जानिए नवजात श‍िशु के ल‍िए क्यों फायदेमंद है राई का तक‍िया

हर साल 15 से 21 नवंबर तक Newborn Care Week यानि नवजात देखभाल सप्ताह मनाया जाता है।

Update: 2021-11-18 06:49 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |     हर साल 15 से 21 नवंबर तक Newborn Care Week यानि नवजात देखभाल सप्ताह मनाया जाता है। इस मनाने का मुख्य उद्देश्य नवजात श‍िशु की सेहत के प्रत‍ि लोगों को जागरूक करना है। वहीं बात नवजात शिशु अपान सिर खुद से घुमा नहीं पाता है। इसके कारण शिशु एक ही पोजिशन में सोता है। एक्सपर्ट अनुसार, वह जिस पोजिशन में सोता है वह उसका सिर चपटा होने का कारण बनता है। ऐसे में इस परेशानी से बचने के लिए लोग शिशु के सिर पर राई का तकिया रखते हैं। इससे नवजात की गर्दन में लचक नहीं आती। इसके साथ ही उसका स‍िर सुरक्ष‍ित रहता है। चलिए आज हम आपको राई का तकिया बनाने व इसे इस्तेमाल करने का तरीका बताते हैं...

इसलिए होती शिशु को राई के तकिए की जरूरत
एक्सपर्ट अनुसार, नवजात श‍िशु का स‍िर जन्‍म के समयव बेहद मुलायम होता है। इसके कारण उसमें चोट लगने का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा कई बच्चों के सिर की शेप जन्म दौरान सामान्‍य नहीं होता है। बच्चे के सिर की हड्डियां लचीली होती है। ऐसे में सिर पर थोड़ा सा दबाव पड़ने पर भी उसकी सेहत को नुकसान हो सकता है। इससे बचने के लिए शिशु को मुलायम तकिए की जरूरत होती है। इससे उसके सिर को सपोर्ट मिलने के साथ इसकी शेप सही रहती है।
नवजात श‍िशु के ल‍िए राई का तक‍िया इसलिए फायदेमंद
राई की तारीस गर्म होने से इससे सर्दियों में बच्चे का ठंड से बचाव रहता है। इससे शिशु के सिर की शेप नहीं खराब होती है। इसके साथ ही गर्दन में दबाव कम पड़ता है। सही वजन में तैयार किए राई के तकिए से शिशु के सिर के पीछे की ओर बराबर का दबाव पड़ता है। एक्सपर्ट अनुसार, जन्‍म दौरान जब बच्‍चे को गर्भनाल से अलग करने पर इसके स‍िर का आकार ब‍िगड़ जाता है। ऐसे में इसे ठीक करने के ल‍िए राई का तक‍िया फायदेमंद माना जाता है।
इस उम्र में लगाएं राई का तक‍िया
राई के तकिए का इस्तेमाल बच्चे के जन्म के पहले दिन से ही किया जा सकता है। नवजन्में बच्चे का अपने सिर व गर्दन पर कोई कंट्रोल नहीं होता है। ऐसे में उसके सिर की शेप खराब हो सकती है। इससे बचने के लिए आप शुरुआत में भी शिशु के राई के तकिए पर सुला सकते हैं। वहीं जन्म से 6 महीने तक शिशु बेहद नाजुक होता है। ऐसे में इस दौरान उसपर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। ऐसे में आप उसे राई के तकिए पर सुला सकती हैं।
राई का तक‍िया लगाने के फायदे
. इससे बच्चे का दिमागी विकास तेजी से होता है। ऐसे में उसके मानसिक स्वस्थ के लिए उसे राई का तकिया जरूर दें।
 इससे बच्चे के सिर की शेप नहीं बदलती है। इसके साथ ही शिशु के सिर का भाग बाहर की ओर नहीं न‍िकलता है।
 शिशु का सिर व गर्दन पर किसी तरह का कोई नियंत्रण नहीं होता है। ऐसे में इसे स्‍थ‍िर रखने और लचक आने से बचने के लि‍ए राई का तक‍िया लगाएं।
 एक्सपर्ट अनुसार, इससे बच्चे का ठंड से बचाव रहता है और उसे आराम मिलता है।
. शिशु का स‍िर, राई के तक‍िए से एडजस्‍ट होने से उसे अच्छी व गहरी नींद आती है।
ऐसे तैयार करें राई का तक‍िया
. इसे बनाने के लिए राई को धोकर सुखा लें। ताकि इसमें नमी ना हो.
. अब 1 मीटर सूती कपड़ा लेकर उससे 10 x 5 इंच का तक‍िया बनाकर तीन साइड से स‍िल लें।
. जिस ओर से तकिया खुला होगा वहां से राई भर दें।
. सिर की जगह को खाली रहने दें और बाकी को राई से भरकर चारों ओर से सिल लें।
. लीजिए आपका राई का तकिया बनकर तैयार है। इसे हमेशा सूखा व साफ रखें।
. आप तक‍िए में राई की जगह थर्माकोल बॉल भी भर सकते हैं।
राई का तक‍िया बनाते समय इन बातों का ध्‍यान रखें
. राई में नमी ना हो।
. तकिए में सही मात्रा में राई भरें।
. तक‍िया में गैप न हो। नहीं तो इससे राई बाहर न‍िकलने लगेगी। इसतरह यह राई शिशु के मुंह या कान में जा सकती है।
. तकिया ज्यादा टाइट ना हो। नहीं तो इससे शिशु की गर्दन में दर्द महसूस हो सकता है।
. इसे लगाने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि तक‍िया बच्‍चे के स‍िर के नीचे पूरी तरह से फिट हो। नहीं तो शिशु के सिर का संतुलन ब‍िगड़ सकता है।
. तकिए को शिशु की एक ही पोजिशन में रखने से उसका सिर चपटा हो सकता है। इसलिए समय-समय पर उसकी पोजिशन बदलते रहिए।


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