क्या आप भी हो चुके हैं पेट की लटकती हुई चर्बी से परेशान, आज से ही करें ये 8 योगासन
आज से ही करें ये 8 योगासन
वर्तमान समय की लाइफस्टाइल में स्वस्थ रहने के लिए आपको अपनी दिनचर्या में योग को जरूर शामिल करना चाहिए। योग आपके शरीर, आत्मा और दिमाग तीनों के लिए बहुत लाभकारी है। प्राचीन काल से ही योग की मदद से शरीर की कई व्याधियों को दूर करने में मदद मिली हैं। ऐसी ही एक परेशानी हैं पेट की लटकती हुई चर्बी जिससे आज की ज्यादातार जनता परेशान हैं। योग की मदद से काफी हद तक पेट की चर्बी अर्थात बैली फैट को कम किया जा सकता है। आज हम आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके नियमित अभ्यास से पेट की चर्बी कम होने के साथ ही कब्ज, सूजन, अपच जैसी पेट संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में...
समस्थिति आसन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने पैरों को बिलकुल सीधा रखें और पंजों को एकसाथ रखें। एड़ी हल्की से दूरी पर होनी चाहिए। अब अपने दोनों हाथों को सीधा ऊपर उठाएं और सिर के ऊपर ले जाएं। जितना हो सके हाथों को उतना खींचने की कोशिश करें। अब धीरे-धीरे एडियों को ऊपर की ओर उठाएं और पंजों पर खड़े होने की कोशिश करें। अब दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में मिलाएं। सामान्य तरीके से सांस लें और इस मुद्रा में 20 से 30 सेकंड तक रहें। फिर धीरे से वापिस सामान्य अवस्था में आ जाएं।
नौकासन
अपने योग मैट पर सपाट लेटते हुए अपने पैरों को एक साथ और अपनी बाहों को अपनी तरफ रखें। हाथ और उंगलियों को अपने पैर की उंगलियों तक फैलाए रखें। गहरी सांस लेते हुए आसन शुरू करें। जैसे ही आप सांस छोड़ती हैं, अपनी बाहों को अपने पैरों की दिशा में फैलाते हुए अपनी छाती और पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं। जैसे-जैसे आपके पेट की मांसपेशियां टाइट होंगी, आपका पेट टाइट होता हुआ महसूस होगा। अपने शरीर का भार केवल अपने नितंबों पर रखें। सुनिश्चित करें कि आपकी उंगलियां, पैर की उंगलियां और आई बॉल सभी एक सीधी रेखा में हों। कुछ सेकंड के लिए सांस को रोककर रखें और इसी स्थिति में रहें।
भेकासन
सबसे पहले मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अब अपनी कलाई के सहारे से धीरे-धीरे सिर को ऊपर उठाएं। शरीर के ऊपरी भाग यानी धड़ का भार आपकी कलाइयों पर होगा। इसके बाद दाएं घुटने को धीरे-धीरे मोड़ें। इससे आपकी एड़ी जांघों के पास आ जाएगी। दोनों हाथों से बाएं पैर को पकड़कर जांघों तक लें। अपनी कोहनी को आकाश की तरफ घुमाकर अपने हाथों को पैरों पर रख दें। अब छाती को ऊपर की ओर धीरे-धीरे उठाएं। इसे आराम से करें, अगर न हो तो फोर्स न करें। अब गहरी सांस लेते हुए इस आसन में 45 से 60 सेकंड तक रहें। इसके बाद शरीर को धीरे-धीरे ढीला छोड़ना शुरू कर दें। अब पेट के बल ही लेटकर थोड़ी देर आराम करें, सांसें सामान्य होने पर इसे 2-3 बार और करें।
समकोणासन
सबसे पहले अपने दोनों पैरों को एक साथ रखें और दोनों हाथों को पहले सामने की ओर रखें। अब हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर सीधा रखें और फिर पीछे की ओर थोड़ा झुकें। अब वापिस हाथों को सिर के ऊपर रखें और गहरी सांस भरते हुए अपनी कमर को 90 डिग्री के कोण में झुकाएं। अब सांस को बाहर छोड़ते हुए सीधे खड़े हो जाएं।
उत्तानपादासन
इस आसन को करने के लिए शवासन की मुद्रा में लेट जाएं और हाथों को बिलकुल सीधा रखें। अब घुटनों को मोड़ें और सांस भरते हुए दोनों पैरों को धीरे-धीरे एक से दो फीट तक ऊपर हवा की ओर लेकर जाएं। जितनी देर तक सांस रोक सकते हैं, उतनी देर तक रोकने की कोशिश करें। कमर को हल्का सा जमीन से ऊपर उठाएं और पैरौं को पीछे सिर की ओर ले जाने कोशिश करें। दोनों हाथों को कमर के नीचे रखें। अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे दोनों पैरों को आगे लाते हुए नीचे जमीन पर रखें।
मलासन
इस आसन को करने के लिए घुटनों को मोड़कर उस अवस्था में बैठ जाएं, जैसे मल त्याग करते समय बैठते हैं। बैठने के बाद दोनों हाथों को कोहनियों को घुटनों पर टिका दें और हथेलियों को मिलाकर नमस्कार की मुद्रा बना लें। इसके बाद धीरे-धीरे सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें। कुछ देर इसी स्तिथि में बैठने के बाद हाथों को खोल लें और खड़े हो जाएं। इसे सुबह उठने के बाद रोजाना कम से कम 10 मिनट तक करें।
कुंभकासन
अपनी पीठ को सीधा रखते हुए और अपने कूल्हों को अपने घुटनों के ऊपर रखें। यदि आपके घुटने संवेदनशील हैं, तो उनके नीचे पैडिंग रखें। एक कंबल या दो बार मोड़ कर रखी गई चटाई। जब आप अपने हाथों को अपने शरीर की तरफ खींचते हैं तो आपकी हथेलियां आपके रिब केज के किनारों पर होनी चाहिए। अपनी कोहनी को बाहर की ओर करते हुए अपनी अन्य चार अंगुलियों को अपने रिब केज के किनारों पर चारों ओर लपेटें, जबकि अपने अंगूठे को अपनी रिब के बैक पर टिकाएं। जैसे ही आप इस पकड़ को बनाए रखते हुए अपनी छाती को छत की ओर करना शुरू करती हैं, तो अपने हाथों का उपयोग रिब केज को ऊपर उठाने के लिए करें। आप अपनी एड़ी को पकड़ने के लिए धीरे-धीरे प्रत्येक हाथ को पीछे की ओर बढ़ाएं। अगर आपको लगता है कि आपको थोड़ी और ऊंचाई की जरूरत है तो अपने पैर की उंगलियों को नीचे दबाएं। आगे की ओर झुकते समय आपके कूल्हे आपके घुटनों के ऊपर रहने चाहिए।
शलबासन
इसे करने के लिए पेट के बल लेट जाएं और हथेलियां जांघों के नीचे रखें। पूरी तरह से श्वास लें (पुरक), सांस (कुंभ) को रोकें। फिर पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं। सुनिश्चित करें कि घुटने सीधे रहें और पैर एक साथ हों। ठुड्डी या माथा को ज़मीन पर रखें। 10 सेकंड के लिए आसन में रहें, धीरे-धीरे पैरों को नीचे लाएं और फिर सांस छोड़ें।