क्या नाभि पर तेल लगाना स्किन और शरीर के लिए फायदेमंद है

Update: 2023-05-15 13:45 GMT
भारत जैसे देश में हजारों साल से नाभि में तेल लगाने की परंपरा रही है। भारत में नवजात बच्चों की मालिश करने वाली दाई थोड़ा सा तेल उनकी नाभि पर जरूर लगाती है। इस प्रक्रिया को हजारों साल से फॉलो किया जा रहा है।
नाभि में तेल लगाने की प्रक्रिया को आयुर्वेद में 'नाभि स्नेहन' कहा जाता है। जबकि, आधुनिक वैज्ञानिक इसे अंग्रेजी भाषा में पेकोटी मेथेड Pechoti Method, Belly Button Oiling या Navel Oiling कहते हैं।
मेरे मन में इसे लेकर कई सवाल थे कि नाभि में तेल लगाना क्या आयुर्वेदिक प्रक्रिया है? क्या नाभि में तेल लगाने से शरीर या स्किन को कोई फायदा पहुंचता है? या फिर, इस प्रक्रिया का वैज्ञानिक आधार क्या है? विज्ञान, नाभि में तेल लगाने के बारे में क्या सोचता है?
इस आर्टिकल में हम आपको रिसर्च बेस्ड तरीके से बताएंगे कि नाभि में तेल लगाने के फायदे क्या हैं? नाभि में तेल क्यों लगाना चाहिए? ये प्रक्रिया कैसे काम करती है और क्या तेल को नाभि पर लगाना एक सुरक्षित आदत है? पेकोटी मेथेड या पेकोटी इनटेक मेथेड (Pechoti Intake Method) नाभि में तेल लगाने को कहा जाता है। मान्यता है कि, नाभि के नीचे मौजूद पेकोटी ग्रंथि एसेंशियल ऑयल्स को नाभि के जरिए सोख सकती है। इसी विश्वास के कारण लोग पेट में दर्द होने पर राहत पाने के लिए नाभि की मसाज भी करते हैं।
अफ्रीका और मैक्सिको में भी ये विश्वास पाया जाता है कि, पेकोटी ग्रंथि शरीर में सीबीडी ऑयल या भांग के तेल को सोख सकती है। हालांकि, इसके कोई सबूत नहीं पाए गए हैं कि, ऐसी कोई ग्रंथि शरीर में पाई जाती है।
पेकोटी मेथेड आयुर्वेदिक दवाओं से आता है। आयुर्वेद भारत में जन्मी उपचार की प्राचीन पद्यति है। ये शारीरिक और स्प्रिचुअल हेल्थ के बीच संपर्क बनाने पर फोकस करती है।
लेकिन इस बात के कोई क्लिनिकल सबूत नहीं हैं कि पेकोटी ग्रंथि नाभि के नीचे या शरीर के किसी अन्य अंग में मौजूद होती है।
साल 2014 में आयुर्वेदिक दवाओं पर की गई रिव्यू स्टडी के अनुसार, आयुर्वेदिक दवाओं पर सिर्फ एक वैज्ञानिक स्टडी की गई है। ये स्टडी भी 7000 अन्य स्टडी का एक कलेक्शन था।
इसके बाद से अभी तक कोई रिसर्च इस पर नहीं की गई है। लेकिन इससे ये मतलब नहीं है कि, पेकोटी मेथेड के बारे में मिथक फैलना बंद हो गए।
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