जानिए क्या है मौसम और मूड का कनेक्शन?
बॉलीवुड फिल्म ‘जानवर’ का गाना ‘मौसम की तरह तुम भी बदल तो न जाओगे..’ आपने भी कई बार सुना होगा. इस गाने की लिरिक्स को सभी ने खूब एंजॉय किया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बॉलीवुड फिल्म 'जानवर' का गाना 'मौसम की तरह तुम भी बदल तो न जाओगे..' आपने भी कई बार सुना होगा. इस गाने की लिरिक्स को सभी ने खूब एंजॉय किया है. इसकी कुछ बातें असल जिंदगी में भी सही साबित हो सकती हैं. जी हां, मौसम के मुताबिक लोगों का व्यवहार बदल सकता है. सुनकर चौंक रहे होंगे लेकिन यह बात बिल्कुल सच है. मौसम में बदलाव आने से लोगों के मूड और एनर्जी में बदलाव आ जाता है. अब तक कई स्टडी में भी यह बात सामने आ चुकी है. इतना ही नहीं मौसम और मेंटल हेल्थ का गहरा कनेक्शन होता है. इस बारे में कुछ बातें जान लेनी चाहिए.
क्या है मौसम और मूड का कनेक्शन?
हेल्थलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक मौसम और मूड का गहरा कनेक्शन होता है. साल 2011 में एक रिसर्च की गई थी, जिसमें मौसम और मूड के आधार पर लोगों की चार कैटेगरी परिभाषित की गई थीं. पहली कैटेगरी में वे लोग शामिल थे, जो गर्मियों को पसंद करते हैं. ऐसे लोगों का मूड गर्म और सनी वेदर में इंप्रूव हो जाता है. दूसरी कैटेगरी में शामिल लोग गर्मी को पसंद नहीं करते. तीसरी कैटेगरी वाले व्यक्ति बारिश में बेहतर फील नहीं करते. चौथी कैटेगरी वाले लोगों का मूड हर मौसम में एक जैसा रहता है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि मौसम का लोगों पर अलग-अलग तरीके से असर पड़ता है. किसी को गर्मियां पसंद होती हैं तो कुछ लोगों को सर्दियों में अच्छा लगता है. मौसम के हिसाब से लोगों को अच्छा और बुरा फील होने लगता है.
क्या कहती है हालिया स्टडी?
हालिया स्टडी के मुताबिक मौसम हमारी मेंटल हेल्थ को कई तरीके से प्रभावित करता है. जब तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाए या 21 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाए, तब लोग नेगेटिव फील करते हैं और उनका कॉन्फिडेंस लेवल लो हो जाता है. ह्यूमिडिटी और फॉग की वजह से भी मूड बिगड़ जाता है. इसके अलावा जब टेंपरेचर 10 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा और 21 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है, तब लोग खुश महसूस करते हैं. उनका कॉन्फिडेंस लेवल हाई हो जाता है. साफ आसमान और धूप हमारे मूड को बेहतर बनाती है. टेंपरेचर का मूड पर सबसे ज्यादा असर होता है.
एनर्जी और स्ट्रेस लेवल पर भी होता है असर
सर्दियों के मौसम में आपकी एनर्जी लो हो जाती है और ज्यादा रोशनी न होने की वजह से लोगों का आराम करने का मन करता है. जबकि गर्मियों के मौसम में आपकी एनर्जी बढ़ जाती है और आप काफी एक्टिव हो जाते हैं. हालांकि ज्यादा तापमान होने पर थकावट आ जाती है और आप गर्मी से बचने के रास्ते तलाशने लगते हैं. इसके अलावा अत्यधिक तापमान की वजह से आपका स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है और आप एग्रेसिव हो जाते हैं. कई बार एग्रेसन हिंसा की वजह भी बन जाता है. सर्दियों में स्ट्रेस लेवल थोड़ा कम हो जाता है. कुछ लोगों को बारिश के मौसम में एंजाइटी और डिप्रेशन जैसी समस्या हो जाती है.