सद्गुरु ने जो एक से ज्यादा लोगो से शारीरिक संबंध रखते है, उनके लिए बड़े प्यार से झाड़ दिए दिमाग के जाले
लाइफस्टाइल: मॉर्डन होते जमाने के साथ एक चीज जो सबसे ज्यादा युवाओं के बीच बढ़ती दिख रही है, वो है कैजुअल सेक्स। ये ऐसी चीज है, जिसके अपने रिस्क हैं। यही वजह है कि हर कोई इसे लेकर सावधान और दूरी बनाए रहने की सलाह देता है। हालांकि, सलाह को दरकिनार कर फिजिकल प्लेजर की खातिर एक से ज्यादा लोगों से शारीरिक संबंध बनाने का चलन बढ़ता हुआ ही दिख रहा है। ये कैसे किसी भी व्यक्ति पर असर डाल सकता है, इसे लेकर सद्गुरु ने इस तरह से विचार रखे कि मॉर्डन सेक्शुअल थॉट्स वाले युवाओं के दिमाग के सारे जाले झड़ जाएं।
कॉलेज स्टूडेंट के सवाल पर दिया था जवाब
कॉलेज स्टूडेंट के सवाल पर दिया था जवाब
दरअसल, ये पूरी बातचीत उस दौरान की है, जब सद्गुरु से कॉलेज गोइंग गर्ल ने भावनाओं से रहित शारीरिक संबंध बनाए जाने के युवाओं के बीच बढ़ते चलन पर सवाल किया था। इसी का जवाब देते हुए सद्गुरु ने खुलकर अपने विचार रखे और समझाया कि कैसे बार-बार की ये फिजिकल इंटिमेसी पूरी जिंदगी बर्बाद कर देती है।
शरीर हर चीज याद रखता है
शरीर हर चीज याद रखता है
सद्गुरु ने उदाहरण देते हुए समझाया कि कैसे शरीर पीढ़ी दर पीढ़ी चीजें याद रखता है। ये जीन्स, त्वचा के रंग, शारीरिक रचना आदि के रूप में साथ रहता है। दिमाग भले ही कुछ चीजों पर ध्यान न दे, लेकिन शरीर हमेशा सबकुछ याद रखता है। यही वजह है कि अगर रोज 5 दोस्तों से हाथ मिलाएं और एक दिन कोई दोस्त पीछे से कंधे को छुए, तो भी व्यक्ति समझ जाएगा कि उसके पीछे कौन खड़ा है।
सद्गुरु ने बताया कि ये शारीरिक याद्दाश्त ऋणानुबंध कहलाती है, जो रक्त या शारीरिक रिश्तों से जमा होती है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि हमारी संस्कृति में हाथ मिलाने या गले लगने की जगह अपने ही दोनों हाथ जोड़कर नमस्ते करने की परंपरा है। जितना ज्यादा शरीर का ये बंधन होगा, उतनी ज्यादा उलझन बढ़ती दिखेगी।
जब बनते हैं शारीरिक संबंध
सद्गुरु ने समझाया कि जब सेक्शुअल या किसी भी तरह के इंटिमेट रिलेशन बनाए जाते हैं, जिनमें विचार, भावनाएं और शरीर शामिल होता है, उससे शरीर पर बड़ी संख्या में यादें जुड़ जाती हैं। यही वजह है कि हमेशा ये कहा जाता है कि इस संबंध को जितना आसान और साफ रखा जाए, उतना ज्यादा अच्छा होता है।
कभी नहीं मिल सकेगी शांति
इसी पर आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि ये व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वो अपने शरीर के साथ क्या करना चाहता है। अगर वो कई शारीरिक यादें अपने ऊपर लेने का निर्णय लेता है, तो आगे चलकर उसकी जिंदगी में चाहे कितनी भी अच्छी चीजें क्यों न हों, लेकिन उसे कभी भी खुशी और शांति का एहसास नहीं होगा। तो यहां सवाल नैतिकता का नहीं बल्कि इस चीज का है कि आप अपने शरीर के लिए क्या निर्णय लेना चाहते हैं। ये महिलाएं कभी नहीं ले पातीं शारीरिक सुख
ये महिलाएं जिंदगी में कभी नहीं कर पातीं सेक्स !