हो गया है। रमजान को दया और आध्यात्मिकता का अभ्यास करने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। वहीं, इस दौरान मुसलमान पूरा महीना व्रत रखते हैं। हालांकि वह सुबह और शाम को सहरी और इफ्तार (सुबह-शाम) भोजन करते हैं। आप इसे इंटरमिटेंट फास्टिंग भी कह सकते हैं। इस महीने के दौरान उपवास करने के अपने फायदे हैं क्योंकि यह आपके शरीर को नेचुरल डिटॉक्सीफाई करने में मदद करता है। चलिए आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको इंटरमिटेंट फास्टिंग के कुछ फायदे बताते हैं...

वजन घटाए
शोध के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग वजन घटाने और चर्बी घटाने के लिए काफी प्रभावी है। दरअसल, लंबे समय तक उपवास करने से मेटाबॉलिक स्विच होता है, जिससे वेट लूज में मदद मिलती है।
आंतों को करे साफ
रमजान के दौरान महीनेभर का उपवास करने से बॉडी डिटॉक्सीफाई होती है। जब हम 12-14 घंटे से अधिक समय तक रुक-रुक कर उपवास करते हैं तो लिवर का ग्लाइकोजन समाप्त हो जाता है और फिर से भर जाता है। इससे आंतों की भी सफाई होती है।
डायबिटीज का खतरा घटाए
इंटरमिटेंट फास्टिंग इंसुलिन प्रतिरोध को कम करता है और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग हाई ब्लड प्रेशर और LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी मददगार है।
शरीर की सूजन को करे कम
यह शरीर सूजन को कम करने में मदद करता है, जो कई बीमारियों का एक प्रमुख कारण है। इसके अलावा इंटरमिटेंट फास्टिंग कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, मोटापा और रक्तचाप को कम करने में भी मददगार है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान
- बार-बार और अधिक मात्रा में भूख लगती है।
- सिरदर्द के साथ कई बार चक्कर भी आने लगते हैं।
- इसे करने पर शरीर अलग ढंग से काम करता है। ऐसे में कमजोरी, थकान व सिरदर्द की शिकायत होने का खतरा रहता है।
- उपवास के कारण कई बार भूख कंट्रोल करने में मुश्किल आती है। ऐसे में व्यक्ति के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने लगता है।


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