नाश्ते का मजा लीजिए और इस शहर के स्वाद और कल्चर को महसूस कीजिए

हम सिर्फ उसी नाश्ते की बात करेंगे जो अलसुबह इस शहर की गलियों में मिलना शुरू होता है और दिन चढ़ते ही खत्म हो जाता है, या वहां दूसरा खाना मिलना शुरू हो जाता है

Update: 2021-12-07 05:05 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आप तो जानते ही हैं कि हर शहर के अंदर एक पुराना शहर भी सांस लेता है, जो बड़ा ही दिलकश, अनूठा और अलग सी अदा लिए हुए नजर आएगा. जैसे लखनऊ में पुराना लखनऊ, शिमला में पुराना शिमला, हैदराबाद में पुराना हैदराबाद या जयपुर में पुराना जयपुर शहर. इन पुराने शहरों की बोली भी कुछ अलगाव लेकिन अपनापन लिए होगी तो खानपान भी कुछ जुदा-जुदा होगा. यानी ऐसे शहरों में नए शहर का खाना तो मिलेगा ही, पर ऐसे व्यंजन भी मिलेंगे जो पुराने शहर की विशेषताओं और स्वाद में लिपटे होंगे. ऐसा ही एक शहर है देश की राजधानी नई दिल्ली की पुरानी दिल्ली, जिसे पुराने वक्त में शहजहांनाबाद कहा जाता था. ये मुगलों की राजधानी भी रही है. आज हम इस शहर के खाने खासकर नाश्ते की बात करते हैं. हम सिर्फ उसी नाश्ते की बात करेंगे जो अलसुबह इस शहर की गलियों में मिलना शुरू होता है और दिन चढ़ते ही खत्म हो जाता है, या वहां दूसरा खाना मिलना शुरू हो जाता है.

मेट्रो स्टेशन से बाहर आते ही चाय के ठिए आपको लुभाते नजर आएंगे
मेट्रो से पुरानी दिल्ली पहुंचने तक के दो स्टेशन हैं, एक है चांदनी चौक और दूसरा लाल किला. आप जैसे ही इन स्टेशनों के बाहर निकलेंगे, आपको वहां दो-चार चाय के स्टॉल दिखाई देंगे. यह स्टॉल सुबह 4 से 5 बजे के बीच शुरू हो जाते हैं और जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, गायब हो जाते हैं. इन दुकानों पर आपको चाय, ब्रेड, रस्क के अलावा कुछ नहीं मिलेगा. यानी सुबह तरोताजा होने के लिए आप चाय पी सकते हैं और पेट में गैस न हो, इसके लिए एकाध ब्रेड, रस्क खाकर शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं. इसके बाद आप पुरानी दिल्ली के किसी भी गली-कूंचे में घुस जाइए, आप पाएंगे कि वहां के नाश्ते आपका स्वागत करने के लिए तैयार हैं.
नागौरी हलवा, बेड़मी पूरी से लेकर मक्खन ब्रेड और छाछ भी
सबसे पहले हम पुरानी दिल्ली के खास नाश्ते नागौरी हलवे और बेड़मी पूरी की बात करते हैं. जूलरी का मशहूर बाजार दरीबा कलां जब सुबह ऊंघता दिखाई देता है, वहां एक ठिया सज जाता है. वहां आपको पुरानी दिल्ली का मशहूर नागौरी हलवा खाने को मिलेगा. इसी ठिए पर सुबह से ही चटपटी बेड़मी पूरी का भी स्वाद लिया जा सकता है. आपको लगेगा कि कुछ और टेस्ट किया जाए तो किनारी बाजार में सुबह-सुबह एक बंद दुकान के बाहर आपको एक बुजुर्ग ब्रेड और मक्खन लिए नजर आएंगे. आप उनसे मक्खन ब्रेड खा सकते हैं. इसके अलावा वहां कुछ नहीं मिलेगा. थोड़ा आगे चलेंगे तो धर्मपुरा में एक अलग ही नाश्ते वाले भाईसाहब बैठे दिखाई देंगे. वह सादी ब्रेड के ऊपर सफेद मक्खन लगाकर खिलाते हैं, साथ में पीने के लिए मसाला छाछ पेश करते हैं.
कहीं कचौड़ी तली जा रही हैं, कहीं पकौड़े निकाले जा रहे हैं तो पराठें भी सिंक रहे हैं
यहां से निकलकर आप बड़साबूला चौक पर पहुंच जाइए. देखेंगे कि एक तरफ तेल से उबलती कड़ाई में कचौड़ियों का ढेर तला जा रहा होगा, जिसकी खुशबू आसपास के इलाके में फैली होगी. उसी के सामने श्याम हलवाई है. बहुत पुरानी दुकान पर आपको सुबह देसी घी की बेड़मी पूरी, नागौरी हलवा, व दाल कचौड़ी खाने को मिल जाएगी. उससे आगे चलेंगे तो एक छोटी सी कड़ाही पर एक बंदा पकौड़े बनाकर गरमा-गरम लोगों को खिलाता नजर आएगा. इसी इलाके की गली शाहजी में लोटन छोले कुलचे वाले के बिना नाश्ते की कहानी पूरी नहीं होगी.
यह भाई गली शाहजी में सुबह 5 बजे ही अपना ठिया खोल लेता है. सिगड़ी पर उबलते, अलग ही स्वाद के छोले के साथ कुलचे और उनका सूप पिलाकर यह आपकी सुबह बना देगा. पुरानी दिल्ली के नाश्ते की थोड़ी सी और छानबीन (Explore) करनी है तो फतेहपुरी पर चैनाराम हलवाई के पास पहुंच जाएं. सुबह सुबह पूरी-छोले का मजा लीजिए और पूरे दिन को रंगीन बनाइए.
नाहरी और पाए का नाश्ता साथ में कांच की कटोरी में गरमा-गरम दूध
हम आपको बता चुके हैं कि पुरानी दिल्ली मुगलों की राजधानी रह चुकी है. इसलिए नॉनवेज नाश्ता भी यहां जरूर मिलेगा. इसके लिए आपको थोड़ा सा बायीं ओर जामा मस्जिद की ओर मुड़ना होगा. यहां आपको वेज के अलावा नॉनवेज नाश्ता और कांच की बड़ी कटोरी में गरमा-गरम दूध पीते हुए लोग दिख जाएंगे. अगर आपको शाकाहारी नाश्ता खाना है तो जामा मस्जिद के सामने एक दुकान पर चार पूरियों के साथ आलू-छोले की सब्जी और साथ में हलवे का मजा लूटें.
करीब 100 कदम आगे जांएगे तो गरमा गरम दूध आपके लिए उबल रहा होगा. इस दूध को बड़ी बड़ी कांच की कटोरियों में पीने के लिए दिया जाता है. अब नॉनवेज की बात करें तो हवेली आजम खां में हाजी शबराती नाहरी वाला तो जगप्रसिद्ध है. यह सुबह 5 बजे खुल जाती है. बीफ की गरम नाहरी व मोटी रोटी के साथ सुबह का मजा लूटें.
नाहरी के अलावा कच्चा-ताजा गोश्त भी खरीद लीजिए जनाब
अगर मटन नाहरी और मटन पाया खाने का मन है तो वह भी आपको मिलेगा. जाने माने होटल करीम व अल-जवाहर पर सुबह के समय इसी का नाश्ता नोश फरमाया जाता है. पुरानी दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाके में यह पंक्तियां खासी मशहूर हैं कि 'सुबह-सुबह की नाहरी, दुख रहे न बीमारी.' यह नाश्ता सुबह 11 बजे तक मिलता है, उसके बाद दूसरे खाने मिलना शुरू हो जाते हैं.
हम आपको इस इलाके की एक और खासियत बता दें कि यहां सुबह-सुबह बंद दुकानों के बाहर पटरी पर कच्चे गोश्त की दुकानें भी लगती हैं. सुबह तीन-चार घंटे ही यह ताजा गोश्त मिलता है. बाजार की दुकानें खुलना शुरू होती हैं, गोश्त के ये ठिए उठना शुरू हो जाते हैं. तो आज नाश्ते का मजा लीजिए और इस शहर के स्वाद और कल्चर को महसूस कीजिए


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