काला ज्वर बीमारी के लिए मिला नया इलाज, जानिये यह संक्रामक रोग क्या है और इसके लक्षण

एक अधिक सक्रिय नैनोकैरियर विकसित किया है जो स्थिरता की चुनौतियों और दवा संबंधी विषाक्तता को कम कर सकता है।

Update: 2021-08-18 07:43 GMT

यह एक घातक संक्रमण है जो एक परजीवी के कारण होता है यह सीधे आपकी इम्यूनिटी सिस्टम को संक्रमित करता है यह बीमारी सालाना लाखों लोगों को प्रभावित करती है

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने कहा है कि भारतीय शोधकर्ताओं ने विसरल लीशमैनियासिस रोग (Visceral Leishmaniasis) के खिलाफ संभावित चिकित्सीय रणनीति तैयार की है। इसमें चीरे-टांके लगाने की जरूरत नहीं होती और इसे अंजाम दिया जाना भी आसान है। साथ ही यह किफायती और रोगी के अनुकूल होती है।
विभाग ने कहा इसमें कि विटामिन बी 12 के साथ लेपित नैनो कैरियर-आधारित मौखिक दवाओं से संबंधित शोधकर्ताओं की रणनीति ने मौखिक जैवउपलब्धता और उपचार की प्रभावकारिता को 90 प्रतिशत से अधिक बढ़ा दिया है।
कालाजार क्या है?
विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) एक जटिल संक्रामक रोग है जो मादा फ़्लेबोटोमाइन सैंडफ्लाइज़ नामक कीट के काटने से फैलता है। इसे आम भाषा में कालाजार (काला ज्वर) भी कहा जाता है। यह बीमारी सालाना लाखों लोगों को प्रभावित करती है, जिससे यह मलेरिया के बाद मच्छर -जनित दूसरी सबसे आम घातक बीमारी है।
कालाजार के लक्षण
वीएल की पारंपरिक चिकित्सा उपचार में मुख्य रूप से अंतः सिर में दर्द महसूस होता है। इसके अलावा पारंपरिक चिकित्सा उपचार के दौरान लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहना होता है। इसमें लागत भी अधिक आती है और उपचार जटिलताओं के साथ उच्च जोखिम बना रहता है।
कालाजार का इलाज
विभाग ने कहा कि मौखिक रूप से दवाएं देने की पद्धति में बड़े पैमाने पर लाभ मिलता है, जो उपरोक्त बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है। लेकिन इसमें कई चुनौतियां भी हैं क्योंकि 90 प्रतिशत से अधिक मौखिक रूप से दी जाने वाली चिकित्सीय दवाओं में 2 प्रतिशत से कम जैवउपलब्धता होती है और इससे यकृत और गुर्दे पर विषाक्त दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका बनी रहती है।
डीएसटी के एक स्वायत्त निकाय, इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएनएसटी) के श्याम लाल के नेतृत्व में एक टीम ने मानव शरीर में मौजूद प्राकृतिक आंतरिक विटामिन बी 12 मार्ग का उपयोग करते हुए एक अधिक सक्रिय नैनोकैरियर विकसित किया है जो स्थिरता की चुनौतियों और दवा संबंधी विषाक्तता को कम कर सकता है।

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