डिप्रेशन के अलावा निजी कारण ज्यादा बन रहे मौत की वजह

Update: 2023-01-06 08:43 GMT

हेल्थ न्यूज़: रोने से तकदीर भले न बदलती हो लेकिन अपने दिल की बात दूसरों से कह देने से मन का बोझ जरुर हलका हो जाता है। जो लोग अपने मन में जिंदगी की जंग में हारा हुआ समझ कर घुटन महसूस करने लगते हैं वो खुदकुशी की ओर बढ़ने लगते हैं।

गत वर्ष बारह महीनों में 105 लोगों ने मौत को गले लगा लिया। इनमें कई पारिवारिक कारणों से मरे तो कई तनाव न झेल पाने के कारण दुनिया से अलविदा हुए। इनमें से अधिकांश ने सर्द मौसम में सुसाइड किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि बायो न्यूरोलाजिकल बदलाव ही आत्महत्या का कारण बनता है।

गत वर्ष हाईस्कूल की छात्रा ने खुद को गोली मार कर जान दी तो वहीं सुभारती यूनिवर्सिटी में एक छात्रा ने चौथी मंजिल से कूद कर जान दे दी। ऐसे कई चौकानें वाली आत्महत्या की घटनाएं हुई जिसमें मरने वाला अगर अपने मन की व्यथा किसी और से शेयर करता तो हालात बदल सकते थे। जागृति विहार निवासी एक बैंककर्मी ने काम के तनाव के चलते आत्महत्या कर ली। बैंककर्मी के आत्महत्या करने से परिजनों में कोहराम मच गया है।

आत्म हत्या करने से पहले बैंककर्मी ने दो पेज का सुसाइट नोट लिखा था। जिसमें अपनी मौत का जिम्मेदार उसने काम का तनाव बताया है।थाना क्षेत्र के जागृति विहार सेक्टर 4 में 10 वीं की छात्रा ने खुद को गोली मार कर जिंदगी समाप्त कर ली। 16 वर्षीय लड़की ने यह घातक कदम इसलिए उठाया, क्योंकि प्री-बोर्ड परीक्षा को लेकर काफी तनाव में थी। 16 वर्षीय लड़की हर्षिता चौधरी की घटनास्थल पर ही मौत हो गई।

गंगानगर एफ ब्लॉक निवासी मेरठ कॉलेज के कर्मचारी व प्रोपर्टी डीलर फेरम सिंह राणा ने अम्हेड़ा गांव के रास्ते पर स्थित अपने आॅफिस पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। परिजनों ने उस समय पुलिस की प्रताड़ना से डिप्रेशन में आने पर आत्महत्या का कदम उठाने का आरोप लगाया था। रोशनपुर डौरली निवासी दानिश की फरवरी 2020 में मामेपुर गांव की रहने वाली हिना से शादी हुई थी।

हिना के तीन वर्ष की एक बेटी है। हिना ने अपने घर के ऊपर स्थित एक कमरे में पंखे पर दुपट्टे का फंदा लगाकर आत्म हत्या कर ली। सुभारती विश्वविद्यालय में लाइब्रेरी की चौथी मंजिल से कूदने वाली बीडीएस सेकेंड ईयर की स्टूडेंट वानिया असद शेख की मौत हो गई थी। दरअसल आत्महत्या का विचार प्राकृतिक नहीं होता है। मस्तिष्क में बायो न्यूरोलॉजिकल बदलावों के चलते लोगों को लगने लगता है कि जीवन किसी काम का नहीं है।

इसके बाद व्यक्ति आत्महत्या करने का विचार आता है। आरजी गर्ल्स डिग्री कालेज की समाजशास्त्र विभाग की प्रोफेसर रजनी श्रीवास्तव का कहना है कि परिवार के लोगों को अपने बच्चों में आ रहे बदलाव पर नजर रखनी चाहिये और उसके सुख और दुख की जानकारी होनी चाहिये। सामाजिक और आर्थिक कारणों से भी लोग सुसाइड करते हैं लेकिन नकारात्मक भाव इंसान के अंदर डिप्रेशन को जन्म देते हैं जो आगे चलकर खुदकुशी में बदल सकते हैं।

मनोविशेषज्ञ डाक्टर सोना कौशल भारती का कहना है कि अपने अंदर द्वंद करने वालों में डिप्रेशन के दौरान एक वक्त ऐसा भी आता है कि इंसान खुद को जिंदगी से हारा हुआ मानने लगता है और खुदकुशी की ओर बढ़ जाता है। आत्महत्या के 90 प्रतिशत मामले मानसिक विकार के चलते होते हैं। अवसादग्रस्त लोगों को दुनिया हमेशा नाकारात्मक नजर आती है, वे हर चीज को निगेटिविटी से देखने लगते हैं। अवसादग्रस्त लोगों में आत्महत्या करने की दर सबसे ज्यादा देखी गई है।

अवसाद:

मानसिक स्थिति का एकसमान नहीं रहना

बेचैनी और घबराहट का होना

जिस चीज में पहले खुशी मिलती थी, अब उसमें दिलचस्पी ना होना

हमेशा निगेटिव बातों का आना

भविष्य को लेकर निगेटिव दृष्टिकोण का होना

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