प्रदेश में बिना बारिश पीली पडऩे लगी गेहूं

गरली। हिमाचल प्रदेश में पिछले करीब तीन महीने से बारिश न होने से किसानों- बागबानों की चिंता बढ़ गई है। इससे उपमंडल देहरा के अंतर्गत करियाड़ा, मूहल, गरली, नैहरनपखर, ढलियारा, डाडासीबा व ध्वाला आदि इलाकों के बारिश न होने से किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई है। सिंचाई के अभाव में फसलों पीले पडऩे लगी …

Update: 2024-01-30 06:55 GMT

गरली। हिमाचल प्रदेश में पिछले करीब तीन महीने से बारिश न होने से किसानों- बागबानों की चिंता बढ़ गई है। इससे उपमंडल देहरा के अंतर्गत करियाड़ा, मूहल, गरली, नैहरनपखर, ढलियारा, डाडासीबा व ध्वाला आदि इलाकों के बारिश न होने से किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई है। सिंचाई के अभाव में फसलों पीले पडऩे लगी है। करियाड़ा के किसानों में बाबू राम शर्मा, सुभाष, सतपाल शर्मा, किशन चंद, रमेश चंद, कुशल चंद, प्रकाश व अशोक कुमार आदि का कहना है कि यदि कुछ दिनों के अंदर अगर बारिश नहीं हुई, तो गेहूं की फसल खेतों में ही बर्बाद हो जाएगी। इससे उत्पादन प्रभावित होगा। ऐसे में किसानों को आर्थिक नुकसान उठना पड़ सकता है। लिहाला बारिश की कमी के चलते फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

कहा जा रहा है कि सिंचाई के अभाव में अधिकांश खेतों में गेहूं की फसल पीली पडऩे लगी है, जिससे सीमांत उत्पादकों की रातों की नींद उड़ गई है। इस वर्ष प्रदेश में शुष्क अवधि बहुत लंबी है। ऐसे में फसल विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार उपज कम से कम 50 प्रतिशत कम होगी। देहरा में तैनात विषय वस्तु विशेषज्ञ भूपिंद्र सिंह ने कहा कि स्थिति गंभीर है। उन लोगों को थोड़ी राहत मिली है, जिन्होंने अपनी फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कवर करवाया है। पिछले दिनों खबर सामने आई थी कि प्रदेश में किसानों को लंबे समय तक सूखे का सामना करना पड़ सकता है। जनवरी में अब तक 100 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। शुष्क और गर्म मौसम के जारी रहने का मौसम विभाग का पूर्वानुमान लोगों को चिंता में डाल रहा है, क्योंकि इससे फसलों को नुकसान हो रहा है। इसके अलावा कम बारिश से गर्मियों में पानी की भी कमी हो सकती है।

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