ओमिक्रॉन के बाद आएगा एक और वैरिएंट, जाने एक्सपर्ट की रॉय
वैज्ञानिकों का कहना है कि मौजूदा टीके ओमिक्रॉन के खिलाफ पर्याप्त नहीं हैं। कई अध्ययनों में सामने आया है कि यह टीके कुछ ही एंटीबॉडी बना पाते हैं। वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले समय में कोरोना एक स्थानिक बीमारी बन जाएगी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पिछले तीन सालों में कोरोना महामारी ने दुनिया को तबाह कर दिया है। करोड़ों लोग इस महामारी का शिकार हुए, लाखों दुनिया छोड़कर चले गए। कई विकसित देशों की स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा गई, अर्थव्यवस्था टूट गई। ऐसे में यह सवाल हर किसी के मन में उठता है कि आखिर, यह महामारी कब खत्म होगी। क्या ओमिक्रॉन की तरह कोरोना का एक और नया वैरिएंट दुनिया के सामने आएगा? इस सवाल का जवाब नए अध्ययन में दिया गया है।
एक्सपर्ट का मानना है कि कोरोना महामारी खत्म नहीं होने वाली है। आने वाले समय में यह एक स्थानिक महामारी बन जाएगी और हमें इसके साथ ही जीना सीखना होगा। शोधकर्ताओं के अनुसार, निश्चित रूप से ओमिक्रॉन कोरोना का अंतिम वैरिएंट नहीं है। आने वाले समय में हमें और वैरिएंट भी देखने को मिल सकते हैं। लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के एक महामारी विशेषज्ञ सेबस्टियन फंक ने बताया कि हम अपनी प्रतिरक्षा के चलते इस तरह की स्थिति को सामान्य बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में बहुत घातम महामारी नहीं देखेंगे।
इस वैज्ञानिक ने दी चेतावनी
शीर्ष वायरोलॉजिस्ट एरिस काटजोराकिस ने कोरोना के प्रति चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि बेशक, कोरोना एक स्थानिक बीमारी बन जाएगी, लेकिन सिर्फ इसलिए इसे हल्के में लेने की भूल न करें। उन्होंने कहा कि स्थानिक बीमारी बहुत बड़ा खतरा भी बन सकती है। बताया कि विज्ञान के संदर्भ में स्थानिक होने का अर्थ है, जब इससे संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या मूल जनसंख्या को संतुलित कर देती है।
ओमिक्रॉन के खिलाफ कारगर नहीं है मौजूदा टीका
कई विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा कोरोना वैक्सीन ओमिक्रॉन के खिलाफ कारगर साबित नहीं हो रही है। कई प्रयोगशालाओं में किए गए अध्ययनों में संकेत मिला है ये टीके ओमिक्रॉन के खिलाफ कुछ ही एंटीबॉडी बना पाते हैं।
खतरनाक हो रहा ओमिक्रॉन
शुरुआती अध्ययनों में पाया गया था कि ओमिक्रॉन, पिछले डेल्टा वैरिएंट जैसा खतरनाक नहीं है। इस वैरिएंट में मुत्यु दर बढ़ने और अस्पताल में भर्ती होने की नौबत कम आती है। हालांकि, अब जैसे-जैसे यह संक्रमण बढ़ता जा रहा है, अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। कई देशों में तो इस वैरिएंट ने स्वास्थ्य सेवाओं को सीमित कर दिया है।