दो बच्चों के बीच लड़ाई की वजह बन सकती हैं पेरेंट्स की ये गलतियां, रखें इनका ध्यान

Update: 2024-04-06 06:05 GMT
जिस घर में दो बच्चे होते हैं वहां चहल-पहल बनी रहती हैं। दोनों बच्चों के बीच का प्यार तो आपको देखने को मिलता ही हैं, लेकिन इसी के साथ ही उनके बीच नोक-झोंक भी देखने को मिलती हैं। बचपन से लेकर टीनएजर तक भाई-बहनों के बीच अक्सर छोटी-छोटी बातों पर लड़ाइयां होना आम बात है। कई बार इसके पीछे का कारण पेरेंट्स की कुछ आदतें भी बनती हैं। वैसे तो सभी माता-पिता अपने बच्चों को बराबर का प्यार और स्नेह देते हैं। लेकिन कई बार अनजाने में कुछ चीजें ऐसी हो जाती हैं जिसकी वजह से बच्चों के मन में खिन्नता हो जाती हैं जो लड़ाई के रूप में देखने को मिलती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं पेरेंट्स की उन गलतियों के बारे में जिनपर ध्यान देना बहुत जरूरी हैं।
दूसरे बच्चे की खुशी में अति उत्साहित होना
किसी के घर जब दूसरे या तीसरे बच्चे का जन्म हो रहा होता है तो मां-बाप अपने बच्चों से कहते हैं कि वो बड़े भाई या बहन बनने जा रहे हैं। उन्हें लगता है कि इस खबर से जैसे वो खुश हैं वैसे ही उनके बच्चे भी होंगे जो गलत है। वास्तव में अगर बच्चा छोटा है तो वो इस स्थिति को ज्यादा समझ भी नहीं पाता। ऊपर से बच्चे के जन्म के बाद मां-बाप का प्यार और अटेंशन दो बच्चों में बंट जाता है। उनके पास बड़े बच्चे को देने के लिए ज्यादा समय भी नहीं होता। बच्चों की वजह से व्यस्तता भी बढ़ जाती है। इसके अलावा बड़े बच्चे के लिए अपना कमरा, चीजें और खिलौने शेयर करना भी अलग अनुभव होता है। मां-बाप इस स्थिति पर ज्यादा ध्यान नहीं देते लेकिन बच्चे के लिए ये काफी परेशान करने वाला है। ऐसे में माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे के मन में अपने आने वाले भाई या बहन के लिए मनमुटाव ना हो।
भेदभाव करने से बचें
बच्चों की आपस में लड़ाई होने के बाद कुछ पेरेंट्स अक्सर किसी एक बच्चे का पक्ष ले लेते हैं। वहीं पेरेंट्स छोटे बच्चों की नादानियों को अवॉयड कर देते हैं और बड़े बच्चे को गलती करने पर फटकार लगाने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसे में भाई बहन के बीच दूरियां आना स्वाभिवक होता है। इसलिए लड़ाई करने पर किसी एक बच्चे का पक्ष बिल्कुल न लें और दोनों बच्चों को उनकी गलती का एहसास करवाएं।
दूसरे बच्चे के आने पर पहले को इग्नोर करना
मां-बाप के लिए ये उम्मीद करना गलत है कि नए बच्चे की खुशी को उनके बड़े भाई-बहन उसी तरह मनाएंगे जैसे वो मना रहे हैं। वास्तव में उनके लिए इस बात को दरकिनार करना काफी मुश्किल है कि अब उन्हें मां-बाप की पूरी अटेंशन नहीं मिलने वाली। छोटे बच्चे ये नहीं बता पाते कि वो क्यों नाराज हैं लेकिन उन्हें बखूबी ये बात चुभती है और वो गुस्सा कर, चीजें तोड़कर और रोकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं। ऐसे में मां-बाप को खासतौर पर अपने पहले बच्चे की इस मनोदशा को समझना चाहिए और उनको बराबर तवज्जो देने की कोशिश करनी चाहिए।
शेयरिंग के लिए फोर्स न करें
घर में छोटा बच्चा आने के बाद बड़े बच्चों को अक्सर अपने खिलौने और खाने की चीजें अपने छोटे भाई या बहन के साथ शेयर करनी पड़ती है। जाहिर है बच्चे बड़ों की तरह मैच्योर नहीं होते हैं। वहीं कई बार बच्चे अपनी चीजें शेयर करने से इंकार भी कर देते हैं। ऐसे में बच्चों को चीजें शेयर करने के लिए फोर्स करने के बजाए प्यार से समझाएं।
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