बच्चे हो सकते हैं कोरोना के सुपर स्प्रेडर, बरतें ये सावधानी
बच्चों को वैक्सीन न लग पाने के कारण उनमें संक्रमण फैलने और सुपर स्प्रेडर बनने का खतरा ज्यादा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अब एक दिन सामने आ रहे मामलों की संख्या 3 लाख के पार हो रही है. कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन का कहर लोगों को डरा रहा है. हालांकि हल्का संक्रमण होने के कारण बहुत कम लोगों को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है. वहीं कम लक्षण होने के कारण कोरोना के मरीजों को पहचानने में भी मुश्किल हो रही है. बच्चों को वैक्सीन न लग पाने के कारण उनमें संक्रमण फैलने और सुपर स्प्रेडर बनने का खतरा ज्यादा है.
... इसलिए है बड़ा खतरा
कोरोना की पिछली 2 लहरों में सबसे ज्यादा मौतें बुजुर्गों और अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों की हुईं. इसके अलावा ऐसे लोग जिनकी इम्यूनिटी कम थी, उन्हें भी बहुत जोखिम उठाना पड़ा. इस तरह कोरोना संक्रमण हर उम्र के लोगों पर अलग-अलग असर डाल रहा है. साथ ही इसके लक्षण भी अलग-अलग उम्र के लोगों में अलग-अलग हैं. जैसे अस्थमैटिक प्राब्लम वाले लोगों या बुजुर्गों में सांस लेने की समस्या ज्यादा देखने को मिली. वहीं अच्छी इम्यूनिटी या कम उम्र के लोगों में लक्षण तुलनात्मक रूप से कम रहे. ऐसे में यदि बच्चों में हल्के लक्षण वाला संक्रमण रहा तो ये अनजाने में ही दूसरों को कोरोना फैलाते रहेंगे.
बिना लक्षण वाला कोरोना ज्यादा खतरनाक
विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों में यदि कोरोना के लक्षण न हों तो यह पता ही नहीं चल पाता है कि वायरस कौन फैला रहा है. बच्चे परिवार में सभी के संपर्क में आते हैं और अनजाने में ही कोरोना वायरस के सुपर स्प्रेडर बन जाते हैं. उनमें कोई लक्षण न दिखने के कारण लोग बीमार होने के बाद भी बच्चों पर शक नहीं कर पाते हैं. लिहाजा परिवार में किसी को कोरोना संक्रमण हो तो लक्षण न दिखने पर भी बच्चों का कोविड टेस्ट जरूर कराएं.