जानिए उग्र ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से बचने का बहुत ही सरल और ये अचूक उपाय
फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक का समय होलाष्टक कहा जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तक का समय होलाष्टक कहा जाता है। वहीं हिन्दू पंचांग के अनुसार आज 10 मार्च से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएंगे और संपूर्ण जगत उग्र ग्रहों के प्रभाव में आ जाएगा और वहीं होलाष्टक काल में शादी-ब्याह, सगाई, मुंडन, ग्रह प्रवेश और भूमि पूजन जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, इस दौरान सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। लेकिन होलाष्टक के दौरान स्नान-दान, जप-तप और पुण्य आदि कार्य किए जा सकते हैं और वहीं होलाष्टक काल में किया गया स्नान-दान, जप-तप आदि कार्य बहुत ही शुभ और चमत्कारी प्रभाव आपके जीवन में लाता है। तो आइए जानते हैं होलाष्टक के दौरान किए गए स्नान-दान और जप-तप आदि से हमारे जीवन में क्या प्रभाव होता है और यह हमारे लिए कैसे फायदेमंद होता है।