जानिए पैसिव स्मोकिंग से ऐसे करें बचाव
जब कोई व्यक्ति सिगरेट पीता है तो जितना धुआं उसकी सांसों में जाता है, उससे कहीं ज्यादा बाहर की सराउंडिंग में फेल जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जब कोई व्यक्ति सिगरेट पीता है तो जितना धुआं उसकी सांसों में जाता है, उससे कहीं ज्यादा बाहर की सराउंडिंग में फेल जाता है. इसके कॉन्टेक्ट में आना ही पैसिव स्मोकिंग कहलाता है. पैसिव स्मोकिंग में जान-बूझकर न सही, लेकिन स्मोकिंग के बराबर बीमारियों का खतरा रहता है. सिगरेट का थोड़ा धुआं सिगरेट पीने वाले के फेफड़ों तक पहुंचता है, बाकी व्यक्ति के मुंह से निकलकर आसपास के वातावरण में फैल जाता है. इस स्मोक को सेकंड हैंड स्मोकिंग या पैसिव स्मोकिंग कहते हैं. इस स्मोक में 4000 से भी ज्यादा इरिटेंट्स, टॉक्सिंस और कैंसर पैदा करने वाले कैमिकल्स होते हैं. ये धुआं व्यक्ति के पास रहने वाले उसके दोस्तों और परिवार वालों की सांसों में जाता है और जाने अनजाने वो भी स्मोकिंग जैसी लत के बराबर नुकसान झेलते हैं.