एम्स में कौन से मरीज ले सकते हैं प्राइवेट वॉर्ड, निजी अस्पतालों से बेहद कम हैं चार्जेस
लाइफस्टाइल: ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज दिल्ली में देश के किसी भी कोने से आने वाले मरीजों का मुफ्त या बेहद कम कीमत पर इलाज किया जाता है. फ्री इलाज के ही चलते सभी सुविधाओं से लैस देश के इस सबसे बड़े अस्पताल में मरीजों की भीड़ लगी रहती है और अस्पताल की क्षमता से भी ज्यादा मरीज रोजाना यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में कई बार मरीज के साथ आने वाले अटेंडेंट ही नहीं बल्कि खुद मरीज बेड की कमी के चलते स्ट्रेचर पर लेटकर भी इलाज लेते नजर आते हैं लेकिन क्या आपको मालूम है कि सरकारी ढर्रे पर काम करने वाले इस एम्स अस्पताल में मरीजों के लिए प्राइवेट वॉर्ड या प्राइवेट रूम की भी सुविधा मौजूद है.
एम्स में दो तरह से इलाज होता है. जनरल वॉर्ड्स में उन मरीजों को रखा जाता है जो इलाज के लिए पैसे खर्च नहीं कर सकते और उनका पूरा इलाज फ्री किया जाता है. जनरल वॉर्ड में अगर मरीज भर्ती होता है तो उसे सिर्फ ऑपरेशन आदि में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों पर खर्च करना होता है, बाकी खाने से लेकर इलाज तक सभी चीजें मुफ्त होती हैं.
लेकिन दूसरी तरह से एम्स में प्राइवेट वॉर्ड या प्राइवेट रूम की तर्ज पर इलाज किया जाता है. ये सुविधा उन मरीजों के लिए है जो इलाज के लिए पैसा खर्च कर सकते हैं. इन वॉर्ड्स में मरीज को कई मदों में खर्च देना होता है. हालांकि खास बात ये है कि एम्स के ये प्राइवेट रूम किसी भी प्राइवेट अस्पताल के वॉर्ड्स से बेहतर और सुविधाओं से लैस तो हैं ही, सस्ते भी होते हैं.
एम्स दिल्ली में कुल 3194 बेड्स हैं. इनमें से प्राइवेट वॉर्ड या प्राइवेट बेड की संख्या 288 है. जबकि जनरल केटेगरी के कुल बेड 2906 हैं. चूंकि यहां ज्यादातर लोग फ्री इलाज के लिए ही आते हैं ऐसे में जनरल वॉर्ड्स में भर्ती को लेकर मारामारी रहती है और लंबी तारीख मिलती है लेकिन प्राइवेट वॉर्ड में ऐसा कम ही देखने को मिलता है.
कौन से मरीज ले सकते हैं प्राइवेट बेड
एम्स की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि जो भी मरीज एम्स में पैसे खर्च कर इलाज कराना चाहते हैं वे अस्पताल में प्राइवेट वॉर्ड ले सकते हैं. इसकी प्रक्रिया भी बेहद आसान है. जब भी मरीज को भर्ती किया जा रहा हो, तो वहां प्राइवेट रूम के लिए बोलना होता है.
कितना है खर्च?
एम्स में दो तरह से प्राइवेट रूम मिलते हैं. डीलक्स यानि ए क्लास और बी क्लास. पिछले साल ही एम्स प्रशासन ने दोनों क्लासों में प्राइवेट रूम के चार्जेस को बढ़ाया है. ऐसे में अब ए क्लास यानि डीलक्स वॉर्ड के लिए 6 हजार रुपये प्रतिदिन और बी क्लास के रूम के लिए 3 हजार रुपये रोजाना चार्ज देना होगा. इसके साथ ही 300 रुपये डाइट चार्ज भी देना होगा.
10 दिन का एडवांस जमा करने का है नियम
एम्स प्रबंधन के अनुसार जो भी मरीज प्राइवेट वॉर्ड लेना चाहते हैं उन्हें एडवांस में 10 दिन का चार्ज एक साथ जमा करना होता है. ऐसे में अगर कोई मरीज प्राइवेट वॉर्ड लेता है तो उसे ए क्लास के लिए वॉर्ड और डाइट चार्ज मिलाकर एक साथ 63000 रुपये और बी क्लास के लिए एक साथ 33 हजार रुपये जमा कराने होंगे. हालांकि अगर मरीज 10 दिन से कम भर्ती रहता है तो उसे बचा हुआ पैसा वापस कर दिया जाता है.
हालांकि एम्स के प्राइवेट वॉर्ड में प्राइवेट अस्पतालों की तरह सीधे आकर भर्ती होकर इलाज नहीं कराया जा सकता है. इसके लिए एम्स की एडमिशन की पूरी प्रकिया का पालन करना होता है. बेड का चुनाव जनरल या प्राइवेट में से खर्च उठाने की क्षमता के हिसाब से कर सकते हैं.