दोस्ती हमेशा रहेगी बरकरार बस ध्यान रखें ये बातें
दोस्ती की अहमियत और उसकी ख़ूबसूरती जानने और मानने के बावजूद वक़्त के साथ दोस्ती का रंग ज़रा फीका पड़ने लगता है

दोस्ती की अहमियत और उसकी ख़ूबसूरती जानने और मानने के बावजूद वक़्त के साथ दोस्ती का रंग ज़रा फीका पड़ने लगता है। कभी समय की कमी तो कभी पारिवारिक ज़िम्मेदारियां आड़े आ जाती हैं। ऐसे में दोस्ती को जीवन पर्यन्त बनाए रखने के लिए कोशिशें हमें ही करनी होंगी। दोस्त हमारी ज़िंदगी में वह शख़्स होता है, जिसे हम चुनते हैं। ऐसा परिवार, जो हमें जन्म से नहीं मिलता, बल्कि जो उम्र के किसी पड़ाव पर हम से टकराता है और हमारी ज़िंदगी का अनमोल हिस्सा बन जाता है।
दोस्त वह है, जो हमारी हंसी में खिलखिलाहटें देता है और मुश्किल वक़्त में सब्र। लेकिन, वक़्त की भागदौड़ में कई मर्तबा दोस्ती फीकी पड़ने लगती है। हम महसूस करने लगते हैं कि दोस्ती में अब पहले-सी बात नहीं रही।
कई मर्तबा कॅरियर के लिए हम दूर हो जाते हैं, तो कई बार दोस्तों की शादी के बाद वे मसरूफ़ हो जाते हैं। दूर रहते हुए भी हम ऐसा क्या करें कि दोस्ती की मिठास कम न हो।
अव्वल, दोस्त की परिस्थितियों को समझें। अगर मित्र ने लम्बे समय से आपसे बात नहीं की है और आपको महसूस होता है कि हमेशा आप ही उससे बात करने की पहल करते हैं, तो ऐसे में उसकी परिस्थितियों को समझने का प्रयास करें, हो सकता है कि वो वाक़ई बहुत व्यस्त हो या चाहकर भी वक़्त नहीं निकाल पा रहा हो। इसलिए मन में कुछ ग़लत लाए बिना, उसे एहसास दिलाते रहें कि आप हमेशा उसके साथ हैं। चाहे कितना भी दूर रहें।
कई मर्तबा शादी के बाद भी दोस्ती पहले जैसी नहीं रह पाती। मेल-मिलाप के लिए समय नहीं मिलता और धीरे-धीरे दोस्ती में वैसी घनिष्ठता नहीं रहती। ज़ाहिर तौर पर विवाह के बाद महिलाओं की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं, लेकिन ज़िंदगी में दोस्तों की भी अपनी अहमियत है।
उम्र के हर पड़ाव पर उन्हें अहमियत दें। दोस्त/सखी को अपने पति/पार्टनर से मिलवाएं, जिससे वे एक-दूसरे के साथ सहज हो सकें। इससे आपसी मित्रता बढ़ेगी और आप सब साथ में घूमने-फिरने की भी योजना बना सकते हैं। किसी ख़ास दिन या त्योहार के मौक़े पर घर बुला लें। यदि मुलाक़ात मुमकिन न हो, तो कम से कम फोन पर बातचीत बनाए रखें।
सम्भव है कि आपने उसे मैसेज भेजा हो और उसे जवाब देने में बहुत वक़्त लग गया हो। आपकी मुलाक़ात और बातचीत कम होती हो, लेकिन इससे यह क़तई ज़ाहिर नहीं होता कि आपकी दोस्ती पहले जैसी नहीं रही। मुलाक़ातें भले ही कम हों, एक-दूसरे के लिए भाव वैसे ही हों, यह ज़रूरी है। हां, कभी-कभी मौक़ा मिलने पर एक-दूसरे से मिलने का समय ज़रूर निकाल लेना चाहिए। एक-दूसरे के घर चले जाएं या बाहर किसी कॉफ़ी शॉप पर मिल लें। इससे दोस्ती को नई ऊर्जा मिलेगी।