बच्चों के लिए घातक बन सकती हैं हाईपर पेरेंटिंग, जानें इसके नुकसान

बच्चों के लिए घातक बन सकती हैं हाईपर

Update: 2023-06-16 08:21 GMT
हर पेरेंट्स अपने बच्चों की भलाई चाहते हैं और उसके लिए उन्हें अच्छी परवरिश या पेरेंटिंग करने की कोशिश करते हैं। सभी पेरेंट्स का अपने बच्चों की परवरिश करने का एक अलग तरीका होता है। लेकिन कई बार आपकी यह कोशिश बच्चों को फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान पहुंचाती हैं। जी हां, कई पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ हाईपर पेरेंटिंग को अपनाते हैं। यह पेरेटिंग का एक ऐसा रूप है जहां माता-पिता बच्चे की हर एक्टिविटी को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। वह बच्चों की हर समस्या को खुद ही हल करने का प्रयास करते हैं। वह चाहते हैं कि उनका बच्चा हर चीज में आगे हो। कई बार इसका नकारात्मक असर भी बच्चों पर पड़ता है। आज इस कड़ी में हम आपको हाईपर पेरेंटिंग से बच्चों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के बारे में बताने जा रहे हैं।
माता-पिता से टकराव
कई बार इस दौरान बच्चों के मन में माता-पिता के प्रति नकारात्मक विचार पैदा हो सकते हैं। इस दौरान बच्चों को ऐसा लग सकता है कि वे किसी की कैद में हैं। इसकी वजह से धीरे-धीरे उनके बड़े होने पर अपने माता-पिता के प्रति नकारात्मक विचार पैदा होने की आशंका बनी रहती है।
सोचने के क्षमता का कमजोर हो जाना
जब बच्चे हर काम पेरेंट्स की मदद से करते हैं तो उनमे खुद की समझ भी देर डेवलप होती है। हर काम को सपोर्ट से करते-करते उनकी थिंकिग स्किल कमजोर पड़ जाती है। वहीँ जब उनको स्कूल या कहीं बाहर खुद की समझ से कुछ काम करने को दिया जाता है तो वह और बच्चों की तुनला में पिछड़ जाता है। इसलिए पेरेंट्स को हर काम में बच्चे की मदद करके उसकी सोचने के क्षमता को कमजोर नहीं बनाना चाहिए।
खुद को कम समझना
माता-पिता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरने पर बच्चों को लगने लगता है कि वह दूसरे बच्चों से कम हैं। उन्हें खुद में कमी महसूस होने लगती है, जिससे वह अपने माता-पिता सहित अन्य लोगों से भी कटने लगते हैं। बच्चों में यह व्यवहार घातक हो सकता है। ऐसे बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। वह घर से बाहर या स्कूल में किसी भी काम को अकेले करने में घबराते हैं। वो हर छोटे काम को करने में चिंता और परेशानी महसूस करते है।
बिमारियों का शिकार हो जाना
अपने बच्चों को लेकर हर समय चिंतित करना ऐसे पेरेंट्स की आदत होती है। अगर उनका बच्चा अगर बाहर पार्क में खेलने जाए तो उनको हाइजीन की चिंता सताती है। उनको लगता है दूसरे बच्चों के साथ धूल मिट्टी में खेलने से वह जर्म्स के कॉन्टेक्ट में आएगा। जबकि हर समय साफ़ सफाई के माहौल में रहने वाले बच्चे जल्दी बिमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
डर महसूस करना
हाइपर पेरेंटिंग के चलते कई बार बच्चे डर का शिकार होने लगते हैं। वह हर चीज को करने और किसी मुश्किल का सामना करने से कतराते हैं। हर चीज से डरते हैं और निरंतर समर्थन चाहते हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह है मानसिक शक्ति की कमी
बुलिंग का शिकार होना
हाईपर पेरेंटिंग से अकसर बच्चे फ्रीडम वाले महौल को मिस कर जाते हैं। वो अपने से जुड़ी हर बात या फैसले के लिए पेरेंट्स पर डिपेंड होते हैं। क्योंकि उनको ज्यादा फ्र्रेंडम नहीं मिली होती इसलिए वो बुलिंग के टाइम पर अपने साथयों को ज्यादा जवाब नहीं दे पाते। हर बात में पेरेंट्स के कंट्रोल से बच्चे शर्मीले बन सकते हैं जो आसानी से दूसरों के कमेंट से ही दुखी हो जाते हैं।
माता-पिता पर निर्भरता बढ़ना
ऐसे बच्चे जिनका पालन-पोषण हाईपर पेरेंटिंग के तौर तरीकों से हुआ है उनकी अपने माता-पिता पर निर्भरता बढ़ जाती है। ऐसे बच्चे हर किसी चीज के लिए माता-पिता पर निर्भर हो जाते हैं। एक तरफ जहां पूरी दुनिया बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास कर रही है वहीं हेलिकॉप्टर पेरेंटिंग बच्चों को माता-पिता पर अधिक निर्भर बनती है।
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