मां और बच्चा कैसे रहें हेपेटाइटिस से सुरक्षित

Update: 2023-07-27 11:53 GMT
लाइफस्टाइल: हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपाटाइटिस दिवस मनाया जाता है। इस खास मौके पर हम भी इस संक्रमण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। आम लोगों के अलावा गर्भवती महिलाओं को भी इस संक्रमण से खुद को सुरक्षित रखना चाहिए वरना यह मां के जरिए बच्चे के अंदर भी पहुंच सकता है। आइय जानते हैं विस्तार से।
मां और बच्चा कैसे रहें हेपेटाइटिस से सुरक्षित, एक्सपर्ट से जानें क्या करना चाहिए
गर्भवती महिला हेपेटाइटिस बी से रहें सुरक्षित
हेपेटाइटिस वायरल इन्फेक्शन्स का एक समूह है, जो हमारे लिवर को प्रभावित करता है। समय रहते इन संक्रमणों का पता लगाने और स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि इनके लक्षणों की पहचान करें और इसकी जांच करवाएं। हर साल की तरह इस साल भी दुनियाभर में 28 जुलाई के दिन 'विश्व हेपेटाइटिस दिवस' (World Hepatitis Day) के तौर पर मनाया जा रहा है। इस खास मौके पर हम भी आपका ध्यान इस बीमारी की ओर आकर्षित करना चाहते हैं। आइये जानते हैं इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
हेपेटाइटिस कितने तरह के होते हैं?
हेपेटाइटिस वायरस के कई प्रकार हैं, जैसे हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी और हेपेटाइटिस ई। ये सभी प्रकार लिवर को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकते हैं।
हेपेटाइटिस का पता कैसे लगाएं?
संक्रमण का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है इसकी जांच कराना। हेपेटाइटिस हमारे लिवर में समस्या पैदा कर सकता है, जो कि एक आवश्यक अंग है और खाना पचाने और टॉक्सिक पदार्थों को फ़िल्टर करने में मदद करता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते हेपेटाइटिस की जांच की जाए और लिवर डैमेज होने से बचाया जाए।
हेपेटाइटिस के लक्षण क्या हैं?
हेपेटाइटिस के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षणों में थकान महसूस होना, त्वचा का पीला पड़ना (पीलिया), पेट में दर्द, बीमार महसूस होना और बुखार होना शामिल हैं। हालांकि, कुछ लोगों में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं दे सकता है।
गर्भवती महिला के लिए हेपेटाइटिस टेस्ट क्यों जरूरी है?
गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं के लिए हेपेटाइटिस टेस्ट करना जरूरी है ताकि मां और होने वाले बच्चे दोनों की इस संक्रमण से सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। हेपेटाइटिस लिवर की सूजन को टारगेट करता है और यह हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई सहित किसी भी अन्य वायरस के कारण भी हो सकता है।
हेपेटाइटिस बी और सी वायरस बच्चे के जन्म के दौरान संक्रमित मां से उसके बच्चे में फैल सकते हैं। इसे वर्टिकल ट्रांसमिशन के रूप में जाना जाता है। हेपेटाइटिस के लिए गर्भवती महिलाओं की जांच करने से हेल्थ एक्स्पर्ट्स को संक्रमण की समय रहते इसकी पहचान करने में मदद मिलती है, जिससे बच्चे में संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए उचित कदम उठाने में जा सकते हैं।
प्रेग्रेंसी के दौरान होने वाले हार्मोनल चेंजेस और बढ़ी हुई मेटाबॉलिक मांगों के कारण लिवर पर एक्स्ट्रा तनाव डलता है। ऐसे में अगर किसी गर्भवती महिला को मौजूदा हेपेटाइटिस संक्रमण है, तो प्रेग्नेंसी के दौरान उसे स्थिर रखने के लिए लिवर की कार्यप्रणाली की बारीकी से निगरानी करना जरूरी हो जाता है।
हेपेटाइटिस से रोकथाम के लिए क्या करें?
कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस के लिए, टीके उपलब्ध हैं, जैसे हेपेटाइटिस ए और बी के लिए। इन संक्रमणों से खुद को बचाने के लिए टीकाकरण एक शानदार तरीका है।
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