जानिए क्या कहता NHFS-5 सर्वे देश में हर साल 41 लाख बच्चे सिजेरियन से हो रहे पैदा

आकंड़ों के मुताबिक, देश में हर साल 2.40 करोड़ बच्चों का जन्म होता है, जिनमें से करीबन 80 फीसदी बच्चे अस्पतालों में पैदा होते हैं जिसमें 21.5 फीसदी यानि करीब 41 लाख बच्चों का जन्म हर साल सिजेरियन प्रसव से होता है।

Update: 2022-05-18 08:22 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गर्भवती महिलाओं की दो तरीकों से डिलीवरी करवाई जाती है एक नॉर्मल दूसरी सिजेरियन। सी-सैक्शन की नौबत उस समय आती हैं जब गर्भवती महिला और उसके बच्चे को सेहत से जुड़ी दिक्कतें आ रही हो लेकिन भारत में सर्जरी से पैदा होने वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है जिसे स्वास्थय मंत्रालय कम करने के प्रयासों में भी लगी है लेकिन राष्ट्रीय परिवार कल्याण सर्वे (NHFS)-5 के आंकड़ों की मानें तो यह सिजेरियन डिलीवरी के मामले तेजी से बढ़ते ही जा रहे हैं।

जानिए क्या कहते हैं राष्ट्रीय परिवार कल्याण सर्वे (NHFS)-5 के आंकड़े?
आकंड़ों के मुताबिक, देश में हर साल 2.40 करोड़ बच्चों का जन्म होता है, जिनमें से करीबन 80 फीसदी बच्चे अस्पतालों में पैदा होते हैं जिसमें 21.5 फीसदी यानि करीब 41 लाख बच्चों का जन्म हर साल सिजेरियन प्रसव से होता है।
सर्वे के मुताबिक, सी-सैक्शन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं जहां साल 2019-2021 में 21.5 फीसदी दर्ज किए गए। जबकि शहरी क्षेत्रों में प्राइवेट हास्पिटल्स में 2 में 1 डिलीवरी सर्जरी से हो रही है हालांकि इससे पहले 2015-2016 के सर्वे के मुताबिक, देश में सिजेरियन डिलीवरी के मामले 17.2 फीसदी थे यानि 5 वर्षों में यह मामले 4 फीसदी बढ़ गए हैं।
इससे पहले 2005-2006 के सर्वे के मुताबिक, सिजेरियन डिलीवरी के मामले महज 8.5 फीसदी दर्ज किए गए थे।
प्राइवेट हेल्थ सेंटर में सिजेरियन डिलीवरी के मामले ज्यादा
सर्वे के अनुसार, प्राइवेट हेल्थ सेंटर में सिजेरियन डिलीवरी के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों से आए दिन यह खबरें भी सुनने को मिलती हैं कि वहां पर बिल बनाने के लिए यह सब किया जाता है। हाल ही में हुए आंकड़े भी इस बात को ओर ही संकेत देते हैं। प्राइवेट हेल्थ सेंटर में सिजेरियन डिलीवरी के 47.4 फीसदी मामले सामने आए जिनमें से शहरों में 49.3 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में 46 फीसदी औसत दर पाया गया।
एनएचएफएस-4 सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट हेल्थ संटर में 40.9 फीसदी प्रसव के मामले सिजेरियन से हुए थे यानि ये आकंड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।
सरकारी हेल्थ सेंटर में 14.3 फीसदी सर्जरी प्रसव
एनएचएफएस-5 के सर्वे के अनुसार, सरकारी हेल्थ सेंटरों में 14.3 फीसदी सिजेरियन डिलीवरी हुई हैं। वहीं दूसरी ओर एनएचएफएस-4 के सर्वे में यह दर 11.9 फीसदी रही थी। आंकड़ों के अनुसार, सरकारी हेल्थ सेंटरों में भी सीजेरियन प्रसव के मामले बढ़ रहे हैं। परंतु यह आंकड़ें मामूली ही हैं।
हाल ही में हुए सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, शहरी इलाकों के सरकारी हेल्थ सेंटरों में 22.7 और ग्रामीण इलाकों में 11.9 फीसदी मामले सामने आए हैं।
शहरों में 32.3 फीसदी प्रसव ऑपरेशन से
एनएचएफएस-5 के सर्वे के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा 32.3 फीसदी प्रसव सिजेरियन से हो रहे हैं यानि 3 में से एक बच्चे का जन्म सिजेरियन डिलीवरी से हो रहा है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 17.6 फीसदी प्रसव सर्जरी से हो रहे हैं यदि एनएचएफएस-4 सर्वे के आंकड़ों को देखें तो तब शहरों में सिजेरियन प्रसव 28.2 और ग्रामीण में 12.8 फीसदी हो रहे थे लेकिन अब यह दर तेजी से बढ़ रही है।


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