उठाएं पैदल भ्रमण का लुत्फ़
इतिहास का बेहतरीन ढंग से जायज़ा लेना हो तो वहां पैदल घूमें
लाइफस्टाइल | किसी शहर की संस्कृति और इतिहास का बेहतरीन ढंग से जायज़ा लेना हो तो वहां पैदल घूमें. इस सूची में शामिल जगहों पर पैदल घूमना आपको हमेशा याद रहेगा
अपने पैदल भ्रमण की शुरुआत स्वर्ण मंदिर से करें और इसे विराम दें जलियांवाला बाग़ पर. बीच में पड़ेगा संगालवाला अखाड़ा, जो सिख धर्म को जानने की सबसे बड़ी पाठशाला है. फिर आप रामगढ़िया बंगा जाएं, जो पहले के समय में नगर की रक्षा करनेवाली सेना की चौकी है. यह 18वीं सदी में स्वर्ण मंदिर को अफ़गान हमलावरों से बचाने के लिए तैनात फ़ौज को ठहराने के लिए बनाया गया था. इसके बाद रुख़ करें जलियांवाला बाग़ के भावनात्मक जुड़ाव वाले हिस्से का यानी वह जगह जहां सैकड़ों बेगुनाह नागरिकों को वर्ष 1919 में ब्रिटिश सेना ने गोलियों से भून डाला था.
शिमला मेंसुनिए भूतों की कहानीसेमिटेरी (क़ब्रिस्तान) लेन में आप शिमला के सैलानियों की भीड़भाड़ से दूर होंगे. आपको यहां मौजूद पांच में से तीन क़ब्रिस्तान नज़र आएंगे. कैन्लॉग क़ब्रिस्तान सबसे बड़ा है और इसके पास देवदार के पेड़ों का घना जंगल है. गुज़र चुके युग के साक्षी रहे ओल्ड हाउस को पार करते ही धुंध के बीच अचानक कॉम्बेर्म ब्रिज नज़र आएगा. यह शिमला का पहला ब्रिटिश लैंडमार्क ब्रिज है, जिसे वर्ष 1828 में बनाया गया था.
हैदराबाद मेंविशालकाय चट्टानों से मिलेंहैदराबाद के आसपास मौजूद चट्टानें हिमालय की चट्टानों से भी पुरानी हैं. एक अनुमान के मुताबिक़ ये 2,500 मिलियन वर्ष पुरानी हैं. दुर्भाग्य से इनमें से अधिकतर या तो किसी मॉल का हिस्सा बन गई हैं या फिर ऊंची इमारतों का. बची हुई चट्टानों के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए द रॉक फ़ाउंडेशन उन जगहों पर ट्रेक करवाता है, जहां वे मौजूद हैं. जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेंगे, आप यहां की भौगोलिक संरचना और स्थानीय इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करती जाएंगे. आपको चट्टानों के बीच छुपी झील के भी दर्शन होंगे. यह वॉक हर माह के तीसरे रविवार को आयोजित होती है.
लखनऊ मेंउठाएं राजसी ठाठ का लुत्फ़विरासतों को देखने के इस भ्रमण की शुरुआत लाल पुल से करें और इसका अंत करें अकबरी दरवाज़े पर. इस रास्ते में आपको बड़ी-बड़ी हवेलियों के अलावा चिकन व ज़रदोज़ी की वर्कशॉप्स नज़र आएंगी. बड़ा इमामबाड़ा भी राह में पड़ेगा, जो लखनऊ में सबसे बड़ी मुग़लकालीन इमारत है. बड़े इमामबाड़ा की तरह ही अकाल राहत प्रोजेक्ट के तहत बनवाया गया रूमी दरवाज़ा भी मशहूर है. 1857 के विद्रोह के दौरान रूमी दरवाज़े से ही ब्रिटिश पुराने शहर के भीतर दाख़िल हुए थे. यहां उलेमा-ए-फ़रंगी महल है, जो 20वीं सदी तक एक ख्याति प्राप्त मदरसा था, जहां भारतीय उपमहाद्वीप के स्कॉलर्स तालीम लिया करते थे.