छोटे बच्चों का पालन-पोषण करते वक्त जरूर ध्यान में रखें ये 5 बातें

वक्त जरूर ध्यान में रखें ये 5 बातें

Update: 2023-09-30 08:52 GMT
बच्चे के जीवन के शुरुआती साल, आम तौर पर जन्म से पांच साल तक की उम्र तक उनके ओवरऑल हेल्थ के लिए महत्वपूर्ण पीरियड होते हैं। यही वो समय होता है जब बच्चे के मस्तिष्क में कुछ जरूरी विकास होता है जो उनके फ्यूचर,शिक्षा, व्यवहार की नींव रखता है। हर माता पिता का ये फर्ज बनता है कि वो बच्चों को एक ऐसा माहौल प्रदान करें जो हेल्दी ग्रोथ और डेवलपमेंट को सपोर्ट करें। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कैसे बच्चों के शुरुआती दौर में पालन पोषण करना चाहिए। इस बारे में जानकारी दे रही हैं Shikha Saxena, AVP-Academics & International Collaboration, Cambridge Montessori Pre-School, and Daycare
उचित पोषण
उचित पोषण बच्चे के शारीरिक और कॉग्निटिव विकास में मौलिक भूमिका निभाता है। जब भी अपने बच्चे को खाना खिलाएं ये सुनिश्चित करें कि उनका आहार जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर हो। शुरुआती महीनों में बच्चों को स्तनपान ( नई मां बच्चे को ऐसे कराएं स्तनपान) कराना चाहिए, लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे ठोस आहार देना शुरू कर दें। जरूरत पड़े तो एक्सपर्ट से बच्चे की डाइट चार्ट तैयार करवा लें।
हेल्दी स्लीप
शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पर्याप्त नींद (अच्छी नींद लेने के टिप्स) सबसे जरूरी है। अपने बच्चों में अच्छी नींद की आदतें विकसित करने में मदद करें, ताकि आपका बच्चा अधिक सतर्क हो और उसमें ज्यादा सीखने की क्षमता विकसित हो सके। इससे बच्चे अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने में सक्षम हो जाते हैं।
सोशल इंटरेक्शन
अपने बच्चे को सामाजिक होना सिखाएं। दरअसल कई माता पिता बच्चे को किसी से घुलने मिलने नहीं देते हैं। ऐसे में वो अंतर्मुखी रह जाते हैं। बाहरी दुनिया से उनका कोई नहीं हो नाता नहीं रहता है । ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बच्चे को परिवार या आस पड़ोस के लोगों के साथ घुलने मिलने के लिए इनकरेज करें। आप उन्हें पार्क में ले जाएं, दोस्ती करने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। बच्चे खुद के डिसीजन लेने में सक्षम हो पाएंगे।
अनकंडिशनल लव और इमोशनल सिक्योरिटी
एक्सपर्ट के मुताबिक एक मजबूत इमोशनल बॉन्ड मनोवैज्ञानिक क्लायण की नींव है। बच्चे को प्यार भरा माहौल देने से विश्वास और इमोशनल सिक्योरिटी पैदा होती है। अगर आप बच्चे को फिजिकल अफेक्शन देते हैं, उनसे प्यारी-प्यारी बातें करते हैं ये सभी चीज़े बच्चे में अपनेपन और आत्म सम्मान की भावना पैदा करते हैं।
रिस्पॉन्सिव पैरेंटिंग
रिस्पॉन्सिव पैरेंटिंग हर माता पिता को करनी चाहिए। माता पिता को अपने बच्चों के जरूरत को समझना काफी जरूरी होता है,क्यों कि छोटा बच्चा इतना समझदार नहीं होता कि आपको वो अपनी जरूरत बत पाए। आपका बच्चा भूखा हो या उसे आराम की जरूरत हो या वो बातचीत करना चाहता हो,आप उसे हर हाल में रिस्पॉन्ड करें, अपने बच्चे की जरूरत को वैल्यू करें। इससे बच्चे में खुद के वैल्यू की जाने की भावना बढ़ती है।
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