इन बातों का ध्यान रख मजबूत करें सास-बहू का रिश्ता, कभी नहीं होगी खटपट

कभी नहीं होगी खटपट

Update: 2023-08-26 13:06 GMT
शादी के बाद किसी भी लड़की का एकदम से नए परिवार के लोगों से तालमेल बैठाना थोड़ा मुश्किल काम होता हैं। यह तो हम सभी जानते है कि शादी के बाद कई नए रिश्ते बनते हैं जिन्हें संभालना और उनमें संतुलन बिठाना जरूरी होता हैं। सबसे अलग और अनोखा रिश्ता होता हैं सास-बहू का। इस रिश्ते में तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल होता है। सास और बहु महिलाओं के रूप में परिवार की वह कड़ी होती हैं जो पूरे परिवार को सहेजने और एक बनाकर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे में इन दोनों के रिश्तों में मधुरता होना बेहद जरुरी हैं। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से सास-बहू का रिश्ता मजबूत बनेगा और खटपट नहीं होंगी।
गलतफहमी न पनपने दें
रिश्ता चाहे प्रेमी के साथ हो या दोस्त के साथ या फिर अपनी सास के साथ, जब भी नए रिश्ते बनते हैं तो अक्सर कुछ गलतफहमियां जन्म ले ही लेती हैं। लेकिन ऐसे में आप दोनों को ही यही कोशिश करनी चाहिए कि आराम से बैठकर उस मुद्दे को हल करें न की मन में बेवजह किसी गलतफहमी को पनपने न दें। ऐसा करने से आपके बीच के रिश्ते कभी सुधर नहीं पाएंगे।
स्पेस दें
अगर घर में बहु नए सदस्य के रूप में आई है तो सास पहले से वहां हैं। यानी दोनों का अपना एक कम्फर्ट ज़ोन है, दोनों का अपना एक रूटीन है और अमूमन दिक्कत इसी से शुरू होती है कि दोनों ही इससे समझौता करने से कतराती हैं। इसका हल यह है कि दोनों शुरुआत से ही एक-दूसरे को स्पेस दें, बजाय दूसरे को अपने स्पेस में जबरन लाने के या उनके स्पेस में अतिक्रमण करने के। यहां स्पेस से मतलब है समझने और घुलने मिलने के लिए वक्त देना। उदाहरण के लिए यदि बहु कम बोलती है तो बेवजह उसे लोगों से मिलने और बात करने के लिए दबाव न बनायें। इसी तरह यदि सास ने घर में अपने लिए कोई रूटीन बना रखा है तो बेवजह उसे डिस्टर्ब करने की कोशिश न करें।
दोस्ती की शुरुआत करें
टीवी सीरियल्स में अक्सर हमने सास-बहू को लड़ते-झगड़ते देखा है लेकिन आज के समय के में सब कुछ बदल गया है। अब सास-बहू का रिश्ता खट्टी-मीठी नोंकझोक पर नहीं बल्कि आपसी प्यार पर टिका है। अगर सास और बहू दोनों पहले से ही इस बात को तय कर लें कि इस रिश्ते की शुरुआत प्यार और दोस्ती के साथ करनी है, तो हमारा यकीन मानिए यह रिश्ता कभी खराब नहीं होगा। सास-बहू को अपनी बेटी की तरह की समझें, वहीं बहू भी इस बात का ख्याल रखें कि वह भले ही आज के जमाने की लड़की है लेकिन उसकी सास को उनसे ज्यादा उम्र का तजुर्बा है।
छीनने नहीं, साझा करने की भावना
ये वह पूर्वाग्रह है जिससे सास सबसे ज्यादा ग्रसित होती है। उन्हें लगता है कि बहु आएगी और उनके इतने सालों से बसे साम्राज्य पर कब्जा कर लेगी। वहीं बहु को यह पूर्वाग्रह रहता है कि ससुराल में अपना अधिकार और जगह दोनों छीनने पर ही मिलेगी और सास इस मामले में हमेशा उसकी दुश्मन बनकर ही सामने आएँगी। यह पूर्वाग्रह ही कड़वाहट और दरारों की शुरुआत करता है। यह बात हमेशा याद रखें कि सास और बहु दोनों एक ही परिवार का हिस्सा हैं और परिवार में अधिकार और स्थान सहजता से बांटे जाते हैं, छीने नहीं जाते। सास कोशिश करे कि बहु को उसके दायित्व धीरे धीरे सौंप दे। हां मार्गदर्शन के लिए हमेशा मौजूद रहें और बहु को चाहिए कि सास के पूर्व के दायित्व और जिम्मेदारियां एकदम से अपने हाथ में लेने की जल्दी न करे। बहुत सरलता और विनम्रता से उन्हें मान देते हुए जिम्मेदारियां शेयर करें।
एक-दूसरे से शेयर करें बातें
सास और बहु में गहरा रिश्ता तभी मजबूत हो सकता है जब दोनों एक-दूसरे को पूरी एहमियत दें। दोनों को चहिए कि एक-दूसरे के साथ टाइम बीताए और अपनी बातें शेयर करें। दोनों को अच्छी-बुरी हर तरीके की बातें करनी चाहिए। अगर किसी को किसी की बात से कोई परेशानी है तो उसे खुलकर सामने रखें। सास उम्र और तजुर्बे में बड़ी होने से उनको सही- गलत की ज्यादा अच्छे से पहचान होती है। ऐसे में बहू को अपनी सास की बातों को सुनना और मानना चाहिए। वहीं सास को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनकी बहू नए जमाने की है तो उसकी सोच में फर्क होगा। सास को भी बहू की बातों और फीलिंग्स का ख्याल रखना चाहिए।
सलाह का सम्मान
खाने में क्या पकेगा से लेकर घूमने के लिए कहाँ जाएंगे और घर का इंटीरियर कैसा होगा से लेकर मकान के लिए कहाँ इन्वेस्ट करना ठीक होगा तक जैसे तमाम मुद्दों में घर के हर सदस्य की राय महत्वपूर्ण होती है। कई बार कोई व्यक्ति किसी चीज को भूल भी रहा हो तो दूसरा उसे याद दिला सकता है। घर में आई नई सदस्य यानी बहु की राय को भी इसमें शामिल जरूर करें। इससे उसे यह महसूस होगा कि आपने उसके विचारों को महत्व दिया। इसी तरह किसी महत्वपूर्ण मुद्दे पर सास की सलाह को भी महत्व दें। अनुभव अक्सर मुश्किल स्थितियों से मुकाबला करने में काम आते हैं, इस बात को भूलें नहीं। खास बात यह कि यदि आपके पास (सास-बहु किसी के भी पास) किसी मुद्दे पर कोई ठोस तर्क है तो उसे भी शांति से समझाएं। यदि आपका तर्क सही है तो मतभेद की स्थिति ही नहीं बनेगी।
बेटी की तरह प्यार दें
जब सास बहू को पराई मानकर अलग व्यवहार करेगी तो बहू की ओर से भी वैसा ही रिस्पॉन्स आएगा. अगर आपको सास बहू के रिश्ते को अच्छा बनाना है तो बहू और बेटी में फर्क बिल्कुल न करें. बहू को बेटी मानते हुए प्यार करें और दिल में जगह दें. रिश्ता अपने आप मजबूत हो जाएगा. हालांकि ऐसा व्यवहार दोनों ओर से दिखाना पड़ता है. बहू को भी सास को अपनी मां के जैसा प्यार देना होगा. तभी सास बहू का रिश्ता मजबूत बन पाता है.
बहस को टालें
ये मन्त्र अगर आपने सीख लिया तो समझ लीजिये जिंदगी भर के लिए सुकून पा लिया। यहाँ बहस को टालने का मतलब स्थिति को नजरअंदाज करने या मुद्दे से पीछे हट जाने से नहीं है। जिस भी समय किसी मुद्दे पर आप दोनों के विचार मिल नहीं रहे हों, उस समय गुस्सा होने, चिड़चिड़ाने या झगड़ने की बजाय यह कहकर पीछे हट जाएँ कि अभी मुझे इस विषय पर और सोचने का समय चाहिए, हम इसके बारे में शांति से बैठकर बात करते हैं। आपका धैर्य से कोई बात कहना सामने वाले को भी शांति से विचार करने को प्रेरित करेगा और बिना झगड़े या कड़वाहट के बात सम्भल जायेगी।
सास का ख्याल रखें
आजकल हर कोई अपने काम में व्यस्त है लेकिन अगर आप अपनी सास के लिए थोड़ा समय निकालती हैं तो इससे आपके रिश्ते में प्यार बना रहेगा. कुछ बहुएं काम में इतनी बिजी हो जाती हैं कि सास का ख्याल रखना भूल जाती हैं. अगर आप अपनी मां की तरह सास को समय और प्यार नहीं देंगी तो आपको भी नहीं मिलेगा. सास के साथ बैठें, बातें करें, उनकी छोटी-छोटी जरूरतों और बातों का ध्यान रखें.
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