गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन, जानें क्यों जरूरी है कोरोना वैक्सीनेशन

कई लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि वैक्सीनेशन प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए सुरक्षित ये या नहीं. इसी आशंका में कई महिलाएं वैक्सीन नहीं लगवा रही हैं. ऐसे में सरकार ने अब इस सवालों के जवाब दिए हैं.

Update: 2021-06-29 02:49 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं के लिए वैक्सीनेशन लेने के लिए गाइडलाइन जारी की है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए वैक्सीनेशन बिल्कुल सुरक्षित हैं और ये उन्हें कोरोना से लड़ने में ठीक उसी तरह काम करेगा जैसा अन्य लोगों के लिए करता है. इसी के साथ ये भी बताया गया है कि वैक्सीनेशन के लिए महिलाएं कोविन पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन या वैक्सीनेशन सेंटर पर जाकर भी रजिस्ट्रेशन करवा सकती हैं.

दरअसल कई लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि वैक्सीनेशन प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए सुरक्षित ये या नहीं. इसी आशंका में कई महिलाएं वैक्सीन नहीं लगवा रही हैं. ऐसे में सरकार ने अब इस सवालों के जवाब दिए हैं.
क्या गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लेनी चाहिए?
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक प्रेग्नेंसी से संक्रमण का खतरा नहीं बढ़ता. ज्यादातर महिलाओं को हल्क लक्षण हो सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि वह कोरोना से बचने के लिए हर जरूरी उपाय करें.इसमें वैक्सीनेशन भी शामिल है.

प्रग्नेंट महिलाओं पर कैसे असर करता है कोरोना?
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 90 फीसदी महिला अस्पताल जाए बगैर ही ठीक हो जाती हैं. लेकिन कुछ महिलाओं का काफी तेजी से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है. ऐसी महिलाएं जिनका मोटापा ज्यादा है, जिन्हें हाई बल्ड प्रेशर है और जिनकी उम्र 35 साल से ज्यादा है, उन्हें कोरोना का खतरा ज्यादा है.
इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक स्टडी में पाया गया है कि पहली और दूसरी लहर में बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं कोरोना का शिकार हुई हैं. इतना ही नहीं, प्रसव के बाद भी महिलाओं में संक्रमण का स्तर काफी देखा गया. इनमें से कई ऐसी महिलाएं थीं, जिनकी मौत भी हुई हैं.

गर्भवती को लेकर आईसीएमआर की स्टडी
कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बीच गर्भवती महिलाओं पर शोध किया गया. पहली लहर में इनमें सिम्प्टोमेटिक केस (लक्षण वाले मरीज) 14.2 फीसदी था, वहीं दूसरी लहर में यह बढ़कर 28.7 फीसदी हो गया. पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में गर्भवती महिलाओं में संक्रमण दर दोगुनी थी.


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