good manners: बच्चों को जरूर सिखाएं यह गुड मैनर्स

Update: 2024-06-05 13:19 GMT
good mannersबच्चों की परवरिश से उनके संस्कारों का पता चलता है। बचपन में ही हमारा चरित्र निर्माण होता है, जिसकी वजह से पेरेंट्स और स्कूल सबसे ज्यादा बच्चों के करैक्टर और मैनर बिल्डिंग पर ही ध्यान देते हैं। बच्चा जबसे बोलना सीखता है तब से ही हम उसे नमस्ते करना सिखाने लगते हैं। अगर बचपन में बच्चों को अच्छी आदतें ना सिखाई जाए तो बड़े होकर बच्चे बहुत जिद्दी और बदतमीज हो जाते हैं। इसीलिए मां-बाप का सबसे बड़ा दायित्व बच्चों को अच्छी परवरिश देना होता है, जिससे उनके बच्चे समाज में दूसरों की इज्जत करें और खुद भी प्यार और दुलार की नजर से देखे जाएं।
बच्चों को यह सिखाना बहुत आवश्यक है कि उन्हें समाज में लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। यह उनके सामग्र विकास के लिए अत्यंत जरूरी है। इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं उन महत्वपूर्ण मैनर्स को जो बच्चों को सिखाना बहुत ही आवश्यक है।
लोगों से खुश होकर मिलना कई बार ऐसा होता है कि हमारे घर में जब कोई मेहमान आता है तो बच्चे उनसे मिलने से कतराने लगते हैं और छिपने लगते हैं जो कि बेड मैनर्स माना जाता ।है इसलिए आपको अपने बच्चों को यह सीखाना चाहिए कि कोई भी आए तो उनसे खुशी-खुशी मुस्कुराकर नमस्ते या हेलो कहना चाहिए। इससे वह बचपन से ही सोशल स्किल्स सीख लेंगे कि उन्हें लोगों से कैसे मिलना जुलना है और यह मैनर सीख कर वह आसानी से दोस्त भी बना पाएंगे।
थैंक्यू और प्लीज बोलना वैसे तो कोई भी बात किसी भी तरीके से कही जा सकती है लेकिन अगर आप किसी से कुछ मांगते या रिस्पेक्ट करते हुए कहते हैं तो प्लीज का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। आपके बच्चों को यह भी सीखना चाहिए कि अगर कोई भी उनके लिए फेवर करता है तो थैंक्यू कहना ना भूलें। यह बहुत बेसिक मैनर्स हैं जो बच्चा अगर बचपन में ही सीख जाता है तो उसके अंदर दूसरो के प्रति सम्मान की भावना बनी रहती है। बच्चों को यह जरूर सीखना चाहिए कि कैसे रिस्पेक्टफुली अपनी बात दूसरों से कही जाए।
दूसरों की बातों को अच्छे से सुने अधिकतर बच्चों में देखा जाता है कि वह किसी को भी अपनी बात पूरी नहीं कहने देते और खुद की ही बातें बोलने में लगे रहते हैं जो कि एक बुरी हैबिट है। हमें पता है कीिजो जितना अच्छे तरीके से दूसरों की बातें सुनता है उसके अंदर बातों को समझने की क्षमता बढ़ जाती है। आपके बच्चों को यह मैनर्स सीखना चाहिए कि अगर कोई भी अपनी बात जब तक पूरी न कर ले तब तक उन्हें बीच में नहीं बोलना चाहिए। इससे उनका सेल्फ स्टीम मजबूत होगा।
अपनी गलती पर माफी मांगना अगर आप बचपन में ही बच्चों को यह सिखा देते हैं कि अगर वह कोई गलती करते हैं तो उन्हें अपनी गलती को समझकर दूसरों से ईमानदारी से (sincerely) माफी मांगनी चाहिए। इन मैनर्स को सीखने से बच्चों के अंदर दया और रिस्पांसिबिलिटी की भावना मजबूत होती है। उन्हें पता होना चाहिए कि अपनी गलती पर माफी मांगना कितना जरूरी होता है। बड़े होकर यह मैनर उनके रिलेशंस को ठीक तरीके से चलाने में मदद करेगा।
शेयरिंग इस केयरिंग सीखाना ना भूलें बच्चों को शेयरिंग का पाठ पढ़ना चाहिए। बच्चों के अंदर शेयरिंग करने की गुड हैबिट जरूर होनी चाहिए। इससे बच्चे का नेचर फ्रेंडली और किड होता है। बहुत सारे बच्चे ऐसे होते हैं जो अपनी चीजों को दूसरे के साथ शेयर करना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं। यह उनको असामाजिक बना देता है। बाकी बच्चों के साथ उनकी अनबन बनी रहती है। इसलिए बच्चों को यह पता होना चाहिए कि शेयरिंग इस केयरिंग और असली आनंद तो चीजों को शेयर करके ही आता है।
बड़ों का आदर करना सिखाएं बचपन से ही बच्चों के अंदर यह आदत code कर भरी होनी चाहिए कि अपने से बड़ो का वह हमेशा आदर करें। बच्चे अगर यह नहीं सीख पाते हैं तो बड़े होते ही मां-बाप और बड़े लोगों से बदतमीजी और बदजुबानी करते हैं। बच्चों के अंदर यह मैनर होना चाहिए कि हमेशा बड़ों का आदर करें, उनकी सभी बात को मानें और उनकी सेवा करें।
दया और त्याग की भावना यह ऐसी भावनाएं हैं जिन्हें हर कोई नहीं समझ सकता है। कुछ लोग
merciful
होते हैं तो कुछ क्रूर। बचपन से ही आपके बच्चों को यह सीखना चाहिए कि जरूरतमंद लोगों या पशुओं पर दया करनी चाहिए। त्याग का अर्थ बहुत बड़ा होता है लेकिन बचपन से ही हम इसका बीज बच्चों के अंदर बो सकते हैं।
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