Amavasya : कुशोत्पाटिनी अमावस्या पर किया जाता है कुशा का संग्रह, हनुमान जी को चढ़ाएं ये चीजें
भाद्रपद माह की अमावस्या सोमवार को पड़ रही है। इसलिए यह कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कही जाती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Amavasya September 2021 : भाद्रपद माह की अमावस्या सोमवार को पड़ रही है। इसलिए यह कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कही जाती है। कुशोत्पाटिनी का अर्थ कुशा को उखाड़ना या उसका संग्रहण करना होता है। इस अमावस्या पर धार्मिक कार्यों व पूजा-पाठ आदि के लिए वर्ष भर तक चलने वाली कुशा का संग्रहण किया जाता है।
पंडित प्रभात मिश्र बताते हैं कि कुशा का इस्तेमाल हिंदू पूजा पद्धति में प्रमुखता से किया जाता है। न केवल पूजा बल्कि श्राद्ध आदि में भी कुशा का उपयोग होता है। कुशोत्पाटिनी अमावस्या के लिए सूर्योदय से पूर्व उठकर नदी व कुएं आदि में स्नान करें। कुआं या नदी उपलब्ध ना हो तो घर में ही पवित्र नदी का जल पानी में डालकर स्नान करें।
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इसके बाद उगते सूर्य को तांबे के कलश में तिल डालकर अर्घ्य दें। शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल के पांच दीपक लगाएं। सुबह के समय पीपल के पेड़ में मीठा कच्चा दूध अर्पित करने से धन और सुख की प्राप्ति होती है। हनुमानजी को चमेली के तेल और सिंदूर का चोला चढ़ाने से समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। जन्मकुंडली में ग्रहण दोष, शनि दोष, शनि की साढ़ेसाती आदि की शांति के लिए विशेष पूजा कराएं।