मां बनने के लिए अपनी ख्वाहिशों का त्याग करना जरूरी हैं, जाने बातें
फैशन ब्लॉगर और यूट्यूबर रोशनी भाटियाअपने स्टाइल में मदरहुड से जुड़े कई स्टीरियोटाइप्स को तोड़ती हुई नजर आती रहती हैं. आप भी उनसे जानिए क्या मां बनने के बाद ख्वाहिशों को मारना सही है?
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मां बनने का ऐहसास बेहद खास होता है. महिला के जीवन में मां बनने के बाद कई तरह के बदलाव आते हैं, फिर चाहे ये बदलाव शारीरिक तौर पर हों या मानसिक. साथ ही एक महिला से शादी के बाद या मां बनने के बाद समाज के कई सारे लोग यह उम्मीद भी करते हैं कि वह एक दायरे में बंध जाएं लेकिन फैशन ब्लॉगर और यूट्यूबर रोशनी भाटिया (Fashion Blogger and YouTuber Roshni Bhatia) अपने स्टाइल में इस दायरे को सोशल मीडिया पर अपनी वीडियोज पोस्ट कर तोड़ती नजर आती रहती हैं. उन्होंने बड़े ही स्टाइलिश अंदाज में मदरहुड से जुड़े कई स्टीरियोटाइप (Motherhood stereotypes) तोड़े हैं.
आपको बता दें कि रोशनी भाटिया ने @thechiquefactor के नाम से बने अपने इंस्टाग्राम (Instagram) हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें वो बेहद खूबसूरत लग रही हैं और एक सुंदर ड्रेस पहने हुए नजर आ रही है. रोशनी ने इस वीडियो पर टेक्सट लिखते हुए बताया है कि कैसे वो मदरहुड से जुड़े कई स्टीरियोटाइप्स को स्टाइल में तोड़ती हैं. रोशनी मेकअप लगा कर और बैकलेस ड्रेस (Backless dress) पहनकर सर्कास्टिकली लोगों को यह बताती हैं कि मदरहुड (Motherhood) का मतलब पिंजरे में कैद होना नहीं है बल्कि आप मां बनने के बाद भी वो सब कुछ कर सकती हैं जो हमेशा से करना चाहती थीं. यह वीडियो रोशनी ने उन लोगों को बिना कुछ बोले जवाब देने के लिए बनाया है, जो मां बन चुकी महिलाओं को कहते हैं कि उन्हें सिर्फ ट्रेडिशनल कपड़े पहनने चाहिए, उनकी फैमिली और बच्चे ही उनकी प्रायोरिटी होनी चाहिए और वो काम नहीं भी करेंगी तो चलेगा. साथ ही उन्होंने उन लोगों को भी जवाब दिया है जो कहते हैं कि महिलाओं को उनके पसंद की चीजें न खरीद कर. पैसों को बच्चों के लिए बचाना चाहिए और मेकअप करने में समय बर्बाद न कर बच्चों के साथ ही वक्त बिताना चाहिए.
आपको बता दें कि दोबारा शादी करने से पहले रोशनी एक ऐसे बंधन में बंधी हुईं थीं, जहां उन्हें खुलकर जीने की आजादी नहीं थी. जानकारी दे दें कि उनका एक बेटा है जो कि उनका बेस्ट फ्रेंड भी है. रोशनी के मुताबिक मां बनने का मतलब यह नहीं है कि महिलाओं को अपनी ख्वाहिशों का त्याग कर देना चाहिए. काम करना, न करना और अपने हिसाब से जिंदगी जीना हर किसी की अपनी पसंद और अधिकार होना चाहिए.