जानिए कान छिदवाने के पीछे क्या वैज्ञानिक परंपरा है?
कान छिदवाने की परंपरा इंडिया में काफी पुरानी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कान छिदवाने की परंपरा इंडिया में काफी पुरानी है। इसके पीछे कई सारी मान्यताएं और रीति-रिवाज हैं, लेकिन अब इंडिया में ही नहीं और भी कई देशों में भी लोग कान छिदवा रहे हैं। महिलाएं तो कान छिदवाती थीं लेकिन अब फैशन के चक्कर में पुरुष भी इसे अपनाने लगे हैं। हर परंपरा के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक व्याख्या जरूर होती है। इनमें से एक परंपरा है कान छिदवाना। इस धर्म के अनुयायियों की संख्या करोड़ों में है। पहले तो सिर्फ महिलाएं कान छिदवाया करती थी मगर बदलती जीवन शैली में अब पुरुष भी कान छिदवाते हैं। पर बहुत कम लोगों को इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण पता है। आज हम आपको कान छिदवाने के पीछे के वैज्ञानिक कारण बताएंगे:-
कान छिदवाने का एक बड़ा कारण पाचन तंत्र को दुरुस्त रखना भी है, क्योंकि इस प्वाइंट पर उत्तेजना से पाचन प्रणाली को स्वस्थ बनाये रखने में मदद मिलती है। विशेष रूप से यह प्वाइंट हंगर प्वाइंट का केन्द्र है। हंगर प्वाइंट मानव की पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली पर नजर रखने और मोटापे की संभावना को कम करने में मदद करता है।
कान में छेद करवाना आपकी दृष्टि में सुधार करने में मदद करता है। एक्यूपंक्चर के अनुसार, कान के बीच के केंद्रीय बिंदु का संबंध आंखों की रोशनी से होता है। एक्यूपंक्चर में इसी जोड़ पर दबाव डाला जाता है, जिससे आंखों की रोशनी सही रहती है।
कान में छेद करवाना महिलाओं और पुरुष दोनों के लिए फायदेमंद होता है। क्योंकि कान के बीच की सबसे खास जगह जिसे प्रजनन के लिए जिम्मेदार माना जाता है, न केवल पुरुषों के लिए फायदेमंद होता है, बल्कि महिलाओं की अनियमित पीरियड्स की समस्या को भी दूर करता है।
चिकित्सक बताते हैं जो पुरुष कान छिदवाते हैं उनमें लकवे की शिकायत होने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा हार्निया और हाइड्रोसील जैसी बीमारियां होने की संभावना भी कान छिदवाने के बाद कम हो जाती है।
वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार कान छिदवाने से व्यक्ति के ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन सही प्रकार से होता है। और ब्रेन में ब्लड का सही तरह से सर्कुलेशन होने से आपकी बौद्धिक योग्यता बढती है।