तपती गर्मी के बाद ठंडक की सौगात लेकर आनेवाला बरसात का मौसम जितना सुहाना लगता है, स्वास्थ्य की दृष्टि से उतना ही संवेदनशील भी होता है. बारिश के चलते नमी बढ़ जाती है. अचानकर बारिश रुक जाने पर उमस बढ़ जाती है. इससे तापमान में उतार-चढ़ाव होते रहता है. तापमान में होनेवाला यह बदलाव मच्छरों के पनपने के लिए सबसे बढ़िया होता है. इसके अलावा बरसात के मौसम में वायरल और बैक्टीरियल इन्फ़ेक्शन्स की संभावना भी दूसरे मौसम की तुलना में काफ़ी हद तक बढ़ जाती है. आइए जानते हैं कि इस सुहाने मौसम का आनंद लेने के साथ-साथ आपको किन बीमारियों से ख़ुद को बचाने की ज़रूरत होगी.
पानी के चलते होनेवाली बीमारियां
बरसात के मौसम में पानी छानकर और उबालकर पीना चाहिए, यह हमें बचपन से बताया, पढ़ाया, सिखाया जाता रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि बरसात के दौरान पानी के दूषित होने की संभावना अधिक रहती है. साथ ही पानी में पनपनेवाले बैक्टीरिया और वायरसेस के ग्रोथ के लिए भी मौसम अनुकूल होता है. ऐसे में काफ़ी हद तक संभव है कि हम पानी के चलते होनेवाली बीमारियों की चपेट में आ जाएं. इन तीन बीमारियों पर हमें ख़ास ध्यान देना चाहिए.
1. टायफ़ॉइड
यह बीमारी सैल्मोनेला नामक बैक्टीरिया के चलते होती है. इसके बैक्टीरिया भोजन और पानी के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचते हैं. टायफ़ॉइड में लंबे समय तक बुखार रहता है और पेट में तेज़ दर्द होता है. सिर दुखना और उल्टियां आना भी इसके लक्षण हैं. मरीज़ के ठीक होने के बाद भी इसके बैक्टीरिया गॉल ब्लैडर में बने रहते हैं.
टायफ़ॉइड के केस में मरीज़ को चाहिए को वह पर्याप्त मात्रा में लिक्विड लेता रहे, ताकि उसे डीहाइड्रेशन का सामना न करना पड़े. साफ़-सफ़ाई भी बहुत महत्वपूर्ण है. मरीज़ को बाहर के खाने से भी परहेज़ करना चाहिए. चूंकि यह एक संसर्गजन्य बीमारी है इसलिए मरीज़ को दूसरों से दूरी बनाकर रहना चाहिए. टायफ़ॉइड की वैक्सिन्स उपलब्ध हैं.
2. हेपेटाइटिस ए
यह भी पानी के चलते होनेवाली बीमारी है. यह हेपेटाइटिस ए नामक वायरस के चलते होता है. इससे लिवर में सूजन आ जाती है. इस वायरस से संक्रमित पानी या भोजन का सेवन करने से हम हेपेटाइटिस ए से संक्रमित हो जाते हैं. संक्रमित व्यक्ति के मल-मूत्र के संपर्क में आने से भी वायरस हमारे अंदर आ सकता है. बुखार, बदन दर्द, भूख न लगना, जी मिचलाना इसके आम लक्षण हैं. हेपेटाइटिस ए आगे चलकर जॉन्डिस यानी पीलिया में भी तब्दील हो सकता है. इसमें त्वचा और आंखों में पीलापन आ जाता है. इससे बचना है तो बारिश के मौसम में सड़क के किनारे के खोमोचों से न खाएं. पानी उबालकर पिएं और साफ़-सफ़ाई रखें.
3. लेप्टोस्पाइरोसिस
यह एक बैक्टीरियल इन्फ़ेक्शन है, जो जानवरों के संपर्क में आने से होता है. लेप्टोस्पाइरोसिस के बैक्टीरिया जानवरों के किडनी में रहते हैं. उनके मूत्र द्वारा मिट्टी और पानी में मिल जाते हैं. यदि आपकी त्वचा पर खरोंच लगी हो या घाव लगा हो और आप उस मिट्टी या पानी के संपर्क में आते हैं, जहां संक्रमित जानवर में पेशाब किया है लेप्टोस्पाइरोसिस के बैक्टीरिया आपके शरीर में आ जाते हैं. इसके बैक्टीरिया नाक, मुंह या जेनाइटल के द्वारा भी हमारे शरीर में आ सकते हैं.
सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, बुखार इसके आम लक्षण हैं. हालांकि लेप्टोस्पाइरोसिस तक़लीफ़ देह बीमारी है, पर जानलेवा नहीं है. इसके बैक्टीरिया हमारे शरीर में ज़्यादा से ज़्यादा एक सप्ताह तक रहते हैं. इससे बचाव के लिए आप ऐसे पानी में तैरने या हाथ-पैर धोने से बचें, जिसमें जानवरों के पेशाब मिलने की संभावना हो. नंगे पैर न चलें. ख़ासकर जहां जानवरों के मलमूत्र हों.
मच्छरों के चलते होनेवाली बीमारियां
जगह-जगह पानी जमा होना बरसात की आम समस्या है. पर यह आम समस्या जन्म देती है मच्छरों के झुंड के झुंड को, जो हमारी सेहत के लिए समस्या पैदा कर देते हैं. आइए जानें, ये मच्छर हमें किन बीमारियों का तोहफ़ा दे सकते हैं.
1. डेंगू
डेंगू या डेंगी बारिश में मच्छरों के चलते फैलनेवाली सबसे ख़तरनाक बीमारियों में एक है. यह टाइगर मॉस्कीटो (एडीज इजिप्टी) नामक मच्छर के काटने से होती है. डेंगू के लक्षण हैं लिम्फ़ नोड में सूजन, मसल्स और जोड़ों में भयंकर दर्द, थकान, बुखार, सिरदर्द और रैश.
डेंगू के लिए कोई विशेष ऐंटीबायोटिक या ऐंटीवायरल ट्रीटमेंट उपलब्ध नहीं है. ख़ुद को मच्छरों के संपर्क में आने से बचाना ही इससे दूर रहने का सबसे अच्छा उपाय है. मॉस्कीटो रिपलेंट्स लगाएं, मच्छरदानी लगाकर सोएं, घर से बाहर निकलते समय फ़ुल स्लीव्स वाली ड्रेसेस पहनें. घर और ऑफ़िस के आसपास पानी न जमा होने दें. थकान महसूस होने पर पर्याप्त आराम करें और डीहाइड्रेशन से बचने के लिए फ़्लूइड का इनटेक भी पर्याप्त रखें.
2. मलेरिया
मलेरिया बरसात के मौसम में मच्छरों के काटने से होनेवाली सबसे आम बीमारी है. यह गंदे पानी में पनपनेवाले एनोफ़िलीज़ नामक मच्छर के काटने से होती है. बुखार, ठंडी लगना, शरीर में अकड़न और पसीना आना मलेरिया के लक्षण हैं. यदि समय रहते मलेरिया का इलाज नहीं कराया गया तो जॉन्डिस और किडनी फ़ेलियर जैसे कॉम्प्लिकेशन्स हो सकते हैं. मलेरिया के चलते हर वर्ष भारत में हज़ारों लोग मर जाते हैं. चूंकि बरसात में पानी का जमाव अधिक होता है, जिससे मलेरिया के मच्छरों को पनपने में मदद मिलती है. इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि अपने घर या ऑफ़िस के आसपास पानी का जमाव न होने दें. मॉस्कीटो रिपलेंट्स और मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.
वायरल फ़ीवर
मौसम में अचानक होनेवाले बदलाव और तापमान के कम, ज़्यादा होते रहने से हमारा शरीर बड़ी आसानी से वायरल इन्फ़ेक्शन के चपेट में आ जाता है. वायरल इन्फ़ेक्शन से सर्दी-खांसी जैसी समस्याएं होती हैं. वायरल इन्फ़ेक्शन के सामान्य लक्षण हैं-छींकें आना, गले में खराश और बुखार. यदि आप चाहते हैं कि वायरल इन्फ़ेक्शन आपको परेशान न करे तो बारिश में न भीगें. यदि भीग गए हैं तो लंबे समय तक भीगे कपड़ों में न रहें. बाहर से आने के बाद हाथ-पैर अच्छे से धोएं. गले की खराश से निजात पाने के लिए गर्म पाने के गरारे करें. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन सी की प्रचुरतावाले फल-सब्ज़ियां खाएं और हरी सब्ज़ियों को भी डायट में शामिल करें.
How to prevent these common monsoon diseases
पेट के इन्फ़ेक्शन्स
दूषित पानी या भोजन के चलते गैस्ट्रोएन्टराइटिस (पेट और आंत में सूजन आना) और फ़ूड पॉइज़निंग जैसी समस्याएं मॉनसून में बड़ी आम हैं. इन मामलों में पेट में मरोड़, जी मिचलाना, उल्टी और डायरिया जैसे लक्षण देखे जाते हैं. इस तरह के इन्फ़ेक्शन्स से बचने के लिए बहुत ज़रूरी है कि खाने से पहले फलों और सब्ज़ियों को अच्छे से धो लें. बारिश के मौसम में कच्चा खाना और स्ट्रीट फ़ूड खाने से बचें. ख़ूब पानी पिएं. उल्टी और दस्त होने की स्थिति में ओआरएस लें. अपने खानपान में दही, चावल और केला शामिल करें. पानी उबालकर पिएं.
आंखों के इन्फ़ेक्शन्स
कन्जंक्टिवाइटिस (नेत्र शोथ), आइ स्टाय (गुहेरी) और ड्राय आइज़ जैसी आंखों से जुड़ी समस्याएं बरसात के मौसम में आपको परेशान कर सकती हैं. वैसे भी यह वह समय होता है, जब वायरल और बैक्टीरियल इन्फ़ेक्शन्स को फैलने के लिए मुफ़ीद माहौल मिलता है. चूंकि आंखें बेहद संवेदनशील होती हैं, अत: उन्हें किसी भी तरह के इन्फ़ेक्शन्स से बचाने के लिए बाहर जाते समय सनग्लासेस लगाकर जाएं, ख़ासकर जब आंखों की बीमारियां फैली हों. अपने हाथों को हैंडवॉश या साबुन से धोएं. आंखों पर ठंडे पानी के छींटें मारें.
स्किन इन्फ़ेक्शन्स
नमी, उमस और पसीने के चलते इस मौसम में स्किन इन्फ़ेक्शन्स होने की संभावना भी काफ़ी बढ़ जाती है. इंटरट्रिगो (दो उंगलियों के बीच सूजन आना), आर्म पिट्स और जांघों के आसपास खुजली. यीस्ट इन्फ़ेक्शन, दाद, मुहांसे, ऐथलीट्स फ़ुट (फफूंद के चलते पैरों की उंगलियों के बीच होनेवाला इन्फ़ेक्शन) आदि भी बरसात में काफ़ी परेशान करते हैं.
यदि आप इन इन्फ़ेक्शन्स से बचना चाहते हैं तो बरसात में गीले कपड़े न पहनें, ख़ासकर गीले जूते और मोजे. चुस्त कपड़े न पहनें. यदि अंडरगार्मेंट्स गीले हो गए हैं तो उन्हें तुरंत बदल दें. ऐंटी-बैक्टीरियल साबुन, फ़ेस वॉश और टेल्कम पाउडर का इस्तेमाल करें.