अब घर बनेगा वर्टिकल गार्डन

Update: 2024-05-28 15:10 GMT
लाइफस्टाइल: आज जगह की कमी की वजह से लोगों ने गमलों में पौधे लगाकर अपना आशियाना सजा लिया है। ऐसे में जानिए नए ऑप्शन वॢटकल गार्डन के बारे में- अर्बन सिटीज़ में अपार्टमेंट कल्चर और जगह की कमी को देखते हुए गार्डन के लिए अलग से स्पेस बचा पाना हम सभी के लिए नामुमकिन सा हो जाता है और लोग रूफटॉप गार्डनिंग व इंडोर प्लांटिंग को ऑप्शन के रूप में चुन लेते हैं। ऐसे में बागवानी के शौकीन लोगों का झुकाव आजकल वर्टिकल गार्डनिंग की तरफ काफी देखने को मिल रहा है। इस तरह की गार्डनिंग इंडोर और आउटडोर दोनों ही जगहों के लिए उपयुक्त रहती है।
यह बिल्कुल नई तकनीक है। वर्टिकल गार्डन की खास बात यह है कि इसमें पेड़ पौधों को जमीन पर न उगाकर बाउंड्री वॉल, पिलर, घर की दीवारों आदि पर उगाया जाता है, जिससे मकान का बेकार स्पेस भी काफी यूज़ हो जाता है। इसमें फूलों के साथ-साथ सब्जियों और फलों के पौधे भी लगाए जा सकते हैं। आइए जानते हैं कि वर्टिकल गार्डन कैसे बनाएं, इसमें कौन-कौन से पौधे लगाएं और इसका ख्याल कैसे रखें।
सुकून देने वाली बालकनी
बालकनी ऐसी जगह होती है, जहां थोड़ी देर ही बैठकर सुकून सा मिल जाता है। सुबह का वक्त हो या शाम का, कैसा लगेगा जब आप चाय का कप हाथ में लिए बालकनी में पहुंचें और वहां हरी-भरी छोटी-सी बगिया आपका स्वागत करे। ऐसे में बालकनी में वर्टिकल गार्डन का आइडिया काफी अच्छा साबित होता है। बालकनी में आप खुशबूदार फूलों वाली बेल लगाएं तो अच्छा रहेगा। इससे आप गर्मियों के दिनों में बिल्कुल तरोताजा महसूस करेंगे। अगर यहां जगह ज्यादा न हो तो वर्टिकल प्लेट लगा सकते हैं। रात के समय यहां पर लैंप आदि लगाने से बालकनी की सुंदरता में चार चांद लग जाएंगे। इसके अलावा बालकनी की दीवारों पर भी छोटे-छोटे वुडन पैलट की सहायता से वर्टिकल गार्डन बनाया जा सकता है।
हरी भरी हों दीवारें
घर की दीवारों को वर्टिकल गार्डन के लिए चुनना सबसे अच्छा होता है। अगर ड्रॉइंग या लिविंग एरिया में आप हरियाली चाहते हैं तो इसकी दीवारों को वर्टिकल गार्डन के द्वारा खूबसूरत बना सकते हैं। एक अच्छे वर्टिकल गार्डन एक्सपर्ट की मदद से दीवारों का भी इस काम में इस्तेमाल किया जा सकता है। आप कुछ एक्सपेरिमेंट करना चाह रहें हो तो घर की किसी भी बड़ी दीवार पर वुडन फ्रेमिंग कराकर इसमें मॉस और फर्न के पौधे लगवाएं। इसके लिए आप डार्क और लाइट कलर के पौधों का चुनाव करें। बस इस बात को ध्यान में रखें कि दीवार पर हल्की-फुल्की सनलाइट आती हो। रात में लाइटनिंग के लिए यहां आप झूमर और लैंप भी लगा सकते हैं, जिससे घर बहुत ही सुंदर लगेगा।
छोटे घर के लिए भी है ऑप्शंस
अगर आपका घर छोटा है तो निराश होने की जरूरत नहीं है। आप भी वर्टिकल गार्डन को अपने छोटे से आशियाने में जगह दे सकते हैं। इसके लिए बस अपनी पसंद की छोटी-छोटी बास्केट लाकर उन्हें दीवार पर फिट करवा दें। अब इनमें अपनी पसंद के मनचाहे खुशबूदार फूल वाले पौधे लगवा सकते हैं। कोशिश करें कि ये पौधे कम ग्रोथ वाले हों, ताकि इनकी आसानी से केयर की जा सके।
अब घर में होगा हर्बल वर्टिकल गार्डन
हर्ब्स के शौकीन लोगों के लिए वर्टिकल गार्डन एक बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि हर्बल प्लांटस को ज्यादा पानी या धूप की जरूरत नहीं होती है। इनका ख्याल रखना भी आसान होता है। किचन में पड़े पुराने डिब्बे, टिफिन बॉक्स, जार, बोतल आदि को वुडन वॉल में फ्रेम करवाकर इसमें अपनी च्वॉइस के हर्बल प्लांट लगाएं।
प्रदूषण कम करने में भी हैं मददगार
इंटीरियर डेकोर एक्सपर्ट अंशू पाठक का कहना है कि कई फाइव स्टार होटल, बड़ी कम्पनियां, बड़े-बड़े कैंपस और इंस्टिट्यूटस इमारतों की सुंदरता बढ़ाने के लिए वर्टिकल गार्डन की तकनीक को अपनाने लगे हैं, लेकिन लोगों को यह नहीं पता है कि ये वर्टिकल गार्डन बिल्डिंग और घरों की सुंदरता बढ़ाने के साथ ही मीथेन व कार्बन डाइआक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को सोखकर काफी हद तक प्रदूषण व धूल को भी कम करने में कारगर साबित होते हैं। वर्टिकल गार्डंस अंदर की हवा को साफ करने के साथ ही घर को शोरगुल से भी बचाते हैं। गर्मियों के दिनों में वर्टिकल गार्डन होने से गर्मी का एहसास भी कुछ कम होता है।
वर्टिकल गार्डन के लिए पौधे
इस तरह के गार्डन में बड़े पौधे न लगाकर विशेष प्रकार के पौधों को जगह दी जाती है, जिनमें बर्ड नेस्ट फर्न, स्वोर्ड फर्न, पीस लिली, बेबीज टीयर्स, आस्ट्रेलियन नेटिव मोंसटेरा, गोल्डन पोथोस के साथ कई अन्य किस्में शामिल हैं।
ऐसे करें देखभाल
अगर घर के अंदर वर्टिकल गार्डन बना रहे हैं तो उन्हें सुबह में पानी दें और अगर वर्टिकल गार्डन आउटडोर साइड हो तो किसी भी समय पानी दिया जा सकता है। ये आसानी से लग जाते हैं, लेकिन इनकी देखभाल बेहद जरूरी होती है। इंडोर वर्टिकल गार्डनिंग करते समय पौधों का प्लेसमेंट इस तरह करें कि थोड़ी बहुत सूरज की रोशनी आती रहे। . हर तीन महीने में पौधों की खाद बदलें और समय-समय पर इनकी छंटाई भी करते रहना चाहिए। अतिरिक्त पानी के लिए निकासी सही होनी चाहिए।  कोशिश करें कि प्लांट्स कम ग्रोथ वाले हों। यदि पौधों की ग्रोथ ज्यादा रहेगी तो उनका ध्यान भी ज्यादा रखना पड़ेगा।  बालकनी में बने गार्डन के पौधों को सही से सपोर्ट देने के लिए मेटल स्टिक का प्रयोग करें।  इंडोर वर्टिकल गार्डन में पानी की मात्रा 25-30 प्रतिशत व आउटडोर में 80 प्रतिशत तक होनी चाहिए। फैक्ट फाइल वर्टिकल गार्डनिंग की सबसे पहले शुरुआत मेक्सिको सिटी से हुई। भारत में इसका सबसे पहले प्रयोग जनवरी 2017 में
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