ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई देश मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। ग्लेशियरों के पिघलने से समुद्र के स्तर में पहले के अनुमान से अधिक वृद्धि हो सकती है। इससे कुछ देशों की जमीन के बड़े हिस्से के समुद्र में विलय होने की भी आशंका है। ऐसे ही देशों में मालदीव भी शामिल है।
ग्रीनलैंड में पीटरमैन ग्लेशियर के एक नए उपग्रह अध्ययन से पता चला है कि इसकी सतह रेखा ज्वार के साथ बदलती है। यह वह रेखा है जहां ग्लेशियर से बर्फ समुद्र के संपर्क में आती है और उस पर तैरती है। अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने बताया कि यह गर्म पानी ग्लेशियर के नीचे से अपना रास्ता बनाता है। इस अध्ययन के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में यह लगभग 2.5 मील आगे बढ़ चुका है। इससे समुद्र के गर्म पानी ने इसके नीचे 670 फीट का गड्ढा बना दिया है।
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि ज्वारीय प्रवाह की ताकत के कारण ग्लेशियर का गर्म पानी से संपर्क और उसका पीछे हटना बढ़ जाता है। ग्रीनलैंड की बर्फ में बदलाव को समझने की कोशिश कर रहे ग्लेशियोलॉजिस्ट के लिए ये हैरान करने वाले निष्कर्ष हैं। ग्रीनलैंड में अरबों टन बर्फ गुजर चुकी है। अध्ययन के सह-लेखक और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के प्रोफेसर, एरिक रिग्नॉट ने समझाया, "बर्फ और समुद्र के बीच इस टकराव से ग्लेशियरों को समुद्र के गर्म होने की तुलना में अधिक नुकसान होता है। इन निष्कर्षों को मॉडल में शामिल नहीं किया गया था।" यदि हम उन्हें शामिल करते हैं, तो यह समुद्र के स्तर में वृद्धि के पूर्वानुमान को 200 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। केवल पेटरमैन ही नहीं, बल्कि समुद्र से सटे सभी ग्लेशियरों के लिए भी यही स्थिति होगी।"
गर्म हवा के कारण ग्लेशियर के ऊपर की बर्फ को पीछे धकेल दिया जाता है, लेकिन समुद्र के उच्च तापमान के कारण ग्लेशियर के निचले हिस्से की बर्फ कट कर पिघल जाती है और समुद्र में चली जाती है। ग्लेशियर की बर्फ के नुकसान से बर्फ में रहने वाले जीवों के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है। पिछले साल एक अध्ययन में बताया गया था कि हवा के उच्च तापमान के कारण बर्फ के पीछे हटने से बनने वाला पानी समुद्र में बढ़ रहा है।