काशी विश्वनाथ में दर्शन करने से पहले, जान ले ये पूजा-पाठ के नियम
कुछ ही दिनों में भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र दिन महाशिवरात्रि आने वाला है.
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | कुछ ही दिनों में भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र दिन महाशिवरात्रि आने वाला है. इस साल 11 मार्च को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी. इस बार कोरोना की वजह से श्रद्धालुओं के लिए भगवान शिव के दर्शन थोड़े मुश्किल होने वाले हैं. भोलनाथ की नगरी वाराणसी में भी महाशिवरात्रि की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस बीच कमिश्नर दीपक अग्रवाल की अध्यक्षता में महाशिवरात्रि की तैयारियों को लेकर बैठक की गई. यह बैठक वाराणसी की कमिश्नरी सभागार में की गई, जहां महोत्सव की तैयारियों पर चर्चा की गई.
कोरोना की वजह से काशी विश्वनाथ दर्शन पूजन को लेकर इस बार कुछ खास नियम बनाए गए हैं. कोरोना प्रोटोकाल को ध्यान रखते हुए इस बार श्रद्धालु मंदिर के चारों द्वार से झांकी दर्शन कर सकेंगे. दरअसल, कोरोना की वजह से गर्भगृह में प्रवेश और शिवलिंग स्पर्श पर रोक लगाई गई है. ऐसे में श्रद्धालु मंदिर के द्वार पर लगे अरघे से जलाभिषेक कर सकेंगे. इसके लिए मंदिर प्रबंधन की ओर से खास तैयारियां की गई हैं.
महाशिवरात्रि पर श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन कर सकें, इसके लिए मैदागिन से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए छत्ताद्वार से 20 मीटर पहले से मंदिर चौक से मंदिर के पूर्वी गेट से दर्शन की व्यवस्था की गई है. वहीं इन श्रद्धालुओं की वापसी का इंतजाम मणिकर्णिका गली द्वार की ओर से किया गया है. इसके इलावा VIP और दिव्यांगजन छत्ताद्वार से प्रवेश करेंगे और मंदिर के दूसरे गेट पर दर्शन करके उसी से वापस हो जाएंगे.
वहीं गोदौलिया से आने वाले श्रद्धालु बांस फाटक और धुंडीराज गणेश से मंदिर के पश्चिमी गेट से दर्शन करेंगे. स्थानीय लोगों के लिए भी खास व्यवस्था की गई है. ये सरस्वती फाटक गली से मंदिर में दक्षिणी गेट पर जा सकेंगे और काशी विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे.