अंधेपन का कारण बन सकता है मोतियाबिंद, आँखों में बनता है धुंधला बिम्ब, रात को देखने में होती है मुश्किल

अंधेपन का कारण बन सकता है मोतियाबिंद,

Update: 2023-06-25 07:15 GMT
मोतियाबिंद (Cataract) एक आम आंखों की समस्या है, जिसमें आंख के प्राकृतिक लेंस धुंधले या अस्पष्ट हो जाते हैं। आसान भाषा में समझें तो इस स्थिति में दिखना कम हो जाता है। मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों की आंखों पर धुंधला बिम्ब बनता है, जिसकी वजह से उन्हें रात के समय देखने में मुश्किल होती है। इसके अलावा तेज रोशनी में भी देखने में दिक्कत होती है। यह आम समस्या है, जो कई लोगों में बढ़ती उम्र के साथ देखने को मिलती है। ऐसे में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल जून महीने को मोतियाबिंद जागरूकता माह के रूप मनाया जाता है।
अगर किसी को मोतियाबिंद हो जाए तो, उस व्यक्ति का साफ देख पाना मुश्किल हो सकता है। समय के साथ मोतियाबिंद अंधेपन का कारण बन सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार यह समस्या अक्सर बढ़ती हुई उम्र के लोगों को ज्यादा परेशान करती है। लेकिन कभी-कभी यह कम उम्र के लोगों में भी देखने को मिल सकती है। सामान्य तौर पर आंख में रोशनी लेंस के जरिये अंदर जाती है। यह जानकारी हमारे लिए रेटिना से दिमाग तक जाती है, ताकि हमें इस बात का पता चल सके कि, हम क्या देख रहे हैं। आईरिस के पीछे मौजूद लेंस प्रोटीन से बना होता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे यह प्रोटीन बदलने लगता है और देखने की क्षमता कम होती चली जाती है। मोतियाबिंद की शुरुआत में देखने से जुड़ी समस्या की शिकायत कम होती है। अगर आपको कुछ परेशानी हो रही है, तो उसका इलाज चश्मा पहनकर भी किया जा सकता है। मोतियाबिंद के बढ़ने की वजह से लोगों को रात में गाड़ी चलाते वक्त साफ देखने में समस्या महसूस हो सकती है। इस समस्या से बचने के लिए, इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना जरूरी है।
शुरुआती दौर में मोतियाबिंद नजरें कमजोर करने का कारण नहीं बनता। हालांकि घर के अंदर की रोशनी या चश्मे बदलने से इन समस्याओं को ठीक किया जा सकता है। लेकिन यह समस्या तब बढ़ना शुरू होती है, जब मोतियाबिंद बढ़ता है। मोतियाबिंद की वजह से आंखों के अंदर मौजूद लेंस प्रोटीन बदलता है।
बुजुर्गों के लिए जरूरी अच्छी दृष्टि
नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या का शुरुआत में निदान करने से नेत्र चिकित्सकों को मोतियाबिंद के विकास की बारीकी से निगरानी करने में मदद मिलती है। ऐसे में वह जीवनशैली में बदलाव करने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही आपके लिए सही चश्मा और नियमित आंखों की जांच की सलाह दे सकते हैं। एक अच्छी दृष्टि कई तरह की दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करती है, खासकर बुजुर्गों में यह बेहद जरूरी होती है।
अच्छी दृष्टि हमें अपने सुरक्षित रहने, बाधाओं की पहचान करने और संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। ऐसे में मोतियाबिंद का शीघ्र पता लगाने और इसका सही उपचार करने से दुर्घटनाओं के जोखिम को काफी कम किया जा सकता है, जिससे वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक सुरक्षित और अधिक स्वतंत्र जीवन सुनिश्चित होता है।
40 साल के बाद कराएं नियमित जांच
आंखों की नियमित जांच बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर यदि आप 40 साल से ऊपर हैं या अपनी दृष्टि में कोई बदलाव देखते हैं। ऐसे में विशेषज्ञों की मदद लेने में देर न करें। प्रारंभिक निदान मोतियाबिंद को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और आने वाले वर्षों के लिए स्पष्ट और स्वस्थ दृष्टि सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
मोतियाबिंद के लक्षण
धुंधला दिखना
किसी भी दूरी पर धुंधली नजर मोतियाबिंद का सबसे आम लक्षण है। जैसे-जैसे मोतियाबिंद की स्थिति बिगड़ती है, उतनी ही कम रोशनी रेटिना तक पहुंचती है। मोतियाबिंद वाले लोगों को रात में देखने और गाड़ी चलाने में खास तौर पर समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
ज्यादा रोशनी
मोतियाबिंद के शुरुआती लक्षणों की बात करें, तो आपको तेज धूप में देखने में परेशानी हो सकती है। घर के अंदर की रोशनी भी आपको काफी तेज लग सकती है। इतना ही नहीं स्ट्रीट लाइट और हेड लाइट्स की तेज रोशनी की वजह से आपको रात में ड्राइविंग करने में समस्या हो सकती है।
दोहरी दृष्टि
जब भी आप एक आंख से देखते हैं, तो कभी-कभी मोतियाबिंद दोहरी दृष्टि का कारण बन सकता है। मोतियाबिंद होने पर आपकी सिर्फ एक आंख खुली होने पर भी छवियाँ दोहरी नजर आ सकती हैं।
चश्मे और लेंस के नंबर में बदलाव
चश्मे या कांटेक्ट लेंस के नंबर में बार-बार बदलाव के कारण के पीछे मोतियाबिंद हो सकता है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि मोतियाबिंद लगातार बढ़ता जाता है।
रंगों में बदलाव
मोतियाबिंद की वजह से आपकी रंगों की दृष्टि बदल सकती है। जिससे कुछ रंग फीके दिखाई देते हैं। आपकी नजरें धीरे-धीरे भूरी या पीली हो सकती हैं। आपको पहले यह बदलाव खास नहीं लगेंगे, लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरेगा, वैसे-वैसे आपके लिए नीले और बैंगनी रंग के बीच अंतर करना कठिन हो जाएगा।
मोतियाबिंद के प्रकार
मोतियाबिंद के कई प्रकार हो सकते हैं, लेकिन इनमें से पांच प्रकार के मोतियाबिंद सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं, जो इस प्रकार हैं:
जन्मजात मोतियाबिंद: इस प्रकार का मोतियाबिंद जन्म के समय से ही मौजूद रह सकता या फिर शिशु को बाल्यावस्था के दौरान हो सकता है।
सेकंडरी मोतियाबिंद: सेकेंडरी मोतियाबिंद मधुमेह, ग्लूकोमा (नेत्र समस्या) सर्जरी या स्टेरॉयड जैसी दवाओं की वजह से हो सकता है।
रेडिएशन मोतियाबिंद: इस प्रकार का मोतियाबिंद कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी प्रक्रिया के बाद रेडिएशन के कारण हो सकता है।
ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद: इस प्रकार का मोतियाबिंद आंखों के किसी घाव की वजह से हो सकता है। इसे दर्दनाक मोतियाबिंद भी कहा जाता है।
एज रिलेटेड कैटरेक्ट: यह मोतियाबिंद का सबसे आम प्रकार है। बढ़ती उम्र के साथ प्राकृतिक बदलावों के कारण मोतियाबिंद विकसित हो सकता है, जिसे एज रिलेटेड कैटरेक्ट के नाम से जाना जाता है।
मोतियाबिंद का निदान
मोतियाबिंद के निदान के लिए डॉक्टर निम्न तरीकों से आंखों की जांच कर सकते हैं:
रेटिना का परीक्षण: मोतियाबिंद का पता लगाने के लिए डॉक्टर आंखों की जांच कर सकते हैं। इसके लिए आंखों की पुतली को फैलाने के लिए आई ड्रॉप इस्तेमाल कर ऑप्टिक नर्व के आकार और रंग की अच्छे से जांच कर सकते हैं ।
स्लिट लैंप परीक्षण: इस परीक्षण के दौरान डॉक्टर माइक्रोस्कोप के जरिए आंख के आगे के हिस्से का परीक्षण करते हैं। इसमें लेंस के साथ ही आंखों की पुतली और रेटिना की भी जांच की जाती है।
विजुअल एक्युटी परीक्षण: इस परीक्षण के दौरान डॉक्टर मोतियाबिंद का पता लगाने के लिए दृष्टि की जांच कर सकते हैं। इस परीक्षण के लिए आई चार्ट का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें अक्षर लिखे होते हैं। डॉक्टर आंखों की जांच करने के लिए एक आंख से चार्ट में दिए गए अक्षरों को पढ़ने के लिए कह सकते हैं।
मोतियाबिंद से बचने के उपाय
मोतियाबिंद से बचने के लिए निम्नलिखित बातों का जरूर ध्यान रखें:
—नियमित रूप से आंखों की जांच करवाएं।
—धूम्रपान न करें।
—मधुमेह जैसी चिकित्सा स्थिति मोतियाबिंद का जोखिम बढ़ा सकती है। इसलिए, इसका उपचार ठीक से करवाएं।
—स्वस्थ आहार का चुनाव करें।
—सनग्लास का इस्तेमाल करें।
—अल्कोहल का सेवन न करें।
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