वैक्सीनेशन के कारण आने वाले महीनों में देश में हो सकती है ये गंभीर समस्या

कोरोना संक्रमण की रफ्तार को काबू करने के लिए सरकार ने टीकाकरण पर विशेष जोर दिया है

Update: 2021-05-02 08:05 GMT

कोरोना संक्रमण की रफ्तार को काबू करने के लिए सरकार ने टीकाकरण पर विशेष जोर दिया है। 1 मई से देश में 18 साल और उससे अधिक आयु के लोगों को टीके दिए जाने की शुरुआत हो गई है। कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए इसी तरीके को जानकार सबसे प्रभावी मानते हैं। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही देश के सभी युवाओं को वायरस से सुरक्षा देना वाला यह टीका मिल जाएगा।


एक ओर जहां टीकाकरण को बेहद जरूरी और फायदेमंद माना जा रहा है, वहीं इसके एक पहलू को लेकर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य संस्थाओं को सचेत भी किया है। डॉक्टरों का कहना है कि वैक्सीनेशन के कारण आने वाले महीनों में देश को एक दूसरी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है, आइए इस बारे में जानते हैं।

क्या है डॉक्टरों की चिंता?

डॉक्टरों को डर है कि महामारी और टीकाकरण के कारण आने वाले महीनों में भारत में युवा रक्तदाताओं की भारी कमी आ सकती है। खून की बढ़ती मांग और रक्त दाताओं की कमी के कारण ब्लड बैंक पहले से ही रक्त की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में देश में कई मिलियन यूनिट रक्त की कमी है जो आने वाले दिनों में और ज्यादा होने वाली है।

एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट में कार्डियोवस्कुलर थोरैसिक और ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ रघुवेंद्र चिकतूर कहते हैं कि ब्लड बैंकों में रक्त को अनिश्चित काल तक संग्रहित नहीं किया जा सकता है। ऐसे में भविष्य में आने वाली दिक्कतों से बचने के लिए रक्तदान शिविरों का संचालन कर लोगों को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करना होगा। कोरोना महामारी एक दिन खत्म हो जाएगी लेकिन उसके बाद ब्लड बैंकों में रक्त की कमी किसी विकट समस्या का कारण न बने, इस बारे में भी हमें विचार करना चाहिए।

क्या हैं टीकाकरण के बाद रक्तदान के नियम?

राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (NBTC) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जिन लोगों ने टीके लगवा लिए हैं वह वैक्सीन की प्रत्येक खुराक के बाद 28 दिनों तक रक्तदान नहीं कर सकते हैं। कई राज्य सरकारों ने दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन की घोषणा भी कर दी है। शिक्षण संस्थान बंद होने और वर्क फ्रॉम होम के कारण ब्लड बैंक रक्त दान शिविर नहीं लगा सकते हैं। ऐसे में डोनरों की काफी कमी देखा जा रही है। रक्त दान करने वाले ज्यादा लोग 19 से 44 की आयु वाले होते हैं, जिनके मन में फिलहाल रक्तदान को लेकर कई तरह के डर भी हैं।

विशेषज्ञ कहते हैं कि इस परिस्थिति को देखते हुए ब्लड बैंकों को आगे आना होगा। युवाओं से अपील करके उन्हें वैक्सीन लेने से पहले या पहली खुराक के कम से कम 28 दिन बाद (दूसरी खुराक लेने से पहले) रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करना होगा। जिससे बल्ड बैंकों में रक्त की कमी आने से रोका जा सके।

प्लाजमा डोनेशन पर भी देना होगा ध्यान

रक्तदान के साथ विशेषज्ञ प्लाजमा डोनेशन के लिए भी युवाओं से आगे आने की अपील कर रहे हैं। इस बारे में हमने लखनऊ स्थित केजीएमयू हॉस्पिटल में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की डॉ तुलिक चंद्रा से बातचीत की। डॉ तुलिक कहती हैं कि लोगों के मन में प्लाजमा डोनेशन को लेकर भी तरह-तरह के भ्रम हैं। जो मरीज कोविड संक्रमण से स्वस्थ होकर घर लौट आए हैं उनके अंदर एक ऐसी प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है जो कोरोना वायरस के लिए ढाल के रूप में काम करती है। ऐसे व्यक्ति दूसरे लोगों की जान बचा सकते हैं। ठीक होने के 14 दिन बाद और अधिकतम 4 महीने तक आप कई बार प्लाजमा दान कर लोगों की जान बचा सकते हैं।

नोट: यह लेख कार्डियोवस्कुलर थोरैसिक और ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ रघुवेंद्र चिकतूर और लखनऊ में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ तुलिक चंद्रा से एक बातचीत के साथ मीडिया रिपोर्टस के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। जनता से रिश्ता लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।



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