Ayurvedic Tips: आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन से पहले जान ले इन जरूरी बातों को

Update: 2022-05-24 07:29 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Ayurvedic Tips: आजकल सेहत संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए लोग प्राकृतिक उपचार की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। वैसे पहले के जमाने में भी जब साइंस ने इतनी तरक्की नहीं की थी तब लोग जड़ी-बूटियों से ही सेहत को चुस्त-दुरुस्त रखते थे। लेकिन एक बात जान लेना जरूरी है आयुर्वेदिक दवाओं के जल्द फायदे के लिए इन्हें नियमानुसार लिया जाना चाहिए।

आइए जानते हैं आयुर्वेदिक दवाईयों के उपयोग से पहले और उस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में..
1- आयुर्वेद के अनुसार दो रोगियों को एक जैसी दवाई नहीं दी जा सकती हैं - जैसे दो व्यक्ति हैं और दोनों व्यक्तियों को एक ही बीमारी है और उस बीमारी की दवाई भी एक है तो जरुरी नहीं है कि दवाई, दोनों व्यक्ति को एक ही दी जाए। अगर एक ही दवाई दोनों व्यक्तियों को दी भी जा रही है तो हो सकता कि उनकी दवाई की मात्रा में अंतर हो। इसमें दूसरी जरूरी बात यह है कि जब कोई दवाई दी जाती है तो जरूरी नहीं है कि हर दवाई 12 महीने दी जा सके। एक जैसी दवाई खाना आपको नुकसानदायक दायक हो सकती है। अत: वैघ के अनुसार दवाई लें।
2- ऋतु के अनुसार दवाईयों का करें उपयोग - आयुर्वेद में कई जगह यह भी बताया गया है कि मौसम (ऋतु) का विचार कर दवाई देनी चाहिए। आयुर्वेद में बहुत सारी ऐसी दवाईयां होती हैं जो खासतौर से सर्दियों में लेने से मना किया जाता है और कुछ दवाईयां ऐसी भी होती हैं जिनकी तासीर गर्म होती है तो इन्हें गर्मियों में लेने से मना किया जाता है। हमें वैघ के परामर्श अनुसार दवाई खानी चाहिए।
3 - रोगी को कब्ज और अपच नहीं होना चाहिए - अगर रोगी को कब्ज, अपच पेट से सम्बंधित यदि कोई बीमारी है तो पहले उसे किसी वैघ्य के द्वारा इन चीजों पर ध्यान देना जरूरी है। अगर किसी रोगी को कब्ज की समस्या है या पाचन क्रिया सही नहीं है तो दवाईयां अपना पूरा फायदा रोगी को नहीं पहुंचा पाएंगी।
4 - शरीर की प्रकृति को समझना बहुत जरूरी है - आयुर्वेद में ऐसी बहुत सारी दवाईयां हैं जिनका लोग उपयोग करना चाहते हैं। जैसे सर्दियों में अश्वगंधा का प्रयोग हर कोई करना चाहता है। जिससे शारीरिक बल बढ़ता है ताकत आती है, लेकिन जरूरी नहीं है कि यह सब को लाभप्रद हो। उसका कारण ये है कि किसी व्यक्ति की पित्त प्रकृति है और वो अश्वगंधा का उपयोग करता है तो उसके शरीर में केवल पित्त की वृद्धि होगी। उसका शारीरिक बल बढ़ना तो दूर कब्ज, एसिडिटी, अम्ल पित्त बनना शुरू हो जाएगा और उसको नुकसान होगा। इसके लिए आपको प्रकृति का ज्ञान बहुत जरूरी है।


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