शनिदेव के काले रंग के निस्तेज आभा के चलते पिता ने किया था परित्याग
शनि देव सूर्य पुत्र हैं. लेकिन सूर्य देव ने उन्हें काले रंग, निष्तेज आभा के चलते अपना अंश मानते हुए परित्याग कर दिया. इसीलिए उनके अपने पिता के साथ अच्छे संबंध नहीं मानें जाते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क आदिकाल से ही देवता, दानव और मानव सभी के जीवन में शनिदेव की मौजूदगी का विशेष महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब इंद्र से स्वर्ग की सत्ता छीनने को आतुर दानवों ने गुरु शुक्राचार्य की अगुवाई में देवताओं का संहार शुरू किया तो देवताओं का साथ देने के लिए इंद्र, सूर्य, वरुण आदि देवों ने पूरे ब्रम्हांड के दानवों में हाहाकार मचा दिया.
दोनों ही पक्षों से ऐसे-ऐसे अस्त्र शस्त्रों का उपयोग किया गया, जिससे सृष्टि का ही विनाश हो जाने का डर पैदा हो गया. ऐसे में भगवान शिव रणभूमि में अवतरित हुए और दोनों ही पक्षों को फटकारा. उन्होंने दोनों पक्षों के एक दूसरे पर लगाए अन्याय के आरोपों पर कहा कि जल्द ही ऐसे विवादों के निपटारे के लिए एक न्याय अधिकारी का जन्म होगा, जो न सिर्फ सही गलत का फैसला करेगा, बल्कि सभी को सूर्य की तरह बिना भेदभाव उनके कर्मों का फल भी देगा. इधर, पति के तेज से खुद को बचाने के लिए पत्नी संध्या को घोर तप के लिए जाना था. मगर पति से इस बात को छुपाए संध्या ने पिता विश्वकर्मा की बनाए आविष्कार का उपयोग कर अपनी छाया पति और बच्चों की देखरेख के लिए छोड़ दी.