आजादी के पहले और बाद भी अपनी अलग अहमियत रखता है हैदराबाद, विश्व का सबसे तेज गति से बढ़ता हाईटेक सिटी

बढ़ता हाईटेक सिटी

Update: 2023-09-08 09:11 GMT
हैदराबाद भारत के राज्य तेलंगाना कि राजधानी है। यह नगर दक्कन के पठार पर मूसी नदी के किनारे स्थित है। 542 मी॰ (1,778 फीट) की औसत ऊंचाई के साथ, हैदराबाद का अधिकांश भाग कृत्रिम झीलों के आसपास पहाड़ी इलाके में स्थित है, जिसमें हुसैन सागर झील भी शामिल है, जो शहर के केंद्र के उत्तर में शहर की स्थापना से पहले की है। हैदराबाद शहर की आबादी 6.9 मिलियन है, हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन रीजन में लगभग 9.7 मिलियन के साथ, यह भारत का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और भारत में छठा सबसे अधिक आबादी वाला शहरी समूह है। 74 बिलियन अमेरिकी डॉलर के उत्पादन के साथ, हैदराबाद भारत के समग्र सकल घरेलू उत्पाद में पांचवां सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। 1956 से, हैदराबाद शहर ने भारत के राष्ट्रपति के शीतकालीन कार्यालय को रखा है। 20वीं शताब्दी के दौरान दक्कन का पठार और पश्चिमी घाट के बीच हैदराबाद के केंद्रीय स्थान और औद्योगिकीकरण ने प्रमुख भारतीय अनुसंधान, विनिर्माण, शैक्षिक और वित्तीय संस्थानों को आकर्षित किया। 1990 के दशक के बाद से, शहर फार्मास्यूटिकल्स और जैव प्रौद्योगिकी के भारतीय केंद्र के रूप में उभरा है। सूचना प्रौद्योगिकी के लिए समर्पित विशेष आर्थिक क्षेत्रों और हाईटेक सिटी के गठन ने अग्रणी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को हैदराबाद में परिचालन स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
शहर में स्थित तेलुगु फिल्म उद्योग देश का दूसरा सबसे बड़ा चलचित्र निर्माता है। कहा जाता है कि किसी समय में इस ख़ूबसूरत शहर को क़ुतुबशाही परम्परा के पांचवें शासक मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने अपनी प्रेमिका भागमती को उपहार स्वरूप भेंट किया था। हैदराबाद को 'निज़ाम का शहर' तथा 'मोतियों का शहर' भी कहा जाता है।
स्थापना
गोलकोंडा का पुराना क़िला राज्य की राजधानी के लिए अपर्याप्त सिद्ध हुआ और इसलिए लगभग 1591 में क़ुतुबशाही वंश में पांचवें, मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने पुराने गोलकोंडा से कुछ मील दूर "मूसा नदी" {जो आज मूसी नदी के नाम से जाना जाता है} के किनारे हैदराबाद नामक नया नगर बनाया। चार खुली मेहराबों और चार मीनारों वाली भारतीय-अरबी शैली की भव्य वास्तुशिल्पीय रचना चारमीनार, क़ुतुबशाही काल की सर्वोच्च उपलब्धि मानी जाती है। यह वह केंद्र है, जिसके आसपास बनाई गई मक्का मस्जिद 10 हज़ार लोगो को समाहित कर सकती है। हैदराबाद अपने सौंदर्य और समृद्धि के लिए जाना जाता है। चारमीनार के बगल में लाड-बाजार, गुलजार हौज, मशहूर विक्रय केंद्र है।
आजादी के बाद
जब 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ, ब्रिटिश शासन से हुई शर्तों के तहत हैदराबाद ने; जिसका प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और निज़ाम कर रहे थे, स्वतंत्र होने को चुना, एक मुक्त शासक की भांति या ब्रिटिश साम्राज्य की रियासत की भांति भारत ने हैदराबाद स्टेट पर आर्थिक नाकेबंदी लगा दी। परिणामतः हैदराबा स्टेट को एक विराम समझौता करना पड़ा। भारत की स्वतंत्रता के करीब एक साल बाद, 17 सितम्बर 1948 के दिन निज़ाम ने अधिमिलन प्रपत्र पर हस्ताक्षर किये। 1 नवम्बर 1956 को भारत का भाषायी आधार पर पुर्नसंगठन किया गया। हैदराबाद स्टेट के प्रदेश नये बने आन्ध्र प्रदेश, मुंबई (बाद में महाराष्ट्र) और कर्नाटक राज्यों में तेलुगुभाषी लोगों के अनुसार बांट दिये गये। इस तरह हैदराबाद नए बने राज्य आंध्र प्रदेश की राजधानी बना। भारत का संविधान, जो 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुआ, ने हैदराबाद राज्य को भारत के भाग बी राज्यों में से एक बना दिया, जिसमें हैदराबाद शहर राजधानी बना रहा। अपनी 1955 की रिपोर्ट में भाषाई राज्यों पर विचार, भारतीय संविधान की मसौदा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष बी आर अम्बेडकर ने अपनी सुविधाओं और रणनीतिक केंद्रीय स्थान के कारण हैदराबाद शहर को भारत की दूसरी राजधानी के रूप में नामित करने का प्रस्ताव दिया। आंध्रप्रदेश आजादी के बाद देश के बने राज्यों में 1 नवम्बर 1956 को सबसे पहला राज्य बना था। देश के पुर्नसंगठन में इसने अपनी अहम् भूमिका निभाई।
आधुनिक इतिहास
1724 में असफ़ जाह प्रथम, जिसे मुगल सम्राट ने "निज़ाम-उल-मुल्क" का खिताब दिया था, ने एक विरोधी अधिकारी को हैदराबाद पर अधिकार स्थापित करने में हरा दिया। इस तरह आसफ़ जाह राजवंश का प्रारंभ हुआ, जिसने हैदराबाद पर भारत की अंग्रेजों से स्वतंत्रता के एक साल बाद तक शासन किया। आसफ़ जाह के उत्तराधिकारीयों ने हैदराबाद स्टेट पर राज्य किया, वे निज़ाम कहलाते थे। इन सात निजामों के राज्य में हैदराबाद सांस्कृतिक और आर्थिक दोनों भांति विकसित हुआ। हैदराबाद राज्य की आधिकारिक राजधानी बन गया और पुरानी राजधानी गोलकुंडा छोड़ दी गयी। बड़े बड़े जलाशय जैसे कि निज़ाम सागर, तुंगबाद्र, ओसमान सागर, हिमायत सागर और भी कई बनाये गये। नागार्जुन सागर परियोजना के लिये सर्वे भी इसी समय शुरू किया गया, जिसे भारत सरकार ने 1969 में पूरा किया। हैदराबाद के लगभग सभी प्रमुख सार्वजनिक इमारतों और संस्थानों, जैसे उस्मानिया जनरल अस्पताल, हैदराबाद उच्च न्यायालय, जुबली हॉल, गवर्नमेंट निज़ामिआ जनरल हॉस्पिटल, मोजाम जाही बाजार, कचिगुडा रेलवे स्टेशन, असफिया लाइब्रेरी (राज्य केंद्रीय पुस्तकालय), निज़ाम शुगर फैक्ट्री, टाउन हॉल (असेंबली हॉल), हैदराबाद संग्रहालय अब राज्य संग्रहालय के रूप में जाना जाता है और कई अन्य स्मारक इस शासनकाल के दौरान बनाए गए थे।
हैदराबाद के प्रमुख पर्यटक स्थल
चारमीनार
चार मीनार 1591 में निर्मित, भारत के हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित एक स्मारक और मस्जिद है। यह विश्व स्तर पर हैदराबाद के प्रतीक के रूप में जाना जाता है और भारत में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त संरचनाओं में सूचीबद्ध है। चारमीनार के लंबे इतिहास में 400 से अधिक वर्षों के लिए इसकी शीर्ष मंजिल पर एक मस्जिद का अस्तित्व शामिल है। ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण, यह संरचना के आसपास के लोकप्रिय और व्यस्त स्थानीय बाजारों के लिए भी जाना जाता है और हैदराबाद आने वाले पर्यटक आकर्षणों में से एक है। चारमीनार कई त्योहार समारोह की एक साइट है, जैसे कि ईद-उल-अधा और ईद-उल-फितर।
चारमीनार मुसी नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। इसके पश्चिम में लाद बाज़ार स्थित है और दक्षिण पश्चिम में सबसे समृद्ध ग्रेनाइट वाला मक्का मस्जिद है। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा तैयार आधिकारिक "स्मारकों की सूची" में एक पुरातात्विक और वास्तुशिल्प खजाने के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। चार और मीनार उर्दू शब्द हैं, जिसका अनुवाद "चार स्तंभ" है; एपिनेटर मीनार अलंकृत मीनार हैं जो चार भव्य मेहराबों से जुड़ी और समर्थित हैं।
फलकनुमा पैलेस
फलकनुमा पैलेस भारत में स्थित हैदराबाद के बहुत ही अधिक श्रेष्ठ स्थानों में से एक है। यह पैगाह हैदराबाद स्टेट से सम्बन्ध रखता है जिस पर बाद में निजामों द्वारा अधिपत्य किया गया। यह फलकनुमा में 32 एकड़ क्षेत्र पर बना हुआ है तथा चारमीनार से 5 किमी की दूरी पर है। इसका निर्माण नवाब वकार उल उमर द्वारा किया गया था जो कि हैदराबाद के प्रधानमन्त्री थे। फलकनुमा का तात्पर्य होता है- “आसमान की तरह” अथवा “आसमान का आइना”।
इस महल की रचना एक अंग्रेजी शिल्पकार ने की थी। इसकी रचना की आधारशिला 3 मार्च 1884 को सर वाईकर के द्वारा रखी गयी थी। वे खुद्दुस के पर पोते तथा सर चार्ल्स डार्विन के मित्र वैज्ञानिक थे। इस निर्माण को पूरा होने में कुल 9 वर्षों का समय लगा। इसका निर्माण पूर्णतया इटेलियन पत्थर द्वारा हुआ था तथा यह 93,971 वर्ग मीटर क्षेत्र को घेरे हुए है।
गोलकोंडा किला या गोलकोण्डा दक्षिणी भारत में, हैदराबाद नगर से पाँच मील पश्चिम स्थित एक दुर्ग तथा ध्वस्त नगर है। पूर्वकाल में यह कुतबशाही राज्य में मिलने वाले हीरे-जवाहरातों के लिये प्रसिद्ध था। इस दुर्ग का निर्माण वारंगल के राजा ने 14वीं शताब्दी में कराया था। बाद में यह बहमनी राजाओं के हाथ में चला गया और मुहम्मद नगर कहलाने लगा। 1512 ई. में यह कुतबशाही राजाओं के अधिकार में आया और वर्तमान हैदराबाद के शिलान्यास के समय तक उनकी राजधानी रहा। फिर 1687 ई. में इसे औरंगजेब ने जीत लिया। यह ग्रैनाइट की एक पहाड़ी पर बना है जिसमें कुल आठ दरवाजे हैं और पत्थर की तीन मील लंबी मजबूत दीवार से घिरा है। यहाँ के महलों तथा मस्जिदों के खंडहर अपने प्राचीन गौरव गरिमा की कहानी सुनाते हैं। मूसी नदी दुर्ग के दक्षिण में बहती है। दुर्ग से लगभग आधा मील उत्तर कुतबशाही राजाओं के ग्रैनाइट पत्थर के मकबरे हैं जो टूटी फूटी अवस्था में अब भी विद्यमान हैं।
2014 में यूनेस्को द्वारा इस परिसर को विश्व धरोहर स्थल बनने के लिए अपनी "अस्थायी सूची" में रखा गया था।
चौमोहल्ला पैलेस
चौमोहल्ला पैलेस हैदराबाद राज्य के निज़ाम का महल है। इसका निर्माण वर्ष 1869 में 5वें निज़ाम अफ़ज़ल-उद-दौला, आसफ जाह पंचम के शासनकाल के दौरान हुआ था। यह 45 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। आज की तारीक में यह महल 7वें निजाम के पहले पोते - मुकरम जाह की संपत्ति है। यह आसफ जाही वंश का स्थान था, जहां निज़ाम अपने शाही आगन्तुकों का सत्कार किया करते थे। 1750 में निज़ाम सलाबत जंग ने इसे बनवाया था, जो इस्फहान शहर के शाह महल की तर्ज़ पर बना है। यहां एक महलों का समूह है, जो दरबार हॉल के रूप में प्रयुक्त होते थे।
यह तीन भागों में विभाजित है—
दक्षिणी आंगन—यह महल का सबसे पुराना हिस्सा है, और इसमें चार महल: अफजल महल, महाताब महल, तेहनीयत महल और अफताब महल हैं।
उत्तरी आंगन—इस भाग में बारा इमाम है -जिसमें कैमरून का एक प्रसिद्द लंबा गलियारा है ।
खिलवत मुबारक—यूँ कहें के यह चौमाहल्ला पैलेस का दिल है। यह हैदराबादी लोगों में एक उच्च सम्मान में आयोजित किया जाता है, क्योंकि यह असफ़ जाही राजवंश का सिंहासन था इसमें प्रसिद्ध क्लॉक टॉवर, काउंसिल हॉल और रोशन बांग्ला शामिल हैं।
बिडला मंदिर
यह हिन्दू मंदिर, नगर में एक ऊंचे पहाड़ पर स्थित है, जहां से नगर का नज़ारा दिखाई देता है व पूरे नगर से यह दिखाई देता है। यह श्वेत संगमरमर का बना है।
बिडला तारामंडल
नगर के बीच में नौबत पहाड पर स्थित, तारामंडल खगोल विज्ञान को नगर का नमन है।
श्री वेंकटेश्वर स्वामी को समर्पित यह मंदिर मेहंदीपटनम से 23 किमी दूर है। इसे वीजा बालाजी भी कहते हैं, क्योंकि लोगों की यह मान्यता है, कि अमरीकी वीज़ा का इंटरव्यू इनकी कृपा से सकारात्मक परिणाम देता है।
हैदराबाद के इस प्राणी संग्रहालय की विशेषता है इसकी लॉयन सफारी तथा सफेद शेर, इसके अलावा यहां आपको अफ्रीका तथा ऑस्ट्रेलिया के भी कई वन्य प्राणी देखने को मिल जाएंगे। कई एकड़ में फैले इस प्राणी संग्रहालय में आप अपने वाहन से भी घूम सकते हैं।
यह हुसैन सागर नामक कृत्रिम झील हैदराबाद को सिकंदराबाद से अलग करती है। इसके अंदर, बीच में गौतम बुद्ध की एक 18 मी. ऊंची प्रतिमा स्थापित है। इस द्वीप पर जिस पत्थर पर यह बनी है, उसे स्थानीय लोग जिब्राल्टर का पत्थर कहते हैं।
कमल सरोवर
जुबली हिल्स पर स्थित, तालाब के चारों ओर बना एक सुंदर बगीचा है, जिसे एक इतालवी अभिकल्पक द्वारा बनाया हुआ बताया जाता है। यह वर्तमान में हैदराबाद नगरपालिक निगम द्वारा अनुरक्षित है। यह कुछ दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों का घर भी है।
पैगाह मक़बरे
पैगाह मकबरा का संबंध पैगाह के शाही परिवार से है, जिसे शम्स उल उमराही परिवार के नाम से भी जाना जाता है। हैदराबाद के उपनगर पीसाल बंदा में स्थित इस मकबरे को मकबरा शम्स उल उमरा के नाम से भी जाना जाता है। इस मकबरे के निर्माण का काम 1787 में नवाब तेगजंग बहादुर ने शुरू करवाया था और फिर बाद में इसके निर्माण कार्य में उनके बेटे आमिर ए कबीर प्रथम ने हाथ बंटाया।
स्नो वर्ल्ड
यह एक मनोरंजन पार्क है, जो कि इस उष्णकटिबंधीय शहर में लोगों बहुत कम तापमान व हिम का अनुभव देता है।
वर्गल सरस्वती देवी मंदिर
यह हैदराबाद से 50 किलोमीटर दूरी पर मेडचल महामार्ग पर स्थित मंदिर है। यह एक बड़ी शिला पर स्थित है। इस मार्ग पर आरटीसी बसें उपलब्ध हैं।
रामोजी फिल्म सिटी
संसार का सबसे बड़ा समाकलित फ़िल्म स्टूडियो सम्मिश्र है जो लगभग 2000 एकड़ में फैला है। यह एशिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन एवं मनोरंजन केंद्रों में से एक है। 1996 में उद्घाटित यह हैदराबाद से 25 किलोमीटर दूर विजयनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-9) पर स्थित है।
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