क्या होता है खरमास? जानिए इसकी धार्मिक महत्व एवं पौराणिक कथा
पंचांग के अनुसार खरमास 15 दिसंबर से शुरू हो रहा है. इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन हो रहा है. सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करेंगे.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पंचांग के अनुसार खरमास 15 दिसंबर से शुरू हो रहा है. इस दिन सूर्य का राशि परिवर्तन हो रहा है. सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करेंगे. इस राशि परिवर्तन को धनु संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. इसके बाद सूर्य मकर राशि में आते हैं जिसे मकर संक्रांति कहते हैं.
खरमास कब तक है
पंचांग के अनुसार जब सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करते हुए बृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करता है, तो अगले 1 माह तक खरमास लग जाता है. इन 30 दिनों की अविधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इसलिए खरमास के दौरान विवाह संस्कार जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं इसके साथ ही इस दौरान भवन निर्माण, नया बिजनेस, नई चीजों की खरीदारी नहीं की जाती है.
सूर्य की गति धीमी हो जाती है
पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य देव की गति खरमास के दौरान धीमी पड़ने लगती है. खरमास को सौर मास भी कहा जाता है.
खरमास का धार्मिक महत्व
खरमास में धार्मिक यात्रा करने को श्रेष्ठ माना गया है. इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की उपासना और सूर्य देव की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. खरमास के दौरान पवित्र नदी में नित्य स्नान करने से कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है. इस मास में पड़ने वाली एकादशी पर व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है.
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खरमास में ये करें
खरमास में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप करना चाहिए. खरमास में पीपल पूजन करना चाहिए. जिन लोगों को किसी प्रकार की बाधा का सामना करना पड़ रहा है उन्हें खरमास की नवमी तिथि को कन्याओं को भोजन करा कर उपहार प्रदान करना चाहिए.
खरमास न करें ये काम
खरमास में हर प्रकार की व्यसनों से बचना चाहिए. इस दौरान मन को शांत रखना चाहिए. संयम और धैर्य के साथ मास को पूर्ण करना चाहिए. मन में अच्छे विचार रखने चाहिए. जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए.