फिजिकल नहीं, मेंटल प्रॉब्लम भी हो सकती है थकान की वजह, जाने

Fatigue due to mental problem: भविष्य की चिंता, काम और घर का तनाव, कुल मिलाकर स्ट्रेस हमारी जिंदगी में पूरी तरह से हावी है. न हमें सोते समय सुकून है और न ही जागते समय हम खुश रह पाते हैं. इसकी वजह से शरीर के हार्मोन बहुत तेजी से प्रभावित होते हैं.

Update: 2021-10-21 05:58 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। क्या आप जानते हैं कि हमारी हर फिजिकल एक्टिविटी (Physical Activity) का सीधा संबंध दिमाग से होता है? जी हां, जब हम कमजोरी महसूस करते हैं, तो हम अपनी शारीरिक सेहत पर पहले ध्यान देते हैं और मानसिक सेहत को अनदेखा कर देते हैं, जबकि वो भी हमारी थकान की वजह हो सकती है. दैनिक जागरण अखबार में छपे लेख में साइकाइट्रिस्ट (Psychiatrist) डॉ स्मिता श्रीवास्तव (Dr. Smita Srivastava) ने बताया है कि जब हम थकान महसूस करते हैं, तो लगता है कि कहीं कोई शारीरिक समस्या तो नहीं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि थकान की वजह फिजिकल प्रॉब्लम ही हो. थकान का कारण मानसिक भी हो सकता है. कई बार तनाव या मानसिक रूप से थके होने पर भी हम शारीरिक रूप से थकान महसूस करते हैं.

डॉ स्मिता का कहना है कि भविष्य की चिंता, काम और घर का तनाव, कुल मिलाकर स्ट्रेस हमारी जिंदगी में पूरी तरह से हावी है. न हमें सोते समय सुकून है और न ही जागते समय हम खुश रह पाते हैं. इसकी वजह से शरीर के हार्मोन (Hormone) बहुत तेजी से प्रभावित होते हैं. जिनकी वजह से सिर दर्द, पेट दर्द, भूख न लगना और किसी काम में ठीक से मन न लगना जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
तनाव के चलते हम थकान और कमजोरी का अनुभव करते हैं. इसके लिए हमें अपने डेली रूटीन में बदलाव करना होगा और हर उस काम को करने की कोशिश करनी होगी, जिसमें हमारा मन लगता हो. इसके साथ ही योग, ध्यान, एक्सरसाइज और मार्निग वॉक इस परेशानी से बचाने में बहुत मददगार हैं.
डिप्रेशन भी है एक वजह
डिप्रेशन एक ऐसी प्रॉब्लम है, जिससे हमारे आसपास के ढेरों लोग जूझ रहे हैं. इसके तमाम लक्षणों में से थकान भी है. इसके साथ ही, डिप्रेशन होने पर किसी भी काम को करने में मन नहीं लगता है. सीधे शब्दों में समझा जाए, तो अवसाद यानी डिप्रेशन हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों को प्रभावित करता है. यदि आप इस समस्या से ग्रसित हो रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें, बल्कि तुरंत साइकाइट्रिस्ट की सलाह लें.
पूरी नींद लें
अक्सर काम की भागदौड़ में हम अपनी दिनचर्या बिगाड़ लेते हैं. इसके चलते टाइम पर न खाना खाते हैं और सोते हैं. इसका असर सबसे पहले हमारे दिमाग पर पड़ता है. जानकारों के अनुसार मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के लिए 7 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है. इसके साथ ही हमें समय पर सोना और समय से बिस्तर छोड़ने की आदत बनानी चाहिए. अनुशासित दिनचर्या हर तरह से हेल्दी रहने के लिए बहुत आवश्यक है.
क्या करना है जरूरी
– हमेशा मनपसंद काम को चुनें.
– ऑफिस की बातें और काम ऑफिस तक ही सीमित रखें.
– हमेशा अपनी बात खुलकर कहें.
– फुरसत के पलों में अपने मन के अनुसार काम करें.
– डायरी में लिखें, जिससे हर काम समय से निपटा सकें और तनाव से दूर रहें.


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