आंध्रप्रदेश के ये मंदिर पेश करते हैं वास्तुकला का शानदार नजारा, एक बार जरूर जाएं यहां
नजारा, एक बार जरूर जाएं यहां
भारत को अपने मंदिरों के लिए पूरे विश्वभर में जाना जाता हैं। भारत के एक से बढ़कर के मंदिर देखने को मिलते हैं जिसमें से कुछ अपनी सुन्दरता तो कुछ अपनी वास्तुकला के लिए जाने जाते हैं। ऐसे ही कुछ मंदिरों का नजारा आंध्रप्रदेश में भी देखने को मिलता हैं जिनका न केवल महान धार्मिक महत्व है, बल्कि ये अपनी सदियों पुरानी शानदार वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध हैं। हर साल देश के विभिन्न कोनो से लाखों श्रद्धालु यहां मंदिरों के दर्शन करने पहुंचते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको आंध्रप्रदेश के ऐसे ही कुछ प्रसिद्द मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आप भी दोस्त या परिवार के साथ घूमने का प्लान बना सकते हैं। आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...
श्री वेंकटेश्वर मंदिर
आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति में तिरूमाला की पहाड़ी पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर सबसे प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध मंदिर है, जहां साल भर पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की भीड़ देखने को मिलती रहती है। मंदिर के भीतर आप कई तरह के परिसर देखेंगे, मंदिर अपनी विशेष पूजा के लिए जाना जाता है, जो प्रतिदिन सुबह 5:30 बजे से सुबह 6:30 बजे तक आयोजित की जाती है। यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, और 12 वीं शताब्दी से यहां स्थापित है। यह दुनिया के सबसे पवित्र और सबसे धनी मंदिरों में से एक है और यहां लाखों श्रद्धालु अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए आते हैं।
मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर
मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर कृष्णा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है। श्रीशैलम शहर इसी मंदिर की वजह से जाना जाता है। इस मंदिर को विजयनगर के राजा हरिहर राय ने बनवाया था। अगर पौराणिक कथाओं की माने तो मंदिर में देवी पार्वती ने ऋषि ब्रिंगी को खड़े होने का श्राप दिया था, क्योंकि उन्होंने केवल भगवान शिव की पूजा की थी। फिर भगवान शिव ने देवी को सांत्वना देने के बाद उन्हें एक तीसरा पैर दिया जिससे कि वे अधिक आराम से खड़े हो सकें। इस मंदिर में तीन पैरों पर खड़े ऋषि ब्रिंगी की मूर्ति के साथ-साथ नंदी, सहस्रलिंग और नटराज की मूर्तियां भी हैं।
श्रीकालाहस्ती मंदिर
श्रीकालाहस्ती मंदिर, चित्तूर जिले में स्थित आंध्र प्रदेश का प्रमुख मंदिर है जिसे अक्सर दक्षिण-पूर्व भारत के पवित्र शहर के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित है और इसका हिंदुओं के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व है। जिस वजह से दुनिया भर से भगवान शिव के भक्त उनकी पूजा करने और आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में आते हैं। बता दे श्रीकालाहस्ती मंदिर (प्राचीन पल्लव काल के दौरान बनाया गया था जिसकी गिनती आंध्र प्रदेश के प्राचीन मंदिर में भी की जाती है। मंदिर से जुड़ी प्रसिद्ध मान्यता है कि जो लोग विभिन्न दोषों से परेशान हैं, वे इस मंदिर में अपनी शांति के लिए पूजा अर्चना करवा सकते हैं। मंदिर पांच तत्वों (पंच भूत) में से एक वायु का प्रतिनिधित्व करता है।
लेपाक्षी मंदिर
लेपाक्षी मंदिर आंध्र प्रदेश का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में मौजूद लेपाक्षी मंदिर को वीरभद्र मंदिर और हैंगिंग टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है। लेपाक्षी मंदिर रहस्यमयी कहानियों के साथ-साथ हैंगिंग पिल्लर के लिए भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस मंदिर में विजयनगर साम्राज्य के इतिहास की झलक भी देखने को मिलती है। हेंगिंग पिल्लर होने की वजह से इसे हेंगिंग टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है। यहां आपको माता सीता के पदचिन्ह भी देखने को मिलेंगे। स्थापत्य महत्व के अलावा, स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर भगवान शिव का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल भी है। लेपाक्षी एक ऐसा मंदिर है, जो तीर्थयात्रियों के अलावा कला प्रेमियों को भी आकर्षित करता है।
रंगनाथ मंदिर
पेन्नार नदी के तट पर स्थित, रंगनाथ मंदिर नेल्लोर के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है। मंदिर का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है और इसे क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है जो इतनी बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और उत्तम नक्काशी के लिए भी जाना जाता है। इसमें मंदिर परिसर के भीतर विशाल दर्पणों से सजे सोने के सात बर्तन हैं। मंदिर के पीठासीन देवता, भगवान श्री रंगनाथस्वामी की मूर्ति विराजमान है। परिसर के भीतर स्थित अड्डा मंडपम या हॉल को जटिल नक्काशी से सजाया हुआ है।
कनक दुर्गा मंदिर
कनक दुर्गा मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित आंध्रप्रदेश का एक प्रसिद्ध मंदिर है जो देश में स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक है। कनक दुर्गा मंदिर विजयवाड़ा में इंद्रकीलाद्री पहाड़ी पर स्थापित है जो आश्चर्यजनक वास्तुकला द्रविड़ियन शैली में निर्मित है। माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का दौरा किया और यहां श्री चक्र स्थापित किया। आंध्रप्रदेश के प्राचीन मंदिर में से एक इस मंदिर का उल्लेख कई पवित्र ग्रंथों और वैदिक साहित्य में भी मिलता है जिनके अनुसार इस मंदिर का निर्माण अर्जुन द्वारा किया गया था।
अहोबिलम एक छोटा सा गांव है, जो भगवान नरसिंह स्वामी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। अहोबिलम मंदिर भगवान लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी को समर्पित है। मंदिर परिसर में आदि लक्ष्मी देवी मंदिर और चेंचू लक्ष्मी देवी के मंदिर भी हैं। पवित्र अहोबिलम मंदिर भगवान लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी के पदचिन्हों पर बनाया गया था जिसकी माप 5 फीट 3 इंच है। ऐसा माना जाता है कि जो कपल्स इस मंदिर में शादी करते हैं, उनके जीवन में खुशहाली रहती है। 108 दिव्य देसमों में से एक होने के कारण, ये मंदिर वो मंदिर है जहां हिरण्यकश्यप को भगवान ने मार दिया था।
सिंहचल मंदिर
आंध्रप्रदेश के सबसे अधिक देखें जाने वाले मंदिर में से एक सिंहचलम मंदिर विशाखापट्टनम शहर में समुद्र तल से 800 मीटर ऊपर एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है। आंध्रप्रदेश का यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान नरसिंह को समर्पित है, जो स्वयं विष्णु के अवतार हैं। सिंहचलम मंदिर को विस्तृत पत्थर की नक्काशी और डिजाइन के साथ सजाया गया है जिसमे ओडिशा, चालुक्य, और चोल की स्थापत्य शैली का एक अद्भुद मिश्रण है। यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी – जो भगवान विष्णु के तीसरे और चौथे अवतार का संयोजन है। जिसमे भगवान नरसिंह त्रिभंगा मुद्रा में दिखाई देते हैं यहाँ उनके मानव धड़ पर एक शेर के सिर के साथ दो हाथ हैं।