यह है एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय, जानिए क्यों है बहुत खास
जानिए क्यों है बहुत खास
हमारे देश में कई यूनिवर्सिटी और स्कूल हैं। पढ़ाई से लेकर कला के क्षेत्र तक, कई पॉपुलर यूनिवर्सिटीज पूरे देश में फेमस हैं। एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी है। आज हम आपको इस विश्वविद्यालय के बारे में कुछ खास बातें बताएंगे।
कब बनी थी यह यूनिवर्सिटी?
एशिया की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी है और इसकी स्थापना साल 1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी। यह यूनिवर्सिटी करीब 1300 एकड़ यानी 5.3 किलोमीटर में है। हर साल यहां से लगभग 30 हजार से ज्यादा स्टूडेंट पास होकर निकलते हैं और अपने करियर में सफलता प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ते हैं।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को ही बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर आयुर्वेदिक (चिकित्सा), वैदिक, कृषि, भाषा, विज्ञान, अर्थशास्त्र, ललित कला महाविद्यालय जैसे विभाग भी शामिल हैं।
आपको बता दें कि 1915-1916 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी द्वारा स्थापित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय देश के सबसे प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। 1916 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने विश्वविद्यालय की नींव रखी थी और उस समय विदेशी शासन होने के बावजूद इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए 1360 एकड़ जमीन मिली थी।
बेहद खास है बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी
जब मालवीय जी द्वारा इस विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए काशी नरेश से जमीन मांगा गया तो उन्होंने इसके लिए एक अनोखी शर्त रखी थी। इसके अनुसार, एक दिन में पैदल चलकर वो जितनी जमीन नाप लेंगे, उतना उन्हें दान में मिल जाएगी और फिर महामना दिन भर पैदल चल विश्वविद्यालय के लिए काशी नरेश से जमीन ली थी।(आस्ट्रेलिया जाकर पढ़ाई करने पर आपको मिलेंगे ये 4 फायदे)
पंडित मदन मोहन मालवीय जी, डॉ एनी बेसेंट और डॉ एस राधाकृष्णन् आदि महान लोगों के संघर्ष की वजह से इतना बड़ा शिक्षा का केंद्र स्थापित हो पाया था।
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।