VASTU TIPS: नया घर लेने से पहले जानें ये वास्तु शास्त्र, होगा लाभ
जमीनों के बढ़ते दाम और भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोगों के लिए घर बनाने से बेहतर विकल्प होता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| जमीनों के बढ़ते दाम और भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोगों के लिए घर बनाने से बेहतर विकल्प होता है पहले से ही निर्मित घर या फ्लैट खरीदना। लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, इसलिए जहां फ्लैट खरीदने का यह विकल्प आर्थिक रूप से और समय की बचत करने के लिहाज से तो लाभकारी होता है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी है। उदाहरण के लिए आप अपनी इच्छा अनुसार घर नहीं बना पाते हैं, जिसके चलते में फ्लैट में वास्तु दोष रहने की आशंका भी रहती है। ऐसे में वास्तु सम्मत फ्लैट खरीदने के लिए कुछ सावधानियां रखनी बेहद जरुरी हैं। आइये जानते हैं वास्तुकार संजय कुड़ी से कि फ्लैट खरीदने के लिए वास्तु के क्या हैं जरूरी टिप्स।
1. मुख्य द्वार की दिशा
फ्लैट में सभी स्थान और गतिविधियां वास्तु सम्मत मिलना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसे में कुछ अतिमहत्वपूर्ण बातों का ही विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। किसी भी निवास स्थान में ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं के प्रवेश का स्थान यानी कि मुख्य द्वार सही स्थान पर होना बहुत जरुरी है। यह द्वार इस बात का निर्धारण करने में बड़ी भूमिका निभाता है कि आपका जीवन किस दिशा में जाएगा। उदाहरण के लिए उत्तर दिशा में तीन द्वार शुभ होते है, जिन्हें क्रमशः मुख्य, भल्लाट और सोम के नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार पूर्व में जयंत और इंद्र शुभ द्वार होते हैं और दक्षिण में वितथ और गृहरक्षत लाभदायक द्वार माने जाते हैं। ये सभी द्वार एक कंपास में निश्चित डिग्रियों पर स्थित होते हैं।
2. फ्लैट का आकार
अक्सर फ्लैट्स में यह देखने को मिलता है कि इनका कोई ना कोई हिस्सा बढ़ा हुआ या कटा हुआ होता है। वैसे तो एक भूखंड में या निवास स्थान में किसी भी हिस्से का बढ़ना या कटना सामान्यतया ठीक नहीं माना जाता है, लेकिन इसमें भी कुछ विशेष दिशाएं होती हैं, जिनका कटना या बढ़ना ज्यादा नकारात्मक नतीजे प्रदान करता है। उदाहरण के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा जिसे नैऋत्य कोण के रूप में जाना जाता है, इसका कटना या बढ़ना परिवार कि आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति पर अशुभ प्रभाव डालता है। ऐसे ही उत्तर-पूर्व दिशा का कटना भी व्यक्ति के जीवन में संघर्ष का कारण बनता है। हालांकि फ्लैट में अगर उत्तर-पूर्व दिशा कुछ बढ़ी हुई हो, तो यह व्यक्ति को आर्थिक उन्नति प्रदान करने में बहुत लाभकारी रहता है।
3. विभिन्न कमरों की दिशाएं
एक निवास स्थान में कुछ गतिविधियों और कमरे, ऐसे होते हैं जिनका कुछ विशेष दिशाओं में होना वास्तु के अंतर्गत बेहद नकारात्मक परिणाम प्रदान करती है, जैसे कि उत्तर-पूर्व में निर्मित टॉयलेट एक ऐसा वास्तु दोष है, जिससे हर हाल में बचना चाहिए। इसी प्रकार अगर आपका बेड दक्षिणी नैऋत्य में स्थित है, तो यह वहां पर सोने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य को ख़राब करने और अनावश्यक खर्चों को बढ़ाने का काम करेगा। बेडरूम के लिए दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण और पश्चिम अच्छी दिशाएं हैं।
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